रायपुर: प्रदेश में खरीफ फसलों की सुरक्षा के लिए इस साल भी रोका-छेका अभियान (roka cheka) की शुरुआत की गई है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm bhupesh baghel) ने रायपुर स्थित अपने निवास कार्यालय से रोक-छेका अभियान की शुरुआत की. खरीफ फसल को खुले पशुओं द्वारा चराई से बचने के लिए रोका-छेका अभियान का शुभारंभ किया. पिछले साल काफी अच्छे परिणाम सामने आने के बाद इस साल फिर से अभियान शुरू किया गया है.
छत्तीसगढ़ में मानसून (monsoon in chattishgarh) शुरू होते ही लगातार अच्छी बारिश हो रही है. 1 जून से 30 जून तक प्रदेश में 238.3 मिमी औसत बारिश दर्ज की गई है. मौसम विभाग के मुताबिक, कोरबा में सर्वाधिक 413.2 मिमी और दंतेवाड़ा जिले में सबसे कम 148.1 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है. बारिश शुरू होने के साथ ही किसानों ने खेती का काम भी शुरू कर दिया है. फसल बुआई के साथ की किसानों की सबसे बड़ी चिंता फसलों की देखभाल और सुरक्षा को लेकर होती है. इसी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रोका-छेका अभियान प्रदेश में शुरू किया गया है.
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क्या है रोका छेका अभियान ?
रोका छेका अभियान छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा है. इसके जरिए पशुओं को खुले में चरने के लिए नहीं छोड़ा जाता है. मवेशियों को घरों, शेड और गौठानों में रखा जाता है. जहां उनके लिए पानी और चारे की व्यवस्था होती है. प्रदेश के लगभग सभी जिलों में मवेशियों को रखने के लिए गौठानों की व्यवस्था की गई है. जहां मवेशियों को रखा जा रहा है. साथ ही उनके चारे की भी व्यवस्था की गई है. मवेशियों को संरक्षित करना फसलों को मवेशियों से बचाना और गोबर से कुदरती खाद बनाना इसका मकसद है.