नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में छत्तीसगढ़ से कांग्रेस सांसद छाया वर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं होने का मुद्दा उठाया.
उन्होंने कहा कि, 'हमने कल छत्तीसगढ़ में राजभाषा दिवस मनाया था, लेकिन बहुत ही दुख की बात है कि राज्य बने 19 साल हो गए हैं, लेकिन भाषा को अब तक पहचान नहीं मिली और 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं हुई'.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, 'केरल, मणिपुर, गोवा है इन सभी को अपनी भाषा मिल गई है. उनकी राजभाषा 8वीं अनुसूची में शामिल हो गई है, लेकिन छत्तीसगढ़ की गुरतुर बोली-छत्तीसगढ़ी भाषा अब तक राजभाषा में शामिल नहीं हुई है'.
सांसद छाया वर्मा ने कहा कि, 'व्याकरण बन गई है. स्कूलों में पढ़ाई होती है. बच्चे एमए. एमफिल करते हैं, लेकिन 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं हुई है इसके चलते उन्हें नौकरी नहीं मिलती है'. हमनें पिछले दिनों अरपा पैरी के धार को राजगीत बनाया है. मैं सदन के जरिए छत्तीसगढ़ी को राजभाषा में शामिल करने की मांग करती हूं'.