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प्वाइंट ऑफ केयर जांच तकनीक: अब 10 मिनट में आ जाएगी सिकलसेल जांच की रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने 5 जिलों के लिए पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की है. पायलट प्रोजेक्ट में प्वॉइंट ऑफ केयर तकनीक अपनाया गया है. इससे सिकलसेल की जांच का नतीजा बस 10 मिनट में आ जाएगा.

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स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की
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Published : Jan 8, 2021, 11:01 PM IST

Updated : Jan 9, 2021, 9:58 AM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के लिए स्वास्थ्य विभाग की बड़ी चुनौतियां में से एक सिकलसेल है. सिकलसेल की पहचान और इलाज और ज्यादा होने जा रही है. इसे लेकर स्वास्थ विभाग भी और सतर्क नजर आ रहा है. सरकार अब सिकलसेल प्रबंधन कार्यक्रम में प्वाइंट ऑफ केयर जांच तकनीक अपनाने जा रही है. ऐसा करने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य बन चुका है.

Chhattisgarh will be first state to adopt point of care investigation technique
टीएस सिंहदेव ने 5 जिलों के लिए पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की

पढ़ें: मुख्यमंत्री के साथ कांग्रेस नेताओं ने लिया कैरम खेलने का मजा

छत्तीसगढ़ के लिए सिकलसेल प्रबंधन बड़ी कामयाबी है. ये पायलट प्रोजेक्ट दुर्ग, सरगुजा, दंतेवाड़ा, कोरबा और महासमुंद जिले में संचालित किया जाएगा. पहले सिकलसेल की जांच के लिए खून के नमूने को सुरक्षित तरीके से प्रयोगशाला लाना पड़ता था. यह बड़ा सेटअप है. जांच भी खर्चीला है.

Chhattisgarh will be first state to adopt point of care investigation technique
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव

पढ़ें: छत्तीसगढ़ में 13 जनवरी तक मिल सकती है कोरोना वैक्सीन: सिंहदेव

प्वाइंट ऑफ केयर तकनीक पोर्टेबल

डॉक्टर्स ने बताया कि जांच में कम से कम एक दिन का वक्त लगता था. प्वाइंट ऑफ केयर तकनीक पोर्टेबल है. यह आसानी से कहीं भी ले जाई जा सकती है. मलेरिया किट की तरह इससे जांच का नतीजा 10 मिनट में आ जाएगा.

Chhattisgarh will be first state to adopt point of care investigation technique
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की

मुंबई के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनो हिमेटोलॉजी के विशेषज्ञ दे रहे प्रशिक्षण

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने 5 जिलों के लिए पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की है. उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों से जांच किट का डेमोन्स्ट्रेशन भी देखा. स्वास्थ्यकर्मियों को जांच के लिए प्रशिक्षण इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, मुंबई के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनो हिमेटोलॉजी के विशेषज्ञ दे रहे हैं. अगले सप्ताह तक जमीनी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण पूरा हो जाएगा.

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सिकल सेल जांच का नतीजा 10 मिनट में आ जाएगा

रायपुर: छत्तीसगढ़ के लिए स्वास्थ्य विभाग की बड़ी चुनौतियां में से एक सिकलसेल है. सिकलसेल की पहचान और इलाज और ज्यादा होने जा रही है. इसे लेकर स्वास्थ विभाग भी और सतर्क नजर आ रहा है. सरकार अब सिकलसेल प्रबंधन कार्यक्रम में प्वाइंट ऑफ केयर जांच तकनीक अपनाने जा रही है. ऐसा करने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य बन चुका है.

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टीएस सिंहदेव ने 5 जिलों के लिए पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की

पढ़ें: मुख्यमंत्री के साथ कांग्रेस नेताओं ने लिया कैरम खेलने का मजा

छत्तीसगढ़ के लिए सिकलसेल प्रबंधन बड़ी कामयाबी है. ये पायलट प्रोजेक्ट दुर्ग, सरगुजा, दंतेवाड़ा, कोरबा और महासमुंद जिले में संचालित किया जाएगा. पहले सिकलसेल की जांच के लिए खून के नमूने को सुरक्षित तरीके से प्रयोगशाला लाना पड़ता था. यह बड़ा सेटअप है. जांच भी खर्चीला है.

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छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव

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प्वाइंट ऑफ केयर तकनीक पोर्टेबल

डॉक्टर्स ने बताया कि जांच में कम से कम एक दिन का वक्त लगता था. प्वाइंट ऑफ केयर तकनीक पोर्टेबल है. यह आसानी से कहीं भी ले जाई जा सकती है. मलेरिया किट की तरह इससे जांच का नतीजा 10 मिनट में आ जाएगा.

Chhattisgarh will be first state to adopt point of care investigation technique
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की

मुंबई के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनो हिमेटोलॉजी के विशेषज्ञ दे रहे प्रशिक्षण

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने 5 जिलों के लिए पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की है. उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों से जांच किट का डेमोन्स्ट्रेशन भी देखा. स्वास्थ्यकर्मियों को जांच के लिए प्रशिक्षण इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, मुंबई के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनो हिमेटोलॉजी के विशेषज्ञ दे रहे हैं. अगले सप्ताह तक जमीनी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण पूरा हो जाएगा.

Chhattisgarh will be first state to adopt point of care investigation technique
सिकल सेल जांच का नतीजा 10 मिनट में आ जाएगा
Last Updated : Jan 9, 2021, 9:58 AM IST
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