रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बिलासपुर में नक्सल मामले में बड़ा बयान दिया था. सीएम ने कहा कि नक्सली भारत के संविधान पर विश्वास करें. हथियार छोड़कर संवैधानिक तरीके से बात करें. सरकार कहीं भी किसी भी मंच पर बातचीत के लिए तैयार है.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब सरकारों ने नक्सलियों से बातचीत की पहल की हो. पहले भी सरकारों ने बातचीत के रास्ते खोले हैं.
20 फरवरी 2009-
दोनों पक्षों द्वारा निर्धारित पूर्व शर्त ने वार्ता शुरू करने से पहले ही रोक दिया. दंडकारण्य विशेष जोनल कमेटी के सदस्य और प्रवक्ता, वरिष्ठ माओवादी नेता पांडू उर्फ पंडाना ने रमन सिंह सरकार के साथ शांति वार्ता करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा था. तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा था कि 'हम शांति प्रस्ताव का स्वागत करते हैं, लेकिन नक्सलियों को हिंसा का रास्ता छोड़ना चाहिए और बातचीत के लिए आगे आना चाहिए.'
21 मई 2010-
नक्सलियों पर केंद्र के साथ कोई मतभेद नहीं: रमन
रमन सिंह ने तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम से मुलाकात के बाद कहा था कि राज्य और केंद्रीय बलों के बीच कोई अंतर नहीं है. नक्सलियों से निपटने की पी चिदंबरम की सोच और उनकी सोच में कोई अंतर नहीं है.
अपनी पार्टी के सहयोगी और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव पर रमन सिंह ने कहा था कि नक्सलियों के साथ बातचीत होनी चाहिए. कोई भी उनके साथ बातचीत करने से नहीं कतरा रहा है.
``हमने एक बेहतर आत्मसमर्पण नीति की भी घोषणा की है. हमने कहा है कि अगर वार्ता के लिए कोई पहल होती है तो छत्तीसगढ़ इससे दूर नहीं होगा, लेकिन अहम मुद्दा यह है कि अगर आप किसी को बातचीत के लिए आमंत्रित कर रहे हैं, तो उसे लोकतंत्र में विश्वास रखना होगा. हाथ में बंदूक लेकर आप बातचीत के लिए नहीं बैठ सकते.
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अगर शांति के लिए कोई पहल होती है तो बातचीत का विकल्प हमेशा खुला रखने में कोई संकोच नहीं है. रमन सिंह ने यह भी कहा था कि नरेंद्र मोदी और उनके बीच सोच में कोई अंतर नहीं है. हम कड़ी कार्रवाई करने के लिए हैं. लेकिन अगर राष्ट्रीय स्तर पर या किसी भी स्तर पर बातचीत के लिए कोई पहल होती है तो मैं व्यक्तिगत रूप से या छत्तीसगढ़ सरकार इससे पीछे नहीं हटेंगे.
20 नवंबर 2011-
नक्सलवाद से मुकाबले के लिए एकीकृत कार्ययोजना(Integrated Action Plan)की जरूरत: रमन सिंह
छत्तीसगढ़ नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई के केंद्र में है. छत्तीसगढ़ इसका सबसे ज्यादा खामियाजा भुगत रहा है. हम जो भी कर रहे हैं, वह हमारे राष्ट्र के लिए है.
सालाना 1,000 करोड़ रुपये की लागत वनोपज से होती है. सरकार द्वारा एकत्रित धन आदिवासियों के कल्याण में जाता है. लेकिन नक्सली इस पर बात नहीं करते हैं. हम तेंदू के पत्तों की 800 रुपये प्रति बोरी और अतिरिक्त बोनस के रूप में 130 रुपये देते हैं. वे इस पर लोगों से पैसे लेते हैं. “अगर वे राज्य से सालाना 300 करोड़ रुपये ले रहे हैं (सुरक्षा धन के रूप में)तो उन्हें कम से कम आधी राशि उन पर खर्च करनी चाहिए, लेकिन वे केवल बंदूकें खरीद रहे हैं. रमन सिंह ने नक्सली हिंसा से लड़ने में सक्षम बनाने के लिए पुलिस में संरचनात्मक परिवर्तन का सुझाव दिया।
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7 अगस्त 2012-
नक्सलवाद का समाधान बातचीत के जरिए किया जा सकता है: रमन सिंह
तत्कीलन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने एक बार फिर दोहराया कि हमने नक्सलियों के साथ बातचीत की प्रक्रिया को नहीं रोका है. इसे आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि इस मुद्दे को केवल बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है, न कि हथियारों की दौड़ में शामिल होकर.
रमन सिंह ने कहा था कि इस मुद्दे पर केंद्र के साथ उनका अच्छा समन्वय है. वह नक्सल मुद्दे को राजनीति से दूर रखेंगे. यह देश को जोड़ने वाला मुद्दा है, न कि किसी विशेष राज्य का.
21 अप्रैल 2012-
अपहृत सुकमा कलेक्टर को नक्सलियों ने 48 घंटे बाद छोड़ा
छत्तीसगढ़ में माओवादियों ने सुकमा कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन की सुरक्षित रिहाई के लिए पांच मांगों को सूचीबद्ध किया है, जिन्हें 21 नवंबर 2012 को अपहरण कर लिया गया था
पांच मांगों में रायपुर और दंतेवाड़ा की जेलों में बंद आठ कट्टर नक्सलियों की रिहाई, अर्धसैनिक बलों की वापसी, नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन ग्रीन हंट को रोकना, उन लोगों के खिलाफ मामलों को वापस लेना, जो कांग्रेसी नेता हंगाराम मरकाम के हमले के बाद पकड़े गए थे। 2008 में दंतेवाड़ा का कोंटा ब्लॉक और नक्सलियों के खिलाफ सभी तलाशी और तलाशी अभियान को रोकना.
5 जून 2013
रमन सिंह ने कहा कि नक्सलियों से बातचीत का समय खत्म हो गया. "इस तरह की ताकतों से कोई समझौता करने का कोई सवाल ही नहीं है. हम लड़ रहे हैं और हम ऐसा करना जारी रखेंगे. राज्य में हाल में हुए नक्सली हमले ने उनके साथ बातचीत के किसी भी विकल्प को खारिज कर दिया है. कोई बातचीत नहीं होगी." नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज किया जाएगा
रमन सिंह की यह टिप्पणी पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश के बयान के बाद आई थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि नक्सलियों से बातचीत के लिए कोई जगह नहीं है. जयराम रमेश ने कहा था कि, "यह बहुत स्पष्ट है कि नक्सली राजनीतिक प्रक्रिया में विश्वास नहीं करते हैं. वे हमारे लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते हैं. वे हमारे संवैधानिक मूल्यों में विश्वास नहीं करते हैं. इसलिए हम किससे और किस बारे में बात करेंगे? "
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12 सितंबर 2014-
हथियार छोड़ने पर नक्सलियों से बातचीत के लिए तैयार: राजनाथ सिंह
तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा था कि "हम किसी से भी बात करने के लिए तैयार हैं, जो हिंसा का रास्ता छोड़ दें. हमने भी उनके विचारकों से बातचीत की मेज पर आने के लिए कहा है."
23 अक्टूबर 2016-
2016 में छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा कि वह लोकतंत्र और संविधान के दायरे में नक्सलियों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है. “आपसी संवाद लोकतंत्र की नींव है. राज्य सरकार नक्सल मुद्दे के समाधान के लिए नक्सलियों सहित किसी भी पक्ष से बात करने के लिए तैयार है. राज्य के तत्कालीन गृह मंत्री रामसेवक पैकरा ने एक बयान में कहा कि, "नक्सलियों के साथ बातचीत के लिए सरकार के दरवाजे हमेशा खुले हैं. बातचीत लोकतंत्र और संविधान के दायरे में होनी चाहिए"
03 August 2018-
अब माओवादियों से कोई बात नहीं की जाएगी- रमन सिंह
तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि अब माओवादियों से कोई बात नहीं की जाएगी. उनके लिए बीच का कोई रास्ता नहीं बचा है. वे आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हो जाएं अन्यथा पुलिस की गोली खाने के लिए तैयार रहें. पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय माना में आरक्षकों के दीक्षांत परेड को संबोधित हुए रमन सिंह ने कहा था कि हमारे जवान लगातार उत्साह के साथ आगे बढ़ रहे हैं. उनका आत्मविश्वास बता रहा है कि जल्द ही इस समस्या को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा.
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नक्सलियों के खिलाफ चल रहे संघर्ष में रमन सिंह का ऐसा कड़ा बयान पहली बार आया था. इससे पहले कई मौकों और कई मंचों पर वे कह चुके थे कि नक्सलियों से बातचीत का रास्ता हमेशा खुला है. सरकार संविधान के दायरे में बातचीत के लिए तैयार है.
20 मई 2018-
तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने एक बार फिर दोहराया कि हम नक्सलियों के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन इसमें उनके पोलित ब्यूरो सदस्यों को शामिल किया जाना चाहिए, तभी कुछ निर्णायक बातचीत हो सकती है. रमन सिहं ने यह भी कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास लाने के लिए प्रयास कर रही है.
26 जनवरी 2018-
छत्तीसगढ़ के तत्कालीन राज्यपाल बलरामजी दास टंडन ने कहा कि अगर नक्सली हथियार छोड़ देते हैं और संविधान का सम्मान करते हैं तो नक्सलियों के साथ बातचीत के लिए दरवाजे खुले हैं. हालांकि उन्होंने चेतावनी दी कि हिंसा और संवैधानिक गतिविधियों को कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
26 दिसंबर 2018 -
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि 'बंदूकें समाधान नहीं हैं. मुझे लगता है कि नक्सलियों से बात नहीं करनी चाहिए. नक्सलवाद के शिकार लोगों से बात करनी चाहिए. हमें राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है. अब जम्मू और कश्मीर के बाद हमारे पास बस्तर में देश में अर्धसैनिक बलों की अधिकतम संख्या है.15 साल में नक्सली15 जिलों में हैं.
1 सितंबर 2019 -
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि उनकी सरकार किसी से भी बात करेगी. अगर नक्सली वास्तव में शांति चाहते हैं, तो उन्हें आगे आना चाहिए.