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छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जनजाति वर्ग को बड़ी राहत, 718 केस की वापसी, 944 लोगों को फायदा

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Published : Jun 4, 2021, 6:09 PM IST

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति वर्ग (ST Category) के लोगों पर दर्ज मुकदमों की समीक्षा की गई. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में निर्दोष आदिवासियों के खिलाफ दर्ज प्रकरणों की वापसी के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए.के.पटनायक की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है.

Big relief to the Scheduled Tribes of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जनजाति वर्ग को बड़ी राहत

रायपुर: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति वर्ग (ST Category) के लोगों पर दर्ज मुकदमों की समीक्षा की गई. प्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के निवासियों के खिलाफ दर्ज कुल 718 मामलों में 31 मई, 2021 तक विभिन्न अदालतों ने मामलों की समीक्षा कर आरोपियों को बरी कर दिया है. अब तक कुल 944 आरोपी लाभान्वित हो चुके हैं.

इसमें दंतेवाड़ा जिले के 24 प्रकरणों में 36 लोगों को, बीजापुर जिले में 44 प्रकरणों में 47 लोगों को, नारायणपुर जिले में 7 प्रकरणों में 9 लोगों को और कोण्डागांव जिले में 3 प्रकरणों में 9 आरोपियों को दोषमुक्त किया गया है. इसी तरह कांकेर जिले में 1 प्रकरण में 6 लोगों को, सुकमा जिले में 44 प्रकरणों में 109 लोगों को और राजनांदगांव जिले में 1 प्रकरण में 2 आरोपियों को दोषमुक्त किया गया है.

कमेटी का किया गया था गठन

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में निर्दोष आदिवासियों के खिलाफ दर्ज प्रकरणों की वापसी के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए.के.पटनायक की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है. वहीं जिला प्रशासन और पुलिस विभाग को भी आदिवासियों के विरूद्ध दर्ज नक्सल मामलों की छानबीन कर निर्दोष आदिवासियों को राहत प्रदान करने के निर्देश दिए हैं.

सरेंडर करने वाले नक्सलियों का खुलासा, 'कोरोना वैक्सीन का विरोध कर रहे हैं नक्सली'

समिति के सामने पेश किए गए थे विचार

न्यायालय के माध्यम से आदिवासियों के खिलाफ दर्ज प्रकरणों की वापसी के लिए जस्टिस पटनायक कमेटी के समक्ष प्रकरण विचार हेतु प्रस्तुत किये गये थे. जिनमें से समिति ने 627 प्रकरणों की वापसी के लिए अनुशंसा की है. पटनायक समिति की अनुशंसा के आधार न्यायालय से 594 प्रकरण वापस लिये जा चुके हैं, जिनमें 726 व्यक्तियों को लाभ प्राप्त हुआ है. वर्तमान में सिर्फ 33 प्रकरण न्यायालय से वापसी के लिए लंबित हैं.

इसी तरह पुलिस विभाग द्वारा 365 नक्सल प्रकरणों को न्यायालयों में स्पीडी ट्रायल के लिए चिन्हित किया, जिसमें न्यायालय द्वारा 124 प्रकरणों को दोषमुक्त करते हुए 218 आरोपियों को लाभान्वित किया गया है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति वर्ग (ST Category) के लोगों पर दर्ज मुकदमों की समीक्षा की गई. प्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के निवासियों के खिलाफ दर्ज कुल 718 मामलों में 31 मई, 2021 तक विभिन्न अदालतों ने मामलों की समीक्षा कर आरोपियों को बरी कर दिया है. अब तक कुल 944 आरोपी लाभान्वित हो चुके हैं.

इसमें दंतेवाड़ा जिले के 24 प्रकरणों में 36 लोगों को, बीजापुर जिले में 44 प्रकरणों में 47 लोगों को, नारायणपुर जिले में 7 प्रकरणों में 9 लोगों को और कोण्डागांव जिले में 3 प्रकरणों में 9 आरोपियों को दोषमुक्त किया गया है. इसी तरह कांकेर जिले में 1 प्रकरण में 6 लोगों को, सुकमा जिले में 44 प्रकरणों में 109 लोगों को और राजनांदगांव जिले में 1 प्रकरण में 2 आरोपियों को दोषमुक्त किया गया है.

कमेटी का किया गया था गठन

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में निर्दोष आदिवासियों के खिलाफ दर्ज प्रकरणों की वापसी के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए.के.पटनायक की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है. वहीं जिला प्रशासन और पुलिस विभाग को भी आदिवासियों के विरूद्ध दर्ज नक्सल मामलों की छानबीन कर निर्दोष आदिवासियों को राहत प्रदान करने के निर्देश दिए हैं.

सरेंडर करने वाले नक्सलियों का खुलासा, 'कोरोना वैक्सीन का विरोध कर रहे हैं नक्सली'

समिति के सामने पेश किए गए थे विचार

न्यायालय के माध्यम से आदिवासियों के खिलाफ दर्ज प्रकरणों की वापसी के लिए जस्टिस पटनायक कमेटी के समक्ष प्रकरण विचार हेतु प्रस्तुत किये गये थे. जिनमें से समिति ने 627 प्रकरणों की वापसी के लिए अनुशंसा की है. पटनायक समिति की अनुशंसा के आधार न्यायालय से 594 प्रकरण वापस लिये जा चुके हैं, जिनमें 726 व्यक्तियों को लाभ प्राप्त हुआ है. वर्तमान में सिर्फ 33 प्रकरण न्यायालय से वापसी के लिए लंबित हैं.

इसी तरह पुलिस विभाग द्वारा 365 नक्सल प्रकरणों को न्यायालयों में स्पीडी ट्रायल के लिए चिन्हित किया, जिसमें न्यायालय द्वारा 124 प्रकरणों को दोषमुक्त करते हुए 218 आरोपियों को लाभान्वित किया गया है.

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