रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है.कांग्रेस ने पहले डिप्टी सीएम का पद टीएस सिंहदेव को देकर उनकी कथित नाराजगी को दूर करने की कोशिश की. वहीं अब पीसीसी चीफ बदलकर आने वाले चुनाव के लिए संगठन को और मजबूती देने का प्रयास किया. मोहन मरकाम की जगह सांसद दीपक बैज को पीसीसी चीफ की जिम्मेदारी मिली है.जिसके बाद ये कयास लगाए जा रहे हैं कि मोहन मरकाम को मंत्री बनाया जा सकता है.वहीं मोहन मरकाम के साथ धनेंद्र साहू को भी मंत्रिमंडल में जगह देने की चर्चाएं गर्म हैं. आईए जानते हैं कौन हैं मोहन मरकाम
कौन हैं मोहन मरकाम, जिन्हें मंत्री बनाने की है चर्चा : कोंडागांव के टेंडमुंडा गांव में 15 सितम्बर 1967 को जन्म हुआ. मोहन मरकाम के पिता का नाम भीखराय मरकाम था.भीमराय अपने परिवार का जीवन खेती किसानी करके चलाते थे.मोहन मरकाम के सात भाई और दो बहनें हैं.जिसमें मोहन मरकाम पांचवें नंबर के हैं.मोहन मरकाम ने हाईस्कूल और बारहवीं की पढ़ाई माकड़ी से की.
कॉलेज से छात्र राजनीति में रखा कदम : वहीं ग्रेजुएशन के लिए कांकेर महाविद्यालय गए.जहां मोहन मरकाम ने भूगोल से एमए किया.इस दौरान एनसीसी से गणतंत्र दिवस परेड में भाग लिया.फिर छात्रसंघ अध्यक्ष बनें. कई तरह के सामाजिक संगठनों में मोहन मरकाम ने काम किया. मोहन मरकाम की कानून की पढ़ाई में भी रुचि रही. इसके लिए इन्होंने जगदलपुर में रहकर 2 वर्षों तक कानून की पढ़ाई की. इस बीच शासकीय नौकरी मिलने से कानून की पढ़ाई बीच में ही छूट गई.
नौकरी से विधायक फिर पीसीसी चीफ तक का सफर : मोहन मरकाम ने पहले शिक्षाकर्मी और फिर एलआईसी में विकास अधिकारी की नौकरी की. 1990-91 में शहीद महेन्द्र कर्मा के सानिध्य में कांग्रेस पार्टी से जुड़े. विधानसभा चुनाव 2008 में कांग्रेस पार्टी ने पहली बार मोहन मरकाम को अपना प्रत्याशी बनाया, जहां बीजेपी प्रत्याशी और छत्तीसगढ़ शासन में मंत्री लता उसेंडी से मरकाम का सीधा मुकाबला रहा. इस मुकाबले में मरकाम को 2771 मतों से हार का सामना करना पड़ा. 2013 में कांग्रेस ने मोहन मरकाम को फिर से टिकट दिया. इस बार उन्होंने भाजपा प्रत्याशी और छत्तीसगढ़ शासन में मंत्री रही लता उसेंडी को शिकस्त दे दी. 2018 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की कोंडागांव सीट से लड़ते हुए फिर से बीजेपी प्रत्याशी को हराया और लगातार दूसरी बार विधायक बने. इसके बाद पार्टी ने मोहन मरकाम को पीसीसी चीफ की जिम्मेदारी सौंपी.
धनेंद्र साहू को भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा : वहीं कांग्रेस के मंत्रिमंडल में धनेंद्र साहू को भी शामिल किया जा सकता है. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि क्योंकि कांग्रेस मंत्रिमंडल में प्रेमसाय सिंह टेकाम ने इस्तीफा दिया है. वहीं मंत्री टीएस सिंहदेव के पंचायत विभाग का अतिरिक्त प्रभार रविंद्र चौबे के पास है. ऐसे में छत्तीसगढ़ में दो मंत्रियों के लिए जगह बन सकती है. जहां मोहन मरकाम का मंत्री बनना तय माना जा रहा है,वहीं धनेंद्र साहू को भी पार्टी चुनाव से पहले बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है. आईए जानते हैं कैसा रहा धनेंद्र साहू का राजनीतिक सफर.
ऐसा रहा धनेंद्र साहू का राजनीतिक सफर : धनेन्द्र साहू कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. वह अभनपुर विधायक हैं. अभनपुर विधानसभा सीट से पांच बार 1993, 1998, 2003, 2013 और 2018 में जीत दर्ज कर चुके हैं. वह 2008 से 2011 तक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. अविभाजित मध्यप्रदेश में 1998 में धनेन्द्र साहू राज्य मंत्री जल संसाधन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग (स्वतंत्र प्रभार) रह चुके हैं. साल 2000 में राज्य गठन के समय कांग्रेस सरकार में भी राज्य मंत्री संस्कृति पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग (स्वतंत्र प्रभार) रह चुके हैं. आपको बता दें कि 2014 से 2018 तक किसानों की समस्याओं समेत अन्य महत्वपूर्ण समस्याओं को विधानसभा में जोरदार तरीके से उठाया था.