रायपुर: कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित हो गया है. बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक के लिए दो दिनों का विशेष सत्र बुलाया था. विधेयक पास होन के बाद विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है. इसके साथ दो दिनों का विशेष सत्र भी समाप्त हो गया.
कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक में 7 प्रावधान लाए गए हैं-
1-निजी मंडियों को डीम्ड मंडी घोषित किया जाएगा.
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने सदन में चर्चा के दौरान कहा कि छत्तीसगढ़ में 80 फीसदी लघु एवं सीमांत कृषक हैं. लघु एवं सीमांत कृषकों की कृषि उपज भण्डारण तथा मोल-भाव की क्षमता नहीं होने से, बाजार मूल्य के उतार-चढ़ाव तथा भुगतान की जोखिम को दृष्टिगत रखते हुए, उनकी उपज की गुणवत्ता के आधार पर सही कीमत, सही तौल तथा समय पर भुगतान सुनिश्चित कराने हेतु डीम्ड मंडी तथा इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म की स्थापना करना जरूरी है. जो कि इस प्रावधान से संभव हो पाएगा.
2-राज्य सरकार के अधिसूचित अधिकारी को मंडी के जांच का अधिकार.
इसके तहत राज्य में सभी मंडी खासकर डीम्ड मंडियों की जांच का अधिकार राज्य सरकार की तरफ से नियुक्त अधिकारी को होगा. वह मंडियों में सभी तरफ के ऑपरेशनल प्रक्रिया की जांच कर सकेगा
3-अनाज की आवाजाही निरीक्षण में जब्ती का अधिकार
मंडियों में गड़बड़ी होने और अनाज को स्टोरेज कर लाने और ले जाने के दौरान अनियमितता की सूरत में अनाज की जब्ती का अधिकार भी मंडी से जुड़े अधिकारियों को दिया गया है.
4-निजी मंडियों में अधिकारियों को भंडारण की तलाशी का होगा अधिकार.
यह सिर्फ सरकारी मंडियों में नहीं बल्कि निजी और डीम्ड मंडियों में भी भंडारण की तलाशी का अधिकार मंडी के अधिकारियों को दिया गया है. जिसका प्रावधान इस नए विधेयक में है.
5-मंडी समिति और अधिकारियों पर केस दायर करने का अधिकार.
मंडी समिति पर नकेल कसने के लिए भी इस बिल में प्रावधान है. अगर मंडी में गड़बड़ी पाई जाती है तो मंडी समिति और उससे जुड़े अधिकारियों पर केस दायर करने का अधिकार होगा
6-इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन भुगतान संचालन राज्य सरकार में बने नियम से होगा.
कृषि से जुड़े व्यापार और उससे जुड़े प्लेटफॉर्म में ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था राज्य सरकार के बने नियमों से की जाएगी.
7-जानकारी छुपाने और गलत जानकारी देने पर 3 महीने की सजा या 5 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान इसके अलावा दूसरी बार गलती पर 6 महीने की सजा और 10 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मंडी को लेकर आदेश दिया है केवल टैक्स लगाने का अधिकार राज्य सरकार के पास है. सीएम ने कहा हम केंद्र के कानून से कोई छेड़छाड़ नहीं कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि केंद्र ने ये कानून केवल पूंजीपतियों के लिए बनाएं हैं.ये कानून किसानों को लाभ देने वाला नहीं है. बिहार में 2006 से ये कानून लागू है जिसे हटा दिया गया. वहां निजी मंडी है, सरकारी मंडियां खत्म कर दी गई है. ऐसा एक भी किसान नहीं है जिसने 1300 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर भाव में धान बेचा होगा.
पढ़ें-पूंजीपतियों के लिए है केंद्र का कृषि कानून:भूपेश बघेल
एक समर्थन मूल्य लाए सरकार
सीएम ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि कहा 'मोदी सरकार एक राष्ट्र एक कानून की बात करती है तो फिर एक कीमत भी ले आएं. पूरे देश में समर्थन मूल्य से एक रुपये कम में भी किसी किसान का धान नहीं बिकना चाहिए. ऐसा कानून ले आए तो हमें कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
'किसानों के हित के लिए किया गया संशोधन'
सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि विशेष सत्र इसलिए लाया गया, ताकि संशोधन एक्ट पर चर्चा हो और जनता जान सके, किसान जान सके कि हम क्या कर रहे हैं. भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, केंद्र का कानून किसान और उपभोक्ता के साथ धोखा है. सीएम ने यह भी कहा कि राज्य का यह संशोधन विधेयक केंद्र के कानून से टकराता नहीं है. यह संशोधन विधेयक केवल प्रदेश के किसानों के हित की रक्षा के लिए है.
सीएम ने केंद्र के कानून पर कही ये मुख्य बातें-
- सीएम ने कहा कि हम केंद्र के कानून को छू भी नहीं रहे हैं.
- किसानों को लाभ देने वाला कानून नहीं है ये कानून पूंजीपतियों को लाभ देने वाला है.
- मंडियों में खामियां हो सकती है, लेकिन खत्म करने का जरिया नहीं है.
- चिटफंड की तरह है ये कानून.
- ये किसानों के साथ ही नहीं देश के उपभोक्ताओं के साथ धोखा है.
- उसके खिलाफ ये कानून बना है.
- हमारी सीमा में रहते हुए हम किसानों के, मजदूरों के और गरीबों के हित में काम करेंगे.
- मोदी एक राष्ट्र एक कानून की बात करते हैं तो फिर एक कीमत भी ले आएं.
- पूरे देश में समर्थन मूल्य से एक रुपये कम में भी किसी किसान का धान नहीं बिकना चाहिए.
- ऐसा कानून ले आए तो हमें कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
- नकल के चक्कर में भाजपा ने देश को बर्बाद किया.
- चुनाव के कारण बीजेपी ने बोनस दिया था.किसानों के साथ धोखा किया जा रहा.
- केंद्र क्या देश में मंडियों को वॉलमार्ट बनाना चाहती है.
- अडानी-अंबानी बाजार तय करेंगे तो किसान कहां जाए.
- केंद्र के कानून का आधार आर्थिक रूप से है.
- हमारा आधार किसानों के हित का संरक्षण है.
कृषि उपज मंडी संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया जब बीजेपी ने सदन में हंगामा किया. कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम जब इस बिल पर बोल रहे थे तो बीजेपी ने सदन से वॉक आउट किया. इसके बाद बीजेपी सदस्यों की गैरमौजूदगी में कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पर चर्चा हुई. बीजेपी ने सरकार पर इस बिल को पास कराने को लेकर हमला बोला है.