ETV Bharat / state

Pitru paksh 2021:शुक्रवार को चतुर्थी श्राद्ध, आइए जानते हैं हर तिथि का महत्व - Chahattisgarh news

पितृ पक्ष (Pitar paksh)में हर तिथि का एक अलग ही महत्व होता है. भले ही इस पक्ष में कोई शुभ काम न होता हो, लेकिन इन 15 दिनों में किया गया दान पुण्य काफी सार्थक माना जाता है. वहीं, शुक्रवार को चतुर्थी श्राद्ध है. इस तिथि को जिस व्यक्ति की मृत्यु होती है उसका श्राद्ध (Sradh) इस तिथि को करने से मृत व्यक्ति के आत्मा को तृप्ति मिलती है और वो आशिर्वाद देते हैं.

chaturthi shradh on friday
शुक्रवार को चतुर्थी श्राद्ध
author img

By

Published : Sep 23, 2021, 9:14 PM IST

रायपुरः कहते हैं कि पितरों का ऋण (Pitron ka rin) चुकाना एक जीवन में संभव ही नहीं. यानी कि उनके द्वारा संसार त्याग कर चले जाने के उपरांत भी श्राद्ध (Sradh) करते रहने से उनका ऋण चुकाने की परंपरा (Tradition) है. श्राद्ध से जो भी कुछ देने का हम संकल्प लेते हैं. वह सब कुछ उन पूर्वजों को अवश्य प्राप्त होता है. श्राद्ध पक्ष सोलह दिन तक आश्विन मास की पूर्णिमा से अमावस्या तक रहता है. जिस तिथि में जिस पूर्वज का स्वर्गवास हुआ हो उसी तिथि को उनका श्राद्ध किया जाता है. वहीं, जिनकी तिथि का पता न हो, उन सबका श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है.

श्रद्धालु देवप्रयाग के संगम में पितरों का कर रहे तर्पण, श्रीराम ने पिता का यहीं किया था पिंडदान

चतुर्थी श्राद्धः

कहा जाता है कि शुक्ल/कृष्ण पक्ष दोनों में से किसी भी चतुर्थी तिथि को जिस भी व्यक्ति की मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध चतुर्थी तिथि के दिन किया जाता है. ऐसा करने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है और वे तृप्त हो हमें आशिर्वाद देते हैं.

ये है हर तिथि का महत्व

-कहते हैं कि जो पूर्णमासी के दिन श्राद्धादि करता है उसकी बुद्धि, पुष्टि, स्मरणशक्ति, धारणाशक्ति, पुत्र-पौत्रादि एवं ऐश्वर्य की वृद्धि होती है.

-प्रतिपदा धन-सम्पत्ति के लिए होती है एवं श्राद्ध करनेवाले की प्राप्त वस्तु नष्ट नहीं होती.

-द्वितिया को श्राद्ध करने वाला व्यक्ति राजा होता है.

-उत्तम अर्थ की प्राप्ति के अभिलाषी को तृतीया विहित है. यही तृतीया शत्रुओं का नाश करने वाली और पाप नाशिनी है.

-पंचमी तिथि को श्राद्ध करने वाला उत्तम लक्ष्मी की प्राप्ति करता है.

-जो षष्ठी तिथि को श्राद्धकर्म संपन्न करता है उसकी पूजा देवता लोग करते हैं.

-जो सप्तमी को श्राद्धादि करता है उसको महान यज्ञों के पुण्यफल प्राप्त होते हैं और वह गणों का स्वामी होता है.

-जो अष्टमी को श्राद्ध करता है वह सम्पूर्ण समृद्धियां प्राप्त करता है.

-नवमी तिथि को श्राद्ध करने वाला प्रचुर ऐश्वर्य एवं मन के अनुसार अनुकूल चलने वाली स्त्री को प्राप्त करता है.

-दशमी तिथि को श्राद्ध करने वाला मनुष्य ब्रह्मत्व की लक्ष्मी प्राप्त करता है.

-एकादशी का श्राद्ध सर्वश्रेष्ठ दान है. वह समस्त वेदों का ज्ञान प्राप्त कराता है. उसके सम्पूर्ण पापकर्मों का विनाश हो जाता है तथा उसे निरंतर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

-द्वादशी तिथि के श्राद्ध से राष्ट्र का कल्याण तथा प्रचुर अन्न की प्राप्ति कही गई है.

-त्रयोदशी के श्राद्ध से संतति, बुद्धि, धारणाशक्ति, उत्तम पुष्टि, दीर्घायु तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

रायपुरः कहते हैं कि पितरों का ऋण (Pitron ka rin) चुकाना एक जीवन में संभव ही नहीं. यानी कि उनके द्वारा संसार त्याग कर चले जाने के उपरांत भी श्राद्ध (Sradh) करते रहने से उनका ऋण चुकाने की परंपरा (Tradition) है. श्राद्ध से जो भी कुछ देने का हम संकल्प लेते हैं. वह सब कुछ उन पूर्वजों को अवश्य प्राप्त होता है. श्राद्ध पक्ष सोलह दिन तक आश्विन मास की पूर्णिमा से अमावस्या तक रहता है. जिस तिथि में जिस पूर्वज का स्वर्गवास हुआ हो उसी तिथि को उनका श्राद्ध किया जाता है. वहीं, जिनकी तिथि का पता न हो, उन सबका श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है.

श्रद्धालु देवप्रयाग के संगम में पितरों का कर रहे तर्पण, श्रीराम ने पिता का यहीं किया था पिंडदान

चतुर्थी श्राद्धः

कहा जाता है कि शुक्ल/कृष्ण पक्ष दोनों में से किसी भी चतुर्थी तिथि को जिस भी व्यक्ति की मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध चतुर्थी तिथि के दिन किया जाता है. ऐसा करने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है और वे तृप्त हो हमें आशिर्वाद देते हैं.

ये है हर तिथि का महत्व

-कहते हैं कि जो पूर्णमासी के दिन श्राद्धादि करता है उसकी बुद्धि, पुष्टि, स्मरणशक्ति, धारणाशक्ति, पुत्र-पौत्रादि एवं ऐश्वर्य की वृद्धि होती है.

-प्रतिपदा धन-सम्पत्ति के लिए होती है एवं श्राद्ध करनेवाले की प्राप्त वस्तु नष्ट नहीं होती.

-द्वितिया को श्राद्ध करने वाला व्यक्ति राजा होता है.

-उत्तम अर्थ की प्राप्ति के अभिलाषी को तृतीया विहित है. यही तृतीया शत्रुओं का नाश करने वाली और पाप नाशिनी है.

-पंचमी तिथि को श्राद्ध करने वाला उत्तम लक्ष्मी की प्राप्ति करता है.

-जो षष्ठी तिथि को श्राद्धकर्म संपन्न करता है उसकी पूजा देवता लोग करते हैं.

-जो सप्तमी को श्राद्धादि करता है उसको महान यज्ञों के पुण्यफल प्राप्त होते हैं और वह गणों का स्वामी होता है.

-जो अष्टमी को श्राद्ध करता है वह सम्पूर्ण समृद्धियां प्राप्त करता है.

-नवमी तिथि को श्राद्ध करने वाला प्रचुर ऐश्वर्य एवं मन के अनुसार अनुकूल चलने वाली स्त्री को प्राप्त करता है.

-दशमी तिथि को श्राद्ध करने वाला मनुष्य ब्रह्मत्व की लक्ष्मी प्राप्त करता है.

-एकादशी का श्राद्ध सर्वश्रेष्ठ दान है. वह समस्त वेदों का ज्ञान प्राप्त कराता है. उसके सम्पूर्ण पापकर्मों का विनाश हो जाता है तथा उसे निरंतर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

-द्वादशी तिथि के श्राद्ध से राष्ट्र का कल्याण तथा प्रचुर अन्न की प्राप्ति कही गई है.

-त्रयोदशी के श्राद्ध से संतति, बुद्धि, धारणाशक्ति, उत्तम पुष्टि, दीर्घायु तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.