रायपुर: छत्तीसगढ़ का बजट सोमवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बतौर वित्त मंत्री पेश किया. हर तबके के लोगों को कुछ ना कुछ सौगात मिली है. इस बजट को लेकर ईटीवी भारत ने व्यापारी किसान और कर्मचारी वर्ग से बात की. कुछ ने बजट को सराहा तो कुछ लोगों ने बजट को निराशाजनक बताया. कहा कि "यह बजट उनकी अपेक्षाओं और उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा." वहीं कर्मचारी नेता ने बजट को भरोसे का बजट ना बताकर ' पराए के भरोसे का बजट' बताया.
बजट के बाद बेरंग हो गई होली: सरकारी कर्मचारी विजय डागा का कहना है कि "बजट से शासकीय कर्मचारियों को काफी कुछ उम्मीदें और अपेक्षाएं थीं, लेकिन वह पूरी नहीं हो सकीं. होली का त्यौहार भी नजदीक है और इस होली त्यौहार में बजट पेश होने के बाद यह त्योहार भी बेरंग हो गया. तमाम तरह के धरना प्रदर्शन करने के बाद भी बजट में नतीजा शून्य रहा. महंगाई भत्ता वेतन विसंगति जैसे मुद्दों को सरकार ने इस बजट में दरकिनार कर दिया है."
अनियमित कर्मचारियों के हाथ रहे खाली: कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने कहा कि "सरकार ने बजट में अनियमित कर्मचारियों के बारे में किसी तरह की कोई भी बात नहीं कही है. प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ता और गृह भाड़ा भत्ता जैसे मुद्दों पर भी सरकार ने इस बजट में कोई प्रावधान नहीं किया." उन्होंने बताया कि "साल 2004 के बाद नियुक्त शासकीय कर्मचारियों को 18 साल के एरियर्स की राशि वापस दिलाने के लिए इस बजट में कोई चर्चा नहीं की गई. एक एक कर्मचारियों का 5 से 7 लाख रुपये डूब गया है. इस बजट से प्रदेश के शासकीय कर्मचारी असंतुष्ट हैं."
बाजार में आएगा पैसा तो बढ़ेगा व्यापार: सोमवार को पेश किए गए बजट को लेकर व्यापारियों का कहना है कि "बजट लोकलुभावन होने के साथ ही स्वागत योग्य है. इसमें गरीबों और निराश्रित लोगों को राहत दी गई है. इसके साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय भी बढ़ाया गया है. यही पैसा बाजार में आएगा, जिससे व्यापार भी बढ़ेगा. पहले व्यापारी टैक्स को लेकर चिंतित और परेशान रहते थे, लेकिन जीएसटी आने के बाद टैक्स से छुटकारा मिल गया है."
किसानों के बोनस को लेकर नहीं की गई चर्चा: किसान नेता योगेंद्र सोनबेर ने कहा कि "पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने किसानों को 2 साल का बोनस दिए जाने की घोषणा की थी. इस सरकार ने अपने घोषणा पत्र में इसे शामिल भी किया था. बजट में बोनस को लेकर किसानों में उत्साह था, लेकिन बोनस को लेकर कोई भी चर्चा इस बजट में नहीं की गई." किसान नेता का कहना है कि "अब पता नहीं यह बोनस मिलेगा भी या नहीं. छत्तीसगढ़ में कृषि उपज मंडी पूरी तरह से बंद पड़ी हुई है. ऐसे में प्रदेश के किसान अपनी उपज को कहां और कैसे बेचेंगे यह एक बड़ा सवाल है."