रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने बस संचालकों की मांगों को मानने के बाद बस संचालन शुरू कर दिया गया है. 5 जुलाई से बसें सड़कों पर निकल पड़ी है, लेकिन बस संचालकों को सवारी नहीं मिलने के कारण निराशा है. छत्तीसगढ़ में लगभग डेढ़ हजार बसों को चलाने की अनुमति थी, लेकिन अभी 10 प्रतिशत ही बसों का संचालन हो रहा है. इसके बावजूद बस मालिकों को डीजल तक के पैसे नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे अब बसें फिर से स्टैंड में खड़ी नजर आ रही है.
बस संचालकों को कहना है कि जिस रूट पर पहले 10 से 15 बसें चला करती थी, उस रूट में आज 1 से 2 बसें ही चला रही है. इसके लिए भी सवारी नहीं मिल रही है, जिससे एक बार फिर से बसें स्टैंड में ही खड़ी है. हालांकि कुछ लोग बाहर निकल भी रहे हैं, लेकिन जितने लोग बाहर निकल रहे हैं, उससे बसों के डीजल का खर्च भी नहीं निकल रहा है.
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सवारियों को कोरोना डर
बस संचालकों का कहना है कि लोगों के मन में अभी भी कोरोना का डर है, जिससे कोई भी बसों में सफर करने को राजी नहीं है. इसके साथ ही स्कूल कॉलेज बंद पड़े हैं, जिससे स्टूडेंट भी बसों में नहीं आ रहे हैं, जो बच्चे जगदलपुर जाते थे, दंतेवाड़ा जाते थे, वह अब निकल नहीं रहे हैं, जिससे बसें खाली पड़ी है. स्कूल-कॉलेज खुलने के बाद यात्रियों की संख्या में इजाफा हो सकता है. संचालक ने बताया कि पहले हर 15 मिनट में बसें निकलती थी, जो अब 2 घंटे में निकल रही है. फिर भी बसें सड़कों पर खाली ही दौड़ रही है.
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सामानों को भी किया जा रहा सैनिटाइज
यातायात महासंघ के सदस्य ने बताया कि बसों में कोरोना से बचाव को लेकर विशेष ध्यान रखा गया है. जो भी यात्री बसों में चढ़े रहे हैं, उनकी थर्मल स्क्रिनिंग किया जा रहा है. साथ ही मास्क और सैनिटाइजर इस्तेमाल कराकर ही यात्रियों को बस के अंदर आने की अनुमति दी जा रही है. यात्रियों के सामानों को भी सैनिटाइज किया जा रहा है, जिससे कोरोना संक्रमण का खतरा न रहे. इसके बाद भी सवारी कम देखने को मिल रहे हैं.
बस यात्री भी परेशान
इधर, यात्रियों का कहना है कि पहले की तरह बस न चलने की वजह से वह भी काफी परेशान हैं. उन्हें दो-दो घंटे बसों का इंतजार करना पड़ता है. कई बार तो दूर की बसें मिल ही नहीं पाती है. जिससे उन्हें वापस लौटना पड़ता है.