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बस संचालन में हो रही परेशानी को लेकर केंद्रीय वित्त और परिवहन मंत्री को लिखा पत्र - केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

कोरोना वायरस की मार बस संचालकों पर ऐसी पड़ी है कि बस मालिक अब टैक्स चुकाने के हाल में नहीं हैं. छत्तीसगढ़ में तीन महीने से लॉकडाउन के कारण प्राइवेट और सरकारी बसों का संचालन बंद है. जिससे बस संचालकों के सामने बड़ी आर्थिक परेशानी खड़ी हो गई है.

Trouble in operating buses
प्रमोद दुबे, नगर निगम सभापति
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Published : Jun 28, 2020, 2:08 PM IST

रायपुर: लॉकडाउन के वक्त से छत्तीसगढ़ में प्राइवेट बसों का संचालन बंद है. अब अनलॉक 1.0 में कुछ संस्थानों को खोलने की अनुमति दी गई है, लेकिन निजी बसें अब खड़ी है. हालांकि सरकार ने कुछ नियमों के साथ बस संचालन के लिए अनुमति दे दी है, लेकिन बस संचालकों का कहना है कि, तीन महीने से बंदी और लगातार डीजल-पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि के कारण बस संचालन में काफी दिक्कतें आ रही है. बस संचालकों ने इसके लिए सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

प्रमोद दुबे, सभापति, नगर निगम रायपुर

वित्त मंत्री और परिवहन मंत्री को पत्र

रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे ने बताया कि बस का व्यापार बाकि व्यापार से अलग है. लॉकडाउन के दौरान तीन महीने तक गाड़ियां खड़ी रही, लेकिन केंद्र सरकार से जो बस संचालकों को रियायत मिलनी चाहिए थी, वो नहीं मिली है. इसके लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय परिवहन मंत्री को पत्र लिखा गया है.

सीएम को भी लिखा गया था पत्र

दूबे का कहना है कि, शिक्षित बेरोजगार योजना से सारी बसें फाइनेंस की गई है, लेकिन अगर तीन महीने के बाद बस संचालन किया जाता है, तो उसकी EMI पटाना संचालकों के लिए मुश्किल हो जाएगा. हालांकि, राज्य सरकार ने बस संचालकों को रियायत देते हुए दो महीने का टैक्स माफ किया है, लेकिन ये राहत बस संचालकों के लिए उतनी बड़ी नहीं है.

पढ़ें- टेंडर के अभाव में थमे सिटी बस के पहिए, निगम से आस लगाए बैठी बस्तर की जनता

बसों का संचालन हुआ मुश्किल
नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे ने बताया कि बसों के संचालन में जहां मुश्किलें आ रही है, वहीं पिछले 12 दिनों में डीजल और पेट्रोल के दाम भी बढ़े हैं. ऐसे में किस रेट पर बस का संचालन किया जाएगा, यह तय नहीं है. लॉकडाउन में तीन महीने से गाड़ी खड़ी रहने के कारण मेंटेनेंस भी नहीं हो पाया है.

टैक्स पे करना हो रहा मुश्किल

प्राइवेट बस संचालक ने बताया कि बस को खड़े रखने का नियम आई फार्म और एम फार्म के तहत होता है. जिसमें बस संचालकों को टैक्स देना पड़ता है. जिसके बाद संचालकों को बस रखने और उसका टैक्स देने में मुश्किल हो रहा है. बस संचालकों ने राज्य सराकर ने मांग की है कि एम फॉर्म और आई फॉर्म में संशोधन कर उन्हें रियायत दी जाए. संचालकों का कहना है कि अगर वे 30 प्रतिशत बस चलाते हैं तो सिर्फ उन्हीं बसों का टैक्स वसूला जाए. संचालकों का कहना है कि जो टैक्स एडवांस में पटाते हैं. इस कड़ी में लॉकडाउन होने पर एडवांस टैक्स सारी बसों का पटा पाना संभव नहीं है. जब तक यह सारी चीजें स्पष्ट नहीं हो पाएंगी तब तक बसों का संचालन कर पाना मुश्किल है.

रायपुर: लॉकडाउन के वक्त से छत्तीसगढ़ में प्राइवेट बसों का संचालन बंद है. अब अनलॉक 1.0 में कुछ संस्थानों को खोलने की अनुमति दी गई है, लेकिन निजी बसें अब खड़ी है. हालांकि सरकार ने कुछ नियमों के साथ बस संचालन के लिए अनुमति दे दी है, लेकिन बस संचालकों का कहना है कि, तीन महीने से बंदी और लगातार डीजल-पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि के कारण बस संचालन में काफी दिक्कतें आ रही है. बस संचालकों ने इसके लिए सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

प्रमोद दुबे, सभापति, नगर निगम रायपुर

वित्त मंत्री और परिवहन मंत्री को पत्र

रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे ने बताया कि बस का व्यापार बाकि व्यापार से अलग है. लॉकडाउन के दौरान तीन महीने तक गाड़ियां खड़ी रही, लेकिन केंद्र सरकार से जो बस संचालकों को रियायत मिलनी चाहिए थी, वो नहीं मिली है. इसके लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय परिवहन मंत्री को पत्र लिखा गया है.

सीएम को भी लिखा गया था पत्र

दूबे का कहना है कि, शिक्षित बेरोजगार योजना से सारी बसें फाइनेंस की गई है, लेकिन अगर तीन महीने के बाद बस संचालन किया जाता है, तो उसकी EMI पटाना संचालकों के लिए मुश्किल हो जाएगा. हालांकि, राज्य सरकार ने बस संचालकों को रियायत देते हुए दो महीने का टैक्स माफ किया है, लेकिन ये राहत बस संचालकों के लिए उतनी बड़ी नहीं है.

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बसों का संचालन हुआ मुश्किल
नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे ने बताया कि बसों के संचालन में जहां मुश्किलें आ रही है, वहीं पिछले 12 दिनों में डीजल और पेट्रोल के दाम भी बढ़े हैं. ऐसे में किस रेट पर बस का संचालन किया जाएगा, यह तय नहीं है. लॉकडाउन में तीन महीने से गाड़ी खड़ी रहने के कारण मेंटेनेंस भी नहीं हो पाया है.

टैक्स पे करना हो रहा मुश्किल

प्राइवेट बस संचालक ने बताया कि बस को खड़े रखने का नियम आई फार्म और एम फार्म के तहत होता है. जिसमें बस संचालकों को टैक्स देना पड़ता है. जिसके बाद संचालकों को बस रखने और उसका टैक्स देने में मुश्किल हो रहा है. बस संचालकों ने राज्य सराकर ने मांग की है कि एम फॉर्म और आई फॉर्म में संशोधन कर उन्हें रियायत दी जाए. संचालकों का कहना है कि अगर वे 30 प्रतिशत बस चलाते हैं तो सिर्फ उन्हीं बसों का टैक्स वसूला जाए. संचालकों का कहना है कि जो टैक्स एडवांस में पटाते हैं. इस कड़ी में लॉकडाउन होने पर एडवांस टैक्स सारी बसों का पटा पाना संभव नहीं है. जब तक यह सारी चीजें स्पष्ट नहीं हो पाएंगी तब तक बसों का संचालन कर पाना मुश्किल है.

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