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रेवती और अश्विनी नक्षत्र के संयोग में मनाया जा रहा बुध प्रदोष व्रत - भगवान शिव की पूजा

मास शिवरात्रि का व्रत हर ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष को मनाया जाता है. बुध प्रदोष व्रत मास शिवरात्रि व्रत के साथ मनाया जा रहा है. आज के दिन भगवान भोलेनाथ अनादि शंकर, बुध शंकर और तत्व शंकर की पूजा के लिए यह व्रत सर्वोत्तम माना गया है.

Budh Pradosh vrat
बुध प्रदोष व्रत का दिन
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Published : May 17, 2023, 11:36 PM IST

बुध प्रदोष व्रत का दिन

रायपुर: रेवती नक्षत्र, अश्विनी नक्षत्र, आयुष्मान योग, उत्पात योग, बव और ववकरण का शुभ संयोग में 17 मई को बुध प्रदोष व्रत का दिन बन रहा है. इस दिन सुबह उठकर स्नान ध्यान योग आदि से निवृत्त होकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. भगवान भोलेनाथ योग के भी आदि गुरु माने जाते हैं. योग की उत्पत्ति भगवान भोलेनाथ द्वारा ही की गई है. प्रदोष व्रत के दिन निश्चित तौर पर योगासन, प्राणायाम और ध्यान का उपयोग करना चाहिए. ध्यान करने से भोले बाबा प्रसन्न होते हैं सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

"आज के दिन विभिन्न सुगंधित एवं शुद्ध फूलों को भी भगवान को अर्पित करना चाहिए. इसके साथ ही भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र आक धतूरा आदि फूलों के द्वारा भी अभिषेक किया जाना चाहिए. बुधवार होने की वजह से बेलपत्र अच्छी मात्रा में और सुंदर-सुंदर अर्पित किया जाना चाहिए. भगवान भोलेनाथ जी को गुड़, चना, शक्कर, अक्षत, गोपी चंदन, अष्ट चंदन, रक्त चंदन, मलयालम चंदन का भी अभिषेक पूरी श्रद्धा के साथ करना चाहिए. प्रदोष व्रत के दिन निराहार फलाहारी निर्जला उपवास किया जा सकता है." -पंडित विनीत शर्मा, ज्योतिष

उत्तर दिशा की ओर मुख करके करें ध्यान: भगवान शिव को मन में स्मरण करते हुए ध्यान उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए. भगवान भोलेनाथ को ध्यान धरने पर उनकी कृपा विशेष रूप से प्राप्त होती है. भगवान भोलेनाथ नीलांबर भी माने जाते हैं. इसलिए इस शुभ दिन नीले वस्त्र पहनकर या महिलाएं नीली साड़ी पहनकर इस व्रत को करें. पति-पत्नी जिनके पारिवारिक जीवन में तनाव, दबाव और मत भिन्नता है, उन्हें यह व्रत जरूर करना चाहिए. ऐसी कुंवारी कन्याएं जिनके विवाह में बाधा आ रही है. उन सभी कन्याओं को इस व्रत का पालन करना चाहिए.

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  1. Somvar Vrat: सोमवार का व्रत करने से मिलता है मनवांछित वर, इस विधि से करें पूजा
  2. Shiv Pooja : छह सौ साल पुराना शिवमंदिर, हैहयवंशी राजा ने की थी स्थापना
  3. पैतृक जमीन में भगवान शंकर मां पार्वती का नाम, जनपद सदस्य का दावा, विरोध में ग्रामीण


2 घंटे 24 मिनट प्रदोषकाल: पंडित विनीत शर्मा के मुताबिक बुधवार शाम 5:19 से लेकर 7:43 तक शुभ प्रदोष काल माना गया है. इस प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने पर अच्छे परिणाम मिलते हैं. ऐसी मान्यता है भगवान प्रसन्न होकर कैलाश पर्वत पर इस समय आनंद के साथ नृत्य करते हैं. इस समय विशेष में महामृत्युंजय मंत्र, शिव सहस्त्रनाम, राम रक्षा स्त्रोत और हनुमान चालीसा का पाठ किया जा सकता है.

बुध प्रदोष व्रत का दिन

रायपुर: रेवती नक्षत्र, अश्विनी नक्षत्र, आयुष्मान योग, उत्पात योग, बव और ववकरण का शुभ संयोग में 17 मई को बुध प्रदोष व्रत का दिन बन रहा है. इस दिन सुबह उठकर स्नान ध्यान योग आदि से निवृत्त होकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. भगवान भोलेनाथ योग के भी आदि गुरु माने जाते हैं. योग की उत्पत्ति भगवान भोलेनाथ द्वारा ही की गई है. प्रदोष व्रत के दिन निश्चित तौर पर योगासन, प्राणायाम और ध्यान का उपयोग करना चाहिए. ध्यान करने से भोले बाबा प्रसन्न होते हैं सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

"आज के दिन विभिन्न सुगंधित एवं शुद्ध फूलों को भी भगवान को अर्पित करना चाहिए. इसके साथ ही भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र आक धतूरा आदि फूलों के द्वारा भी अभिषेक किया जाना चाहिए. बुधवार होने की वजह से बेलपत्र अच्छी मात्रा में और सुंदर-सुंदर अर्पित किया जाना चाहिए. भगवान भोलेनाथ जी को गुड़, चना, शक्कर, अक्षत, गोपी चंदन, अष्ट चंदन, रक्त चंदन, मलयालम चंदन का भी अभिषेक पूरी श्रद्धा के साथ करना चाहिए. प्रदोष व्रत के दिन निराहार फलाहारी निर्जला उपवास किया जा सकता है." -पंडित विनीत शर्मा, ज्योतिष

उत्तर दिशा की ओर मुख करके करें ध्यान: भगवान शिव को मन में स्मरण करते हुए ध्यान उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए. भगवान भोलेनाथ को ध्यान धरने पर उनकी कृपा विशेष रूप से प्राप्त होती है. भगवान भोलेनाथ नीलांबर भी माने जाते हैं. इसलिए इस शुभ दिन नीले वस्त्र पहनकर या महिलाएं नीली साड़ी पहनकर इस व्रत को करें. पति-पत्नी जिनके पारिवारिक जीवन में तनाव, दबाव और मत भिन्नता है, उन्हें यह व्रत जरूर करना चाहिए. ऐसी कुंवारी कन्याएं जिनके विवाह में बाधा आ रही है. उन सभी कन्याओं को इस व्रत का पालन करना चाहिए.

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2 घंटे 24 मिनट प्रदोषकाल: पंडित विनीत शर्मा के मुताबिक बुधवार शाम 5:19 से लेकर 7:43 तक शुभ प्रदोष काल माना गया है. इस प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने पर अच्छे परिणाम मिलते हैं. ऐसी मान्यता है भगवान प्रसन्न होकर कैलाश पर्वत पर इस समय आनंद के साथ नृत्य करते हैं. इस समय विशेष में महामृत्युंजय मंत्र, शिव सहस्त्रनाम, राम रक्षा स्त्रोत और हनुमान चालीसा का पाठ किया जा सकता है.

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