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छत्तीसगढ़ में शराबबंदी पर फिर संग्राम, अबतक क्यों नहीं हुई शराबबंदी?

Liquor Prohibition in Chhattisgarh छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के पहले अपने जन घोषणा पत्र में शराबबंदी का वादा किया लेकिन सत्ता पर काबिज हुए लगभग 4 साल पूरे होने के बाद भी प्रदेश में शराबबंदी नहीं हो सकी है. अब भाजपा सहित महिला मोर्चा ने सरकार के खिलाफ शराबबंदी मामले को लेकर जोरदार हमला करने की तैयारी कर ली है. कांग्रेस ने भी भाजपा को मुंहतोड़ जवाब देने की रणनीति बनाई है. इस बीच यह सवाल भी बार बार उठता है कि आखिर 4 साल बाद भी छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी क्यों नहीं हो सकी है?

छत्तीसगढ़ में शराबबंदी पर फिर संग्राम
छत्तीसगढ़ में शराबबंदी पर फिर संग्राम
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Published : Sep 24, 2022, 9:41 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक बार फिर शराबबंदी मामला तूल पकड़ता जा रहा है. कांग्रेस के ही वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा ने इस मुद्दे को हवा दी है. सत्यनारायण शर्मा का हाल ही में बयान आया है कि ''छत्तीसगढ़ में भाजपा के लिए शराबबंदी मुद्दा हो सकता है लेकिन जनता के लिए यह मुद्दा नहीं है. यदि भाजपा को लगता है कि यह मुद्दा है तो सर्वे करा लिया जाए.'' सत्यनारायण ने यह भी कहा कि जहां भाजपा की सरकार है, वहां शराबबंदी कर नहीं कर पा रहे हैं और छत्तीसगढ़ में इसे मुद्दा बना रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में शराबबंदी पर फिर संग्राम

शराबबंदी पर कांग्रेस को घेरेगी भाजपा: सत्यनारायण शर्मा के बयान के बाद भाजपा भड़क गई. भाजपा महिला मोर्चा उपाध्यक्ष मिनी पांडे ने कहा कि ''आज प्रदेश में नशे का कारोबार बढ़ता जा रहा है. शराब की वजह से प्रदेश में अपराध बढ़ रहे हैं. शराब के कारण महिलाओं के साथ अपराध बढ़ रहा है. आज महिलाएं इसकी वजह से सबसे ज्यादा परेशान हैं. वे छेड़छाड़ और घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं. यह आम जनता की समस्या है. यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है. आपने गंगाजल हाथ में लेकर शराबबंदी की कसम खाई थी तो अब शराबबंदी क्यों नहीं कर रहे हैं? आपने गंगा मां की झूठी कसम खाई है. यह हमारी आस्था से जुड़ी हुई है.''

शराबबंदी को लेकर सरकार पर बरसे रमन सिंह: पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी शराबबंदी को लेकर सरकार पर जोरदार हमला बोला है. उन्होंने कहा कि ''आप लोगों ने शराबबंदी का वादा किया था लेकिन शराबबंदी नहीं की गई. यही वजह है कि अब भाजपा गंगाजल के सम्मान में, भाजपा मैदान में, आंदोलन चलाने जा रही है. इसके जरिए सरकार को आईना दिखाने का प्रयास किया जाएगा.''

कांग्रेस का पलटवार: कांग्रेस ने भी भाजपा के आरोपों पर पलटवार किया है. कांग्रेस का कहना है कि शराबबंदी नोटबंदी की तर्ज पर रातो रात नहीं की जा सकती. सबकी रायशुमारी के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा. महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष फूलो देवी नेताम ने कहा कि ''इसके लिए समिति बनाई गई है. समिति में भाजपा ने अपने विधायकों का नाम नहीं दिया है. कोई भी नियम कानून सबकी सहमति से बनाया जाता है. अब चुनाव नजदीक आ रहा है. भाजपा के पास अब कोई मुद्दा नहीं बचा है, इसलिए वह शराबबंदी को मुद्दा बना रही है. इस मामले को लेकर सिर्फ भाजपा के द्वारा राजनीति की जा रही है.''

आखिर क्यों नहीं हो रही शराबबंदी: छत्तीसगढ़ में शराबबंदी ना होने के पीछे कई वजह है. प्रमुख वजह राजस्व की प्राप्ति और अचानक से शराब बंद होने से शराब पीने वालों पर पड़ने वाला असर है. यदि प्रदेश में शराबबंदी की जाती है तो इसका असर राज्य सरकार के खजाने पर भी पड़ेगा. शराब न मिलने की वजह से कई लोग बीमार परेशान हो सकते हैं. यहां तक कि कई लोग शराब के अभाव में अन्य दूसरे नशीले पदार्थों का सेवन कर अपने जीवन के साथ खिलवाड़ भी कर सकते हैं. यही वजह है कि प्रदेश में शराबबंदी को लेकर सरकार पीछे हट रही है.

शराब बिक्री से छत्तीसगढ़ सरकार की अच्छी कमाई: शराब बिक्री से राज्य सरकार को अच्छा खासा राजस्व मिलता है.

साल 2015-16 में 3338.40 करोड़ रुपये
साल 2016-17 में 3443.51 करोड़ रुपये
साल 2017-18 में 4050.00 करोड़ रुपये
साल 2018-19 में 4489.02 करोड़ रुपये
साल 2019-20 में 4952.36करोड़ रुपये
साल 2020-21 में 4635.80 करोड़ रुपये

17.9 प्रतिशत पुरुषों ने छोड़ी शराब: छत्तीसगढ़ में 17.9% पुरुषों ने शराब पीना छोड़ दिया है. यह खुलासा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5, 2019-21 की रिपोर्ट में हुआ है. प्रदेश में 34.8 प्रतिशत पुरुष शराब पी रहे हैं, जबकि 2015-2016 में हुए सर्वे में बताया गया था कि राज्य के 52.7 प्रतिशत पुरुष शराब का नशा करते थे. प्रदेश में हर 100 में 5 महिलाएं भी शराब पी रहीं हैं.

662 शराब दुकानों के हैं 1491 काउंटर: छत्तीसगढ़ में सभी तरह की शराब दुकानों को मिलाकर 662 दुकानें हैं. इसके 1491 काउंटर हैं. विधानसभा में पूछे गए दो अलग अलग प्रश्नों के जवाब में आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने इसकी जानकारी दी थी. विधायक छन्नी चंदू साहू ने सदन में प्रश्न पूछा था कि राज्य में देसी व विदेशी शराब के कितने काउंटर हैं? उन्होंने देसी व विदेशी शराब की अलग अलग दुकानों की जिलेवार जानकारी मांगी थी. इसके जवाब में आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने बताया था कि ''राज्य के सभी जिलों में 199 देसी शराब दुकानों में 422 काउंटर हैं. इसी तरह 304 विदेशी शराब दुकानों में 656 काउंटर हैं.''


राज्य भर में कम्पोजिट मदिरा (देसी व विदेशी दोनों) की 138 दुकानें हैं. इनमें 370 काउंटर हैं. प्रीमियम मदिरा की 21 दुकानों के 43 काउंटर हैं. राज्य भर में सभी तरह की शराब दुकानों को मिलाकर 662 दुकानें हैं. इसके 1491 काउंटर हैं. सबसे ज्यादा दुकानें राजधानी रायपुर में हैं. रायपुर जिले में सभी तरह की शराब दुकानों को मिलाकर 76 शराब दुकानें हैं. इसके कुल 255 काउंटर हैं. राजधानी के बाद न्यायधानी बिलासपुर में सभी तरह की शराब की 69 दुकानें हैं. इनके 136 काउंटर हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक बार फिर शराबबंदी मामला तूल पकड़ता जा रहा है. कांग्रेस के ही वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा ने इस मुद्दे को हवा दी है. सत्यनारायण शर्मा का हाल ही में बयान आया है कि ''छत्तीसगढ़ में भाजपा के लिए शराबबंदी मुद्दा हो सकता है लेकिन जनता के लिए यह मुद्दा नहीं है. यदि भाजपा को लगता है कि यह मुद्दा है तो सर्वे करा लिया जाए.'' सत्यनारायण ने यह भी कहा कि जहां भाजपा की सरकार है, वहां शराबबंदी कर नहीं कर पा रहे हैं और छत्तीसगढ़ में इसे मुद्दा बना रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में शराबबंदी पर फिर संग्राम

शराबबंदी पर कांग्रेस को घेरेगी भाजपा: सत्यनारायण शर्मा के बयान के बाद भाजपा भड़क गई. भाजपा महिला मोर्चा उपाध्यक्ष मिनी पांडे ने कहा कि ''आज प्रदेश में नशे का कारोबार बढ़ता जा रहा है. शराब की वजह से प्रदेश में अपराध बढ़ रहे हैं. शराब के कारण महिलाओं के साथ अपराध बढ़ रहा है. आज महिलाएं इसकी वजह से सबसे ज्यादा परेशान हैं. वे छेड़छाड़ और घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं. यह आम जनता की समस्या है. यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है. आपने गंगाजल हाथ में लेकर शराबबंदी की कसम खाई थी तो अब शराबबंदी क्यों नहीं कर रहे हैं? आपने गंगा मां की झूठी कसम खाई है. यह हमारी आस्था से जुड़ी हुई है.''

शराबबंदी को लेकर सरकार पर बरसे रमन सिंह: पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी शराबबंदी को लेकर सरकार पर जोरदार हमला बोला है. उन्होंने कहा कि ''आप लोगों ने शराबबंदी का वादा किया था लेकिन शराबबंदी नहीं की गई. यही वजह है कि अब भाजपा गंगाजल के सम्मान में, भाजपा मैदान में, आंदोलन चलाने जा रही है. इसके जरिए सरकार को आईना दिखाने का प्रयास किया जाएगा.''

कांग्रेस का पलटवार: कांग्रेस ने भी भाजपा के आरोपों पर पलटवार किया है. कांग्रेस का कहना है कि शराबबंदी नोटबंदी की तर्ज पर रातो रात नहीं की जा सकती. सबकी रायशुमारी के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा. महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष फूलो देवी नेताम ने कहा कि ''इसके लिए समिति बनाई गई है. समिति में भाजपा ने अपने विधायकों का नाम नहीं दिया है. कोई भी नियम कानून सबकी सहमति से बनाया जाता है. अब चुनाव नजदीक आ रहा है. भाजपा के पास अब कोई मुद्दा नहीं बचा है, इसलिए वह शराबबंदी को मुद्दा बना रही है. इस मामले को लेकर सिर्फ भाजपा के द्वारा राजनीति की जा रही है.''

आखिर क्यों नहीं हो रही शराबबंदी: छत्तीसगढ़ में शराबबंदी ना होने के पीछे कई वजह है. प्रमुख वजह राजस्व की प्राप्ति और अचानक से शराब बंद होने से शराब पीने वालों पर पड़ने वाला असर है. यदि प्रदेश में शराबबंदी की जाती है तो इसका असर राज्य सरकार के खजाने पर भी पड़ेगा. शराब न मिलने की वजह से कई लोग बीमार परेशान हो सकते हैं. यहां तक कि कई लोग शराब के अभाव में अन्य दूसरे नशीले पदार्थों का सेवन कर अपने जीवन के साथ खिलवाड़ भी कर सकते हैं. यही वजह है कि प्रदेश में शराबबंदी को लेकर सरकार पीछे हट रही है.

शराब बिक्री से छत्तीसगढ़ सरकार की अच्छी कमाई: शराब बिक्री से राज्य सरकार को अच्छा खासा राजस्व मिलता है.

साल 2015-16 में 3338.40 करोड़ रुपये
साल 2016-17 में 3443.51 करोड़ रुपये
साल 2017-18 में 4050.00 करोड़ रुपये
साल 2018-19 में 4489.02 करोड़ रुपये
साल 2019-20 में 4952.36करोड़ रुपये
साल 2020-21 में 4635.80 करोड़ रुपये

17.9 प्रतिशत पुरुषों ने छोड़ी शराब: छत्तीसगढ़ में 17.9% पुरुषों ने शराब पीना छोड़ दिया है. यह खुलासा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5, 2019-21 की रिपोर्ट में हुआ है. प्रदेश में 34.8 प्रतिशत पुरुष शराब पी रहे हैं, जबकि 2015-2016 में हुए सर्वे में बताया गया था कि राज्य के 52.7 प्रतिशत पुरुष शराब का नशा करते थे. प्रदेश में हर 100 में 5 महिलाएं भी शराब पी रहीं हैं.

662 शराब दुकानों के हैं 1491 काउंटर: छत्तीसगढ़ में सभी तरह की शराब दुकानों को मिलाकर 662 दुकानें हैं. इसके 1491 काउंटर हैं. विधानसभा में पूछे गए दो अलग अलग प्रश्नों के जवाब में आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने इसकी जानकारी दी थी. विधायक छन्नी चंदू साहू ने सदन में प्रश्न पूछा था कि राज्य में देसी व विदेशी शराब के कितने काउंटर हैं? उन्होंने देसी व विदेशी शराब की अलग अलग दुकानों की जिलेवार जानकारी मांगी थी. इसके जवाब में आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने बताया था कि ''राज्य के सभी जिलों में 199 देसी शराब दुकानों में 422 काउंटर हैं. इसी तरह 304 विदेशी शराब दुकानों में 656 काउंटर हैं.''


राज्य भर में कम्पोजिट मदिरा (देसी व विदेशी दोनों) की 138 दुकानें हैं. इनमें 370 काउंटर हैं. प्रीमियम मदिरा की 21 दुकानों के 43 काउंटर हैं. राज्य भर में सभी तरह की शराब दुकानों को मिलाकर 662 दुकानें हैं. इसके 1491 काउंटर हैं. सबसे ज्यादा दुकानें राजधानी रायपुर में हैं. रायपुर जिले में सभी तरह की शराब दुकानों को मिलाकर 76 शराब दुकानें हैं. इसके कुल 255 काउंटर हैं. राजधानी के बाद न्यायधानी बिलासपुर में सभी तरह की शराब की 69 दुकानें हैं. इनके 136 काउंटर हैं.

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