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Babu Chhote Lal Srivastava : बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव जयंती - कंडेल नहर सत्याग्रह

छत्तीसगढ़ में सत्याग्रह आंदोलन के प्रणेता बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव की जयंती पर उन्हें याद किया गया. सीएम भूपेश बघेल ने बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव को श्रद्धांजलि दी. बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव ने अंग्रेजों के खिलाफ कंडेल नहर सत्याग्रह शुरु कर महात्मा गांधी का ध्यान अपनी ओर खींचा था.

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बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव जयंती
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Published : Feb 28, 2023, 4:56 PM IST

रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. मुख्यमंत्री ने बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव की संघर्ष गाथा काल को भी याद किया. सीएम भूपेश ने कहा कि '' छत्तीसगढ़ में स्वाधीनता के लिए जनजागरण में ‘बाबू साहेब‘ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने जनमानस में राष्ट्रप्रेम की भावना जगाकर लोगों को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा. बाबू छोटेलाल के नेतृत्व में शोषण और अन्याय के विरूद्ध आवाज बुलंद हुई. यही वजह है कि उनका नाम उनकी जन्मभूमि कण्डेल गांव के इतिहास में दर्ज हो गया. सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि ''कर्तव्यनिष्ठ और जुझारू व्यक्तित्व के धनी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के विचार आने वाली पीढ़ियों को नई ऊर्जा देते रहेंगे.''

राष्ट्रीय आंदोलनों से जुड़े : स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव का जन्म 28 फरवरी 1889 को हुआ था. पंडित सुंदरलाल शर्मा और पंडित नारायणराव मेघावाले के संपर्क में आकर उन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलनों में भाग लेना शुरू किया. साल 1915 में उन्होंने श्रीवास्तव पुस्तकालय की स्थापना की. धमतरी में उनका घर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख केंद्र था. इसके अलावा वह साल 1918 में धमतरी तहसील राजनीतिक परिषद के प्रमुख आयोजकों में से थे.

कंडेल नहर सत्याग्रह का किया था शुभारंभ :छोटेलाल श्रीवास्तव ने कंडेल नाहर सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया, जो अंग्रेजों के खिलाफ एक विद्रोह था, जिन्होंने किसानों पर बहुत अधिक कर लगाया था और लेवी की वसूली के लिए क्रूरता बरती थी. आंदोलन के जोर पकड़ते ही, महात्मा गांधी ने 21 दिसंबर 1920 को कंडेल गांव का दौरा किया था. कंडेल नहर सत्याग्रह ने भी महात्मा गांधी को गांव का दौरा करने के लिए आकर्षित किया.अपनी यात्रा के दौरान, महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के नेतृत्व और सक्रिय भूमिका की प्रशंसा की. गांधीजी ने कहा था कि ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई में यह पहला सत्याग्रह है.''

ये भी पढ़ें- जानिए राहुल और सोनिया गांधी का स्वागत करने वाले बीरन माला का किस्सा

अंग्रेजों के खिलाफ फूंका बिगुल : बाबू छोटेलाल ने ब्रिटिश राज के अत्याचार के खिलाफ किसानों को संगठित किया. अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरुद्ध संगठित जनशक्ति का यह पहला अभूतपूर्व प्रदर्शन था.वर्ष 1921 में उन्होंने स्वदेशी आंदोलन के लिए खादी उत्पादन केंद्र की स्थापना की. 1922 में श्यामलाल सोम के नेतृत्व में सिहावा में जंगल सत्याग्रह हुआ जिसमें बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव ने उस सत्याग्रह में पूरा सहयोग दिया. उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. जेल में और उसके बाद उन्हें कड़ी यातना दी गई.17 जुलाई 1974 को उनका स्वर्गवास हो गया.

रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. मुख्यमंत्री ने बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव की संघर्ष गाथा काल को भी याद किया. सीएम भूपेश ने कहा कि '' छत्तीसगढ़ में स्वाधीनता के लिए जनजागरण में ‘बाबू साहेब‘ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने जनमानस में राष्ट्रप्रेम की भावना जगाकर लोगों को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा. बाबू छोटेलाल के नेतृत्व में शोषण और अन्याय के विरूद्ध आवाज बुलंद हुई. यही वजह है कि उनका नाम उनकी जन्मभूमि कण्डेल गांव के इतिहास में दर्ज हो गया. सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि ''कर्तव्यनिष्ठ और जुझारू व्यक्तित्व के धनी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के विचार आने वाली पीढ़ियों को नई ऊर्जा देते रहेंगे.''

राष्ट्रीय आंदोलनों से जुड़े : स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव का जन्म 28 फरवरी 1889 को हुआ था. पंडित सुंदरलाल शर्मा और पंडित नारायणराव मेघावाले के संपर्क में आकर उन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलनों में भाग लेना शुरू किया. साल 1915 में उन्होंने श्रीवास्तव पुस्तकालय की स्थापना की. धमतरी में उनका घर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख केंद्र था. इसके अलावा वह साल 1918 में धमतरी तहसील राजनीतिक परिषद के प्रमुख आयोजकों में से थे.

कंडेल नहर सत्याग्रह का किया था शुभारंभ :छोटेलाल श्रीवास्तव ने कंडेल नाहर सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया, जो अंग्रेजों के खिलाफ एक विद्रोह था, जिन्होंने किसानों पर बहुत अधिक कर लगाया था और लेवी की वसूली के लिए क्रूरता बरती थी. आंदोलन के जोर पकड़ते ही, महात्मा गांधी ने 21 दिसंबर 1920 को कंडेल गांव का दौरा किया था. कंडेल नहर सत्याग्रह ने भी महात्मा गांधी को गांव का दौरा करने के लिए आकर्षित किया.अपनी यात्रा के दौरान, महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के नेतृत्व और सक्रिय भूमिका की प्रशंसा की. गांधीजी ने कहा था कि ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई में यह पहला सत्याग्रह है.''

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अंग्रेजों के खिलाफ फूंका बिगुल : बाबू छोटेलाल ने ब्रिटिश राज के अत्याचार के खिलाफ किसानों को संगठित किया. अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरुद्ध संगठित जनशक्ति का यह पहला अभूतपूर्व प्रदर्शन था.वर्ष 1921 में उन्होंने स्वदेशी आंदोलन के लिए खादी उत्पादन केंद्र की स्थापना की. 1922 में श्यामलाल सोम के नेतृत्व में सिहावा में जंगल सत्याग्रह हुआ जिसमें बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव ने उस सत्याग्रह में पूरा सहयोग दिया. उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. जेल में और उसके बाद उन्हें कड़ी यातना दी गई.17 जुलाई 1974 को उनका स्वर्गवास हो गया.

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