रायपुर: बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस ग्रंथ को समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ कहा है. रामचरितमानस की रचना तुलसीदास ने की थी. रामचरितमानस को तुलसीदास जी ने लिखा है. जिसमें भगवान राम के चरित्र का वर्णन किया गया है. पुरुषोत्तम भगवान राम की मर्यादा को रामचरितमानस में लिखा गया है, जिससे सभी लोगों को मर्यादाओं का पालन करते हुए जीवन जीने की सीख मिलती है.
मंत्री के बयान को बताया सनातन का अपमान: बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के द्वारा रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ कहा गया. इस टिप्पणी को लेकर पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने कहा कि "ऐसा कहना सनातन का अपमान है. सनातन का आदर्श ग्रंथ रामचरितमानस है. इस ग्रंथ में तुलसीदास ने मर्यादा के उच्चतम आदर्श प्रस्तुत किए हैं. तुलसीदास जी ने भगवान राम के आदर्श को करीब से समझा और जानने के बाद रामचरितमानस की रचना की. ऐसे में यह कैसे कहा जा सकता है, कि रामचरितमानस समाज में नफरत फैलाने वाला है."
शिक्षा मंत्री को दी रामायण पढ़ने की सलाह: शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस को लेकर यह भी कहा था कि, समाज में दलितों पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई करने से रोकता है या उनका हक दिलाने से रोकता है. इस पर पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने कहा कि "रामराज्य को अगर अच्छे से पढ़े होते, तो पता चलता कि भगवान राम कितने बड़े एकेडमिक सोंच के थे. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब रावण का वध हुआ, उस समय भगवान राम ने लक्ष्मण से कहा कि जाकर राजधर्म सुनो."
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शिक्षा मंत्री को बताया समाज विरोधी: बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान को लेकर पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने कहा कि "मंत्री जी ने जो बात तुलसीदास जी या रामचरितमानस को लेकर कहा है. पहले मंत्री जी को रामचरितमानस अच्छे से पढ़ना चाहिए. तुलसीदास जी को अच्छे से समझना चाहिए. तुलसीदास जी ने कथानक लिखा है, जिसमें नारी के अलग-अलग रूप दिखाए हैं. ऐसा कहने वाले लोग जरूर समाज के विरोधी हैं.राम ने पूरा जीवन जंगल में आदिवासियों और दलितों के बीच बिताया हैं. उनके अधिकारों की रक्षा की. जिसे तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा है."