रायपुर: मधुर संगीत का असर न सिर्फ इंसान बल्कि पशुओं पर भी पड़ता है. जिस तरह मनुष्य संगीत सुनने के बाद अच्छा महसूस करते है. उसी तरह पशुओं भी मधुर संगीत सुनने के बाद अलग ही खुशी महसूस करते हैं. इसका धार्मिक ग्रंथों में भी उदाहरण मिल जाता है. भगवान कृष्ण जी की द्वारा बजने वाली धुन सुन गायें चली आती थी. यह कहावत अब वैज्ञानिक दृष्टि से भी सत्य साबित हो रही है.
मधुर संगीत से बढ़ती है प्रोडक्टिविटी: पशु चिकित्सक डॉ संजय जैन ने बताया कि "संगीत का प्रभाव पशुओं पर अवश्य होता है. यही कारण की बहुत सारे गौशालाओं में आज कल मधुर संगीत बजता है. मधुर संगीत बजाते रहते समय यदि दुहाई की जाती है. तो उनकी प्रोडक्टिविटी ज्यादा दिखाई देती है. वहीं हम यही तड़क-भड़क वाले म्यूजिक लगाते हैं, तो उनके दूध में कमी आती है. मतलब वह स्ट्रेस में आते हैं. तो यह बात इन परिणामों से साबित होती है कि अच्छे ध्वनि का प्रभाव उनके भी मन मस्तिष्क में अच्छा पड़ता है. वह काम इनवाइट रहते हैं और उसके कारण उनकी प्रोडक्टिविटी बढ़ती है."
ऑक्सीटोसिन हार्मोंस को करती है सक्रिय: डॉ संजय जैन ने बताया कि "करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसन्धान संस्थान में इस तरह का शोध किया जा रहा है. जिसमें रोज दूध देते समय दुध देने वाले पशु को बांसुरी या संगीत सुनाई जाती है. इससे संगीत सुनने वाले पशु का स्वास्थ्य के साथ दूध उत्पादन भी बढ़ता है. जिसके बाद से यहां रोज सुबह शाम गायों को संगीत सुनाई जाती है. शोध के अनुसार संगीत की तरंगें गाय के मस्तिष्क में ऑक्सीटोसिन हार्मोंस को सक्रिय करती है और गाय को दूध देने के लिए प्रेरित करती हैं."
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दुग्ध उत्पादन में 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी का दावा: डॉ संजय जैन ने बताया कि "इतना ही नहीं राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना में खेतडी रोड पर श्रीगोपाल गौशाला है. जहां गायों को रोज सुबह शाम तीन घंटे म्यूजिक सुनाया जाता है. गौशाला प्रबन्धकों ने दावा किया कि ऐसा करने पर 20 प्रतिशत दुग्ध उत्पादन बढ़ा है. ऐसे ही कई अन्य दावे किए गए हैं. जिसमें बताया गया है कि मधुर संगीत की आवाज सुनकर पशु ज्यादा दूध देते हैं. इस तरह के सोशल मीडिया पर कई वीडियो भी वायरल हुए हैं."