रायपुर: नेशनल हेल्थ सर्वे रिपोर्ट में यह सामने आया है कि, छत्तीसगढ़ में हर साल एनीमिया से पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. भारत में पुरुषों के मुकाबले ज्यादातर महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं. पूरे भारत में 80% से ज्यादा गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं. छत्तीसगढ़ में 51% गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं. 6 महीने से 5 वर्ष के आयु तक 67.2% बच्चे प्रदेश में एनीमिया से पीड़ित हैं. यही वजह है कि पिछले 3 साल में कुपोषण की वजह से प्रदेश में 25000 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई है.
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छत्तीसगढ़ में एनीमिया मरीजों से जुडे़ आंकड़े
आयु वर्ग | एनीमिया मरीज |
सामान्य महिलाएं ( 15 से 49 आयु ) | 61.2% |
गर्भवती महिलाएं ( 15 से 49 आयु ) | 51.8% |
पुरुष ( 15 से 49 आयु ) | 27% |
बच्चे ( 6 महीने से 5 साल ) | 67.2% |
क्या होता है एनीमिया
एनीमिया का अर्थ शरीर में खून की कमी से है. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन एक ऐसा तत्व है, जो शरीर में खून की मात्रा बताता है. पुरुषों में इसकी मात्रा 12% से 16%, महिलाओं में 11% से 14% के बीच होनी चाहिए. भारत में 80% से ज्यादा गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सभी जिलों के कलेक्टरों को कुपोषण, गर्भवती महिलाओं का सुपोषण सुनिश्चित करने के लिए आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराने को कहा है. महिलाओं में गंभीर बीमारी को लेकर शत-प्रतिशत जांच और गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए स्वास्थ्य केंद्र में ज्यादा से ज्यादा सुविधा मुहैया कराई जाए. जरूरत पड़े तो प्रेग्नेंसी के समय अगर किसी महिला को समस्या हो रही है तो प्राथमिक तौर पर उसका उपचार करें.
एनीमिया के मरीजों में हार्ट फेल होने के ज्यादा चांस
अंबेडकर हॉस्पिटल स्त्री रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. ज्योति जायसवाल ने बताया कि खून में जब हीमोग्लोबिन की कमी होती है, उसको हम एनीमिया कहते हैं. एनीमिया माइल्ड , मॉडरेट और सीवियर तीनों तरीके से होता है. हिंदुस्तान के लोगों में माइल्ड एनीमिया काफी कॉमन है. इसको इग्नोर नहीं किया जाना चाहिए. ऐसे कई कारण हैं, जिससे भारत में काफी ज्यादा एनीमिया के मरीज देखने को मिलते हैं. चाहे वह पोषण से रिलेटेड हो या अन्य कारण हो. हॉस्पिटल में मॉडरेट और सीवियर एनीमिया के मरीज भी काफी ज्यादा देखने को मिलते हैं. यहां तक कि सीवियर एनीमिया के पेशेंट के मरीजों में हार्ट फैलियर होने का चांस काफी ज्यादा रहता है. अगर किसी व्यक्ति को सीवियर एनीमिया है और उसके शरीर पर काम का बोझ या अगर महिला है तो प्रेग्नेंसी का बोझ पड़ता है तो इससे हार्ट फेलियर भी हो सकता है.
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में एनीमिया के मरीज ज्यादा
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में एनीमिया के मरीज ज्यादा देखने को मिलते हैं. गर्भवती महिलाओं के खून में हीमोग्लोबिन कम होने के चांसेस और ज्यादा बढ़ जाते हैं. मान लीजिए अगर किसी गर्भवती महिला के खून में 10% हीमोग्लोबिन है तो प्रेग्नेंसी के दौरान काफी सारे कारणों की वजह से ऑटोमेटेकली 2% हीमोग्लोबिन और कम हो जाता है. इससे एनीमिया होने का चांस और ज्यादा होता है. आईसीएमआर हमें कहता है कि अगर किसी व्यक्ति में 10% से कम हीमोग्लोबिन है तो उसको एनीमिया है. हालांकि एनीमिया को लेकर सरकार काफी जागरूक है. इसको लेकर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों में कैंप भी लगाए जाते हैं. लोगों को जागरूक करने का काम भी सरकार करती है.
एनीमिया के लक्षण
• नाखून और पलकों के अंदर सफेदी
• कमजोरी, बहुत ज्यादा थकान
• चक्कर आना
• बेहोश होना
• सांस फूलना
• हृदय गति का तेज होना
• त्वचा का सफेद दिखना
एनीमिया के कारण
• शरीर में आयरन की कमी
• मलेरिया के बाद लाल रक्त कण नष्ट हो जाना
• पेट में अल्सर
• पेट के कीड़ों और परजीवियों के कारण खूनी दस्त लगना
एनीमिया का उपचार
• जिन सब्जियों में भरपूर आयरन हो उसको ग्रहण करना
• विटामिन 'ए', विटामिन 'सी' युक्त सब्जियों का सेवन करना
• काली चाय और कॉफी पीने से बचें
• संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छ पानी का इस्तेमाल करें
• खाना लोहे की कढ़ाई में बनाएं