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Ancient Shani Dev Temple: बाल रूप में विराजे शनि देव को 5 शनिवार चढ़ाएं तेल, बदल जाएगा भाग्य - रायपुर का शनि मंदिर

रायपुर सहित देशभर में आपने कई शनि मंदिर देखे होंगे. शनि मंदिरों में शनिदेव का रौद्र रूप ही देखने को मिलता है. भगवान शनि कौवा या फिर भैंस के ऊपर सवार दिखाई पड़ते हैं. लेकिन राजधानी रायपुर में भगवान शनि देव का प्राचीन मंदिर स्थित है. यहां शनि भगवान बाल रूप में हाथी के ऊपर सवार दिखाई पड़ रहे हैं. Shani Temple of Raipur

Ancient Shani Dev Temple
रायपुर का प्राचीन शनि देव मंदिर
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Published : Feb 11, 2023, 6:39 AM IST

रायपुर का प्राचीन शनि देव मंदिर

रायपुर: शनि मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा ने बताया कि "भगवान शनि सूर्यपुत्र होने के साथ ही छाया पुत्र भी हैं. शनिदेव को काली चीजों से प्रेम है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शनिदेव को 5 शनिवार तेल और तिल चढ़ाने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है." यह राजधानी के सबसे प्राचीन शनि मंदिरों में से एक है. आइए जानते हैं. राजधानी के सबसे प्राचीन शनि मंदिर की और क्या खासियत है.

"250 साल पुराना है शनि मंदिर": शनि मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा ने बताया कि "राजधानी के गोल बाजार के चूड़ी लाइन में स्थित शनि मंदिर लगभग 250 साल से भी ज्यादा पुराना है. शनि मंदिर की देखरेख का काम हमारा पंडित परिवार पिछले 5 पीढ़ियों से करता आ रहा है. शनि मंदिर में शनिवार के दिन भगवान शनि के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइन रहती है. और इस दिन भगवान शनि की विशेष पूजा होती है. सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक किया जाता है. बाकी दिन सुबह और शाम के समय दो बार सामान्य रूप से पूजा होती है."

"भगवान शनिदेव हाथी पर विराजमान हैं": शनि मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा ने बताया कि "भगवान शनि के बाल रूप की मूर्ति अष्टधातु से निर्मित है और शनिदेव का सिंहासन चांदी का बना हुआ है. इस शनिदेव के मंदिर में एक खास बात और है कि यहां पर हाथों से बनी हुई एक पेंटिंग भी मौजूद हैं. जो कि 70 साल पुरानी है. जिसमें भगवान शनिदेव हाथी पर विराजमान हैं. इसके साथ ही मंदिर की दीवारों पर 70 साल पुरानी भगवान शिव की एक प्रतिमा भी बनी हुई है. जिसमें भगवान शिव विष का प्याला पी रहे हैं और दीवार की दूसरी तरफ एक और मूर्ति है. जिसमें माता उग्रतारा भगवान शिव को स्तनपान कराकर उसके विष को गले से नीचे उतार रही है."

यह भी पढ़ें: Maa Mahamaya temple of Raipur: रायपुर के मां महामाया मंदिर में क्यों बांधी जाती है नारियल, जानिए वजह

भगवान शनि सूर्यपुत्र होने के साथ ही छाया पुत्र हैं: शनि मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा ने बताया कि "भगवान शनि सूर्यपुत्र होने के साथ ही छाया पुत्र कहलाते हैं. जिसके कारण भगवान शनि को सरसों का तेल काला तिल काली उड़द और लौह धातु प्रिय है. इस मंदिर में खास तौर पर ऐसे भक्त शनिदेव के दर्शन करने ज्यादा आते हैं. जिन्हें शनि की अढ़ईया या फिर शनि की साढ़ेसाती हो. शनिदेव के मंदिर में भक्त अपनी मनोकामना और मनोरथ के लिए शनि मंत्रों का जाप भी करवाते हैं. शनि मंत्रों का जाप करवाने के साथ ही भक्त 9 दिन या फिर 1 महीने के लिए ज्योति कलश भी प्रज्वलित करवाते हैं."

रायपुर का प्राचीन शनि देव मंदिर

रायपुर: शनि मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा ने बताया कि "भगवान शनि सूर्यपुत्र होने के साथ ही छाया पुत्र भी हैं. शनिदेव को काली चीजों से प्रेम है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शनिदेव को 5 शनिवार तेल और तिल चढ़ाने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है." यह राजधानी के सबसे प्राचीन शनि मंदिरों में से एक है. आइए जानते हैं. राजधानी के सबसे प्राचीन शनि मंदिर की और क्या खासियत है.

"250 साल पुराना है शनि मंदिर": शनि मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा ने बताया कि "राजधानी के गोल बाजार के चूड़ी लाइन में स्थित शनि मंदिर लगभग 250 साल से भी ज्यादा पुराना है. शनि मंदिर की देखरेख का काम हमारा पंडित परिवार पिछले 5 पीढ़ियों से करता आ रहा है. शनि मंदिर में शनिवार के दिन भगवान शनि के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइन रहती है. और इस दिन भगवान शनि की विशेष पूजा होती है. सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक किया जाता है. बाकी दिन सुबह और शाम के समय दो बार सामान्य रूप से पूजा होती है."

"भगवान शनिदेव हाथी पर विराजमान हैं": शनि मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा ने बताया कि "भगवान शनि के बाल रूप की मूर्ति अष्टधातु से निर्मित है और शनिदेव का सिंहासन चांदी का बना हुआ है. इस शनिदेव के मंदिर में एक खास बात और है कि यहां पर हाथों से बनी हुई एक पेंटिंग भी मौजूद हैं. जो कि 70 साल पुरानी है. जिसमें भगवान शनिदेव हाथी पर विराजमान हैं. इसके साथ ही मंदिर की दीवारों पर 70 साल पुरानी भगवान शिव की एक प्रतिमा भी बनी हुई है. जिसमें भगवान शिव विष का प्याला पी रहे हैं और दीवार की दूसरी तरफ एक और मूर्ति है. जिसमें माता उग्रतारा भगवान शिव को स्तनपान कराकर उसके विष को गले से नीचे उतार रही है."

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भगवान शनि सूर्यपुत्र होने के साथ ही छाया पुत्र हैं: शनि मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा ने बताया कि "भगवान शनि सूर्यपुत्र होने के साथ ही छाया पुत्र कहलाते हैं. जिसके कारण भगवान शनि को सरसों का तेल काला तिल काली उड़द और लौह धातु प्रिय है. इस मंदिर में खास तौर पर ऐसे भक्त शनिदेव के दर्शन करने ज्यादा आते हैं. जिन्हें शनि की अढ़ईया या फिर शनि की साढ़ेसाती हो. शनिदेव के मंदिर में भक्त अपनी मनोकामना और मनोरथ के लिए शनि मंत्रों का जाप भी करवाते हैं. शनि मंत्रों का जाप करवाने के साथ ही भक्त 9 दिन या फिर 1 महीने के लिए ज्योति कलश भी प्रज्वलित करवाते हैं."

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