रायपुर: 3 दिसंबर को नतीजे आने वाले हैं. नतीजों से पहले कांग्रेस और बीजेपी में हार और जीत को लेकर दावे शुरु हो गए हैं. कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 75 पार सीटें जीतने का दावा किया. कांग्रेस के दावे के बाद प्रदेश के पूर्व मुखिया रमन सिंह ने 55 सीटें जीतने का दावा कर नई सियासी बहस शुरु कर दी. वोटिंग के बाद हार और जीत को लेकर दावे तो सियासी पार्टियां करती ही हैं. चुनाव साल और आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलेगा कि कैसे छत्तीसगढ़ का ट्रेंड चेंज हुआ. 2003 से लेकर 2013 तक तक बीजेपी ने चुनावों में पूरी तरह से कांग्रेस को डोमिनेट किया. साल 2018 में कांग्रेस ने बीजेपी का सूपड़ा पूरी तरह से साफ कर दिया. बीजेपी मात्र 15 सीटों पर सिमट कर रह गई.
अर्श से फर्श पर आई बीजेपी: साल 2018 में जैसे ही चुनावों के नतीजे आए बीजेपी के पैरों तले जमीन खिसक गई. कांग्रेस ने जिस तरह से क्लीन स्वीप किया उससे बीजेपी के दिग्गज भी सदमे में चले गए. 15 सालों से कांग्रेस का चला आ रहा वनवास खत्म हुआ और कांग्रेस की सत्ता में एंट्री हुई. 2018 में चुनाव जीतने के बाद जो उपचुनाव भी हुए उसमें बाजी मारी. सत्ता से बाहर होने के बाद बीजेपी ने दम लगाना शुरु किया. पार्टी आलाकमान ने छ्त्तीसगढ़ विजय के लिए नई रणनीति बनाई. बीजेपी के बड़े नेताओं ने कमान संभाली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह तक ने जोर लगाया, यूपी और असम के फायर ब्रांड मुख्यमंत्री भी मैदान में उतरे. अब जरा नजर डाल लेते हैं कांग्रेस और बीजेपी के उन आंकड़ों की जो साल 2003 से लेकर साल 2023 तक चुनाव आयोग की रिपोर्ट में दर्ज है.
2003 विधानसभा चुनाव
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2008 विधानसभा चुनाव
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2013 विधानसभा चुनाव
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2018 विधानसभा चुनाव
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2023 विधानसभा चुनाव
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कांटे की टक्कर: छत्तीसगढ़ के चुनावी आंकड़े और सियासी गणित पर कोई भी अनुमान लगाना इस बार कठीन है. नतीजे किसके पक्ष में जाएंगे किसके खिलाफ माहौल है, इस बार कहना मुश्किल है. बीजेपी और कांग्रेस भले ही अपने अपने जीत के दावे कर रही हो पर कांटे की टक्कर से ही इस बार जीत निकलकर आएगी ये तय है.