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Yogini ekadashi 2022: इस बार योगिनी एकादशी पर बन रहा गजब संयोग

इस बार योगिनी एकादशी 2022 में गजब का संयोग बन रहा है. इस दिन व्रत करने वाले मनुष्य को शुभ फलों की प्राप्ति (Amazing coincidence being made on Yogini Ekadashi 2022) होगी.

Yogini ekadashi 2022
योगिनी एकादशी 2022
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Published : Jun 23, 2022, 5:23 PM IST

रायपुर: आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी 2022 का व्रत रखा जाता है. इस बार ये व्रत 24 जून को पड़ रहा है. दरअसल, एकादशी तिथि भगवान विष्णु की तिथि है. इस दिन लक्ष्मी नारायण का योग बन रहा है, जो बेहद खास है. इस योग में पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इस योग में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी होती है. लक्ष्मी की पूजा इस योग में सुख समृद्धि देने वाली होती (Amazing coincidence being made on Yogini Ekadashi 2022) है.

क्यों खास है योगिनी एकादशी: एकादशी के व्रतों को मोक्षदायी व्रत माना गया है. योगिनी एकादशी को लेकर शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से 88000 ब्राह्मणों के भोजन कराने जितना फल मिलता है.

योगिनी एकादशी व्रत के नियम: इस दिन सुबह नहाकर सूर्य देव को जल अर्पित करें. इसके बाद पीले कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करें. श्रीहरि को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. इसके बाद श्री हरि और मां लक्ष्मी के मन्त्रों का जाप करें. किसी निर्धन व्यक्ति को जल, अनाज, कपड़े, जूते और छाते का दान करें. इस दिन केवल जल और फल पर ही व्रत रखना चाहिए.

योगिनी एकादशी कथा: योगिनी एकादशी व्रत की कथा काफी रोचक है. पुरातन काल में अलकापुरी का राजा कुबेर शिव भक्त था. हेममाली नामक एक यक्ष उनकी सेवा करता था जो रोज शिव पूजा के लिए फूल लाता था. एक बार हेममाली पत्नी प्रेम में पूजा के लिए फूल लाने से चूक गया. नाराज होकर कुबेर ने हेममाली को श्राप दे दिया कि वह स्त्री के वियोग में तड़पेगा और मृत्युलोक में जाकर रोगी बनेगा. श्राप के कारण ऐसा ही हुआ. एक दिन हेममाली की भेंट मार्कण्डेय ऋषि से हुई. तब ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा. हेममाली ने ये व्रत विधि-विधान से किया. इस व्रत के प्रभाव से उसके कष्ट दूर हो गए और वह अपनी पत्नी के साथ पुन: अलकापुरी में जाकर सुखपूर्वक रहने लगा. तभी से योगिनी एकादशी की महिमा पूरे ब्रह्मांड में फैल गई और इसे पापों से प्रायश्चित वाली एकादशी के नाम से पूजा जाने लगे.

यह भी पढ़ें: International Yoga Day: योग दिवस पर ताजमहल समेत सभी स्मारकों में रहेगी फ्री एंट्री

भगवान विष्णु के साथ करें इनकी भी पूजा: इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु के साथ योगीराज श्रीकृष्ण, तुलसी और शिव परिवार की पूजा भी करनी चाहिए. इस व्रत से मोक्ष मिलता है.कहते हैं कि योगिनी एकादशी का व्रत श्रद्धापूर्वक करने से व्यक्ति के कुष्ठ रोग यानी कि कोढ़ से मुक्त हो जाता है.

रायपुर: आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी 2022 का व्रत रखा जाता है. इस बार ये व्रत 24 जून को पड़ रहा है. दरअसल, एकादशी तिथि भगवान विष्णु की तिथि है. इस दिन लक्ष्मी नारायण का योग बन रहा है, जो बेहद खास है. इस योग में पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इस योग में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी होती है. लक्ष्मी की पूजा इस योग में सुख समृद्धि देने वाली होती (Amazing coincidence being made on Yogini Ekadashi 2022) है.

क्यों खास है योगिनी एकादशी: एकादशी के व्रतों को मोक्षदायी व्रत माना गया है. योगिनी एकादशी को लेकर शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से 88000 ब्राह्मणों के भोजन कराने जितना फल मिलता है.

योगिनी एकादशी व्रत के नियम: इस दिन सुबह नहाकर सूर्य देव को जल अर्पित करें. इसके बाद पीले कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करें. श्रीहरि को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. इसके बाद श्री हरि और मां लक्ष्मी के मन्त्रों का जाप करें. किसी निर्धन व्यक्ति को जल, अनाज, कपड़े, जूते और छाते का दान करें. इस दिन केवल जल और फल पर ही व्रत रखना चाहिए.

योगिनी एकादशी कथा: योगिनी एकादशी व्रत की कथा काफी रोचक है. पुरातन काल में अलकापुरी का राजा कुबेर शिव भक्त था. हेममाली नामक एक यक्ष उनकी सेवा करता था जो रोज शिव पूजा के लिए फूल लाता था. एक बार हेममाली पत्नी प्रेम में पूजा के लिए फूल लाने से चूक गया. नाराज होकर कुबेर ने हेममाली को श्राप दे दिया कि वह स्त्री के वियोग में तड़पेगा और मृत्युलोक में जाकर रोगी बनेगा. श्राप के कारण ऐसा ही हुआ. एक दिन हेममाली की भेंट मार्कण्डेय ऋषि से हुई. तब ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा. हेममाली ने ये व्रत विधि-विधान से किया. इस व्रत के प्रभाव से उसके कष्ट दूर हो गए और वह अपनी पत्नी के साथ पुन: अलकापुरी में जाकर सुखपूर्वक रहने लगा. तभी से योगिनी एकादशी की महिमा पूरे ब्रह्मांड में फैल गई और इसे पापों से प्रायश्चित वाली एकादशी के नाम से पूजा जाने लगे.

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भगवान विष्णु के साथ करें इनकी भी पूजा: इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु के साथ योगीराज श्रीकृष्ण, तुलसी और शिव परिवार की पूजा भी करनी चाहिए. इस व्रत से मोक्ष मिलता है.कहते हैं कि योगिनी एकादशी का व्रत श्रद्धापूर्वक करने से व्यक्ति के कुष्ठ रोग यानी कि कोढ़ से मुक्त हो जाता है.

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