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आखर छत्तीसगढ़ में साहित्य और कला का संगम, छत्तीसगढ़िया साहित्य पर होगा मंथन - प्रभा खैतान फाउंडेशन

छत्तीसगढ़ की बोली, भाषा और साहित्य को बचाने के लिए रायपुर में रविवार को साहित्यकारों और कलाकारों की जुटान होगी. आखर छत्तीसगढ़ कार्यक्रम में हल्बी, गोंडी सहित तमाम साहित्य को बचाने और उनके प्रचार प्रसार पर चर्चा होगी.

Akhar Chhattisgarh program in Raipur
आखर छत्तीसगढ़ में साहित्य और कला का संगम
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Published : Jun 10, 2023, 11:12 PM IST

आखर छत्तीसगढ़ में साहित्य और कला का संगम

रायपुर: छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग प्रभा खैतान फाउंडेशन और अभिकल्प फाउंडेशन की ओर से रविवार को एकदिवसीय आखर छत्तीसगढ़ कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. न्यू सर्किट हाउस के कन्वेंशन हॉल में आयोजित आखर छत्तीसगढ़ कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 10.30 बजे होगी, जो देर शाम 6.30 बजे तक चलेगा. इस कार्यक्रम का उद्देश्य, छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजभाषा छत्तीसगढ़ी और अन्य आंचलिक बोली जैसे सरगुजिया हल्बी, गोंडी, कुडुक, सदरी के साहित्य के संरक्षण और उनके संवर्धन पर वैचारिक परिचर्चा करना है.



साहित्य और कला का होगा संगम: 15 से अधिक बोली भाषाओं पर केंद्रित दिन भर चलने वाले इस आयोजन में 7 सत्र होंगे. इममें सरगुजा से लेकर बस्तर तक की बोली भाषा के साथ ही छत्तीसगढ़ी कविता कहानी युवा लेखन और सोशल मीडिया पर केंद्रित 7 पैनल डिस्कशन होंगे. कार्यक्रम में 30 से अधिक साहित्यकार और 10 से अधिक छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कलाकार हिस्सा लेंगे. कार्यक्रम में पैनल डिस्कशन के साथ ही छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां होंगी. इनमें प्रमुख रूप से रामनवमी समाज की ओर से भजन प्रस्तुति, लोक कलाकारों की ओर से मोहरी बाजा, बांस गीत, चेतन देवांगन और उनकी टीम की ओर से पंडवानी प्रस्तुति होगी.

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इन विषयों पर होगा पैनल डिस्कशन: हमर भाखा हमर लोगन के मोटो को लेकर आयोजित आखर कार्यक्रम में 7 पैनल डिस्कशन होंगे. इनमें सरगुजा के भाखा, बस्तर के बोली, छत्तीसगढ़ के कहानी कविता, छत्तीसगढ़ के चिन्हारी, युवा लेखन, लेखन और प्रकाशन, छत्तीसगढ़ी अउ डिजिटल मीडिया विषय पर पैनल डिस्कशन होंगे. इसमें अलग-अलग विषयों के एक्सपर्ट हिस्सा लेंगे.

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रायपुर: छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग प्रभा खैतान फाउंडेशन और अभिकल्प फाउंडेशन की ओर से रविवार को एकदिवसीय आखर छत्तीसगढ़ कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. न्यू सर्किट हाउस के कन्वेंशन हॉल में आयोजित आखर छत्तीसगढ़ कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 10.30 बजे होगी, जो देर शाम 6.30 बजे तक चलेगा. इस कार्यक्रम का उद्देश्य, छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजभाषा छत्तीसगढ़ी और अन्य आंचलिक बोली जैसे सरगुजिया हल्बी, गोंडी, कुडुक, सदरी के साहित्य के संरक्षण और उनके संवर्धन पर वैचारिक परिचर्चा करना है.



साहित्य और कला का होगा संगम: 15 से अधिक बोली भाषाओं पर केंद्रित दिन भर चलने वाले इस आयोजन में 7 सत्र होंगे. इममें सरगुजा से लेकर बस्तर तक की बोली भाषा के साथ ही छत्तीसगढ़ी कविता कहानी युवा लेखन और सोशल मीडिया पर केंद्रित 7 पैनल डिस्कशन होंगे. कार्यक्रम में 30 से अधिक साहित्यकार और 10 से अधिक छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कलाकार हिस्सा लेंगे. कार्यक्रम में पैनल डिस्कशन के साथ ही छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां होंगी. इनमें प्रमुख रूप से रामनवमी समाज की ओर से भजन प्रस्तुति, लोक कलाकारों की ओर से मोहरी बाजा, बांस गीत, चेतन देवांगन और उनकी टीम की ओर से पंडवानी प्रस्तुति होगी.

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इन विषयों पर होगा पैनल डिस्कशन: हमर भाखा हमर लोगन के मोटो को लेकर आयोजित आखर कार्यक्रम में 7 पैनल डिस्कशन होंगे. इनमें सरगुजा के भाखा, बस्तर के बोली, छत्तीसगढ़ के कहानी कविता, छत्तीसगढ़ के चिन्हारी, युवा लेखन, लेखन और प्रकाशन, छत्तीसगढ़ी अउ डिजिटल मीडिया विषय पर पैनल डिस्कशन होंगे. इसमें अलग-अलग विषयों के एक्सपर्ट हिस्सा लेंगे.

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