रायपुर: अजीत जोगी का राजनेता बन जाना सिर्फ किस्मत की बात नहीं थी, ये गुण उनके अंदर छात्र जीवन से ही देखने को मिलने लगा था. चुनाव सिर्फ लड़ना नहीं, जीतना भी इस सिकंदर को खूब आता था. इससे भी ज्यादा माहिर जोगी इलेक्शन मैनेजमेंट में थे.
भोपाल में जब वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, तब उन्हें मौलाना आजाद कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी स्टूडेंट्स यूनियन का अध्यक्ष चुना गया था. गांव के आने वाले एक छात्र का इस मुकाम तक पहुंचना कोई मामूली बात नहीं थी. उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री गोल्ड मेडल के साथ पूरी की. उनके सहपाठी मशहूर क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी थे.
उनकी कार्यकुशलता का दूसरा उदाहरण देखने को मिलता है, जब वे प्रशासनिक अकादमी में ट्रेनिंग ले रहे थे, तब वहां प्रेसिडेंट ऑफ मैथ कमेटी (पीएमसी) का चुनाव होने वाला था, जिसे अकादमी में बेहद प्रतिष्ठित पद माना जाता है. अजीत जोगी इस चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर उतरने का फैसला लेते हैं और बेहद ही कुशलता से उत्तर-दक्षिण के अलग-अलग संस्कृति से आए छात्रों को अपने साथ ले लेते हैं. उनकी पत्नी रेणु जोगी ने अपनी किताब 'अजीत जोगी अनकही कहानी' में इस चुनाव के बारे में बेहद ही दिलचस्प वाकया लिखा है. रेणु जोगी ने लिखा कि अजीत जोगी चुनाव के दौरान कुछ छात्रों को अपने पक्ष में करने के लिए 'रम की बोतल' भी दिया करते थे.
पढ़ें-अजीत जोगी: गोल्ड मेडलिस्ट इंजीनियर, शिक्षक और अफसर से लेकर राजनीति के बुलंद सितारे तक
अजीत जोगी तीन बार प्रेसिडेंट ऑफ मैथ कमेटी (PMC) चुने गए
अजीत जोगी लगातार तीन बार पीएमसी चुने गए, जो आज भी मसूरी की लाल बहादुर प्रशासनिक अकादमी में एक रिकॉर्ड है. हालांकि छात्र जीवन के इन चुनावों के बाद जोगी ने एक लंबा प्रशासनिक जीवन जिया. इसके बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और कई चुनावों में जीत हासिल की. कई पदों पर रहे. पार्टी के संगठन में उनकी पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें कांग्रेस की ओर से कई दफा चुनाव संचालन करने का मौका मिला.