रायपुर: आजादी की 75वीं वर्षगांठ को लेकर पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. इस उपलक्ष्य में हर घर तिरंगा फहराने की तैयारी पूरे देश में चल रही है. लेकिन छत्तीसगढ़ का कुछ क्षेत्र ऐसा है, जहां आज भी तिरंगा नहीं फहराया (tiranga is not hoisted in Bastar for years ) जाता. ये क्षेत्र आज भी आजादी की बाट जोह रहा है. इस क्षेत्र को नक्सलियों से आजादी का इंतजार अरसे से है.
नक्सलियों को रोकने के तमाम दावे फेल: छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सरकार सहित अफसरों के नक्सलियों को रोकने के तमाम दावे फेल हो गए हैं. जिन नक्सलियों को बैकफुट पर बताया जा रहा था. वही तेलंगाना की सीमा पार कर छत्तीसगढ़ में घुस आए. न केवल इन नक्सलियों ने पहली बार साथियों की याद में 64 फीट ऊंचा स्मारक बना दिया बल्कि 12 हजार ग्रामीणों को साथ लेकर विशाल रैली भी निकाल दी. खास बात यह है कि इसमें 50 लाख से एक करोड़ रुपए तक के इनामी नक्सली शामिल थे. बावजूद इसके पुलिस और इंटेलिजेंस को खबर तक नहीं लगी.
नक्सली खुद चला रहे अपनी सरकार: दरअसल, हम बात कर रहे हैं बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की. जहां आजादी के 75 साल बाद भी तिरंगा नहीं फहराया जाता है. इसकी मुख्य वजह यहां के नक्सलियों का कब्जा है. या यूं कहें कि यहां नक्सली अपनी सरकार चलाते हैं. जहां दूसरे का हस्तक्षेप उन्हें बर्दाश्त नहीं. यही वजह है कि आज आजादी के 75 साल बाद भी इन क्षेत्रों में तिरंगा नहीं फहराया जा रहा है.
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बस्तर में चलती है नक्सलियों की सरकार: हालांकि सरकार का दावा है कि पिछले कुछ वर्षों में नक्सली घटनाओं में कमी आई है. उन पर कुछ हद तक नकेल कसने में सरकार कामयाब रही है. यही वजह है कि नक्सली बैकफुट पर हैं. लेकिन उन दावों की पोल तब खुलती है जब 3 अगस्त को नक्सलियों के द्वारा बड़े पैमाने पर एक आयोजन किया जाता है. जिसमें हजारों की संख्या में ग्रामीण शामिल होते हैं. सैकड़ों नक्सली इस कार्यक्रम में उपस्थित होते हैं. इनमें वे हार्डकोर नक्सली भी शामिल हैं, जिन पर सरकार ने लाखों रुपए का इनाम रखा है. बावजूद इसके इस आयोजन की जानकारी सरकार को नहीं लगती है. इंटेलिजेंस पूरी तरह से फेल हुआ रहता है. नक्सलियों का आयोजन हो जाता है और वे आयोजन समाप्त कर वापस चले भी जाते हैं. आयोजन का पता तब चलता है जब उनके द्वारा खुद इस आयोजन का वीडियो जारी किया जाता है. यानी कि आज भी बस्तर में नक्सलियों की सरकार चल रही है. वह अपने मन मुताबिक वहां शासन कर रहे हैं.
अजय चंद्राकर का ट्वीट: इस घटना के बाद पूर्व मंत्री एवं भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने राज्य सरकार को घेरते हुए ट्वीट किया और लिखा कि "मान. मुख्यमंत्री छ.ग. (कांग्रेस शोषित) नक्सलियों ने विगत 10-15 सालों का सबसे बड़ा आयोजन किया है..? ना गेड़ी चढ़े, ना बासी खाए, एके 47 लहराए.... यदि आपके रीढ़ में हड्डी है, तो कुछ करके दिखाइए... या फिर उधार लेकर घी पीजिए और फैज़ल किदवई का रामायण सुनिये...." अजय चंद्रकार के नक्सली रैली के ट्वीट पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कहा कि अजय चंद्राकर स्मृतिलोप के शिकार हो गए हैं. पिछली सरकार में कितनी रैलियां होती थी? वो उन्हें याद नहीं है. नक्सली बहुत पीछे चले गए. ये बहुत अंदर कार्यक्रम हुआ है.
बस्तर में अमृत महोत्सव मनाने की तैयारी: हालांकि नक्सलियों के आयोजन के बावजूद जवानों का मनोबल कम नहीं हुआ है. हर बार की तरह इस बार भी उनके द्वारा 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की तैयारी व्यापक पैमाने पर की जा रही है. तिरंगा ज्यादा से ज्यादा जगह पर लहराए इसे लेकर भी शासन-प्रशासन मुस्तैद है. इस विषय में बस्तर आईजी पी. सुंदरराज का कहना है कि देश प्रदेश सहित बस्तर संभाग में भी आजादी का अमृत महोत्सव मनाने की तैयारी की जा रही है. इन क्षेत्रों में भी अच्छे से कार्यक्रम संपन्न कराने की व्यवस्था की जा रही है. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी 15 अगस्त के कार्यक्रम की तैयारी की जा रही है. पिछले कुछ वर्षों में भी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में काफी अच्छे कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. हमें उम्मीद है कि देशभक्ति की भावना रखने वाले युवा 15 अगस्त और 26 जनवरी को तिरंगा फहराते हैं. इसी अनुसार इस बार भी 15 अगस्त को काफी अच्छा कार्यक्रम होगा.
आजादी के 75 साल बाद भी नहीं फहराया जा रहा झंडा: वही, नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आजादी के 75 साल बाद भी तिरंगा न फहराये जाने को लेकर भाजपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव कहना है कि कांग्रेस देश में नक्सलवाद की जनक है. कांग्रेस सरकार नक्सलियों पर नकेल कसने में नाकाम रही है. हाल में 3 अगस्त को जिस तरह नक्सलियों ने बड़े पैमाने पर आयोजन किया, उसकी भनक तक सरकार को नहीं लगी. यह सरकार की इंटेलिजेंस की पोल खोल रही है. राज्य सरकार को नक्सल समस्या के समाधान के लिए ईमानदारी से काम करने की जरूरत है.
नक्सली घटनाओं में आई कमी: इस विषय में कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि जब प्रदेश में भाजपा ने कमान संभाली थी. उस समय नक्सलवाद 3 जिलों में था और जब इस प्रदेश से उनकी विदाई हुई, तब 14 जिलों तक था. आज कांग्रेस सरकार के साढ़े तीन साल में 80 से 90 फीसद नक्सली घटनाओं में कमी आई है. यह हमारी सरकार की उपलब्धि है. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तिरंगा लहराए जाने पर भाजपा पर तंज कसते हुए सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि देश में ऐसी जगह नहीं जहां तिरंगा नहीं फहराया जाता है. हालांकि आरएसएस कार्यालय में जरूर अब तक तिरंगा नहीं फहराया गया. लेकिन अब वहां भी तिरंगा फहराने की तैयारी है. हमारी सरकार ने विश्वास विकास और सुरक्षा के तहत काम किया. यही वजह कि आज नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सली घटनाओं में कमी आई है.
नक्सली करते हैं बड़े आयोजन: इस विषय में नक्सल मामलों की जानकार वर्णिका शर्मा का कहना है कि आज भी बस्तर में कई ऐसी जगह है, जहां तिरंगा नहीं फहराया जाता है. उन क्षेत्रों को नक्सलियों ने अपना रेड कॉरिडोर घोषित किया हुआ है. 3 अगस्त की घटना को लेकर वर्णिक शर्मा ने कहा कि नक्सली हमेशा इस फिराक में होते हैं कि उनके द्वारा कोई भी आयोजन तब किया जाए जब कोई विशेष दिन हो. इस दिन का संबंध नक्सलियों की घटनाओं से होता है. उस दिन को यादगार बनाने को नक्सलियों के द्वारा बड़े आयोजन किए जाते हैं, जिससे न सिर्फ नक्सलियों के द्वारा अंजाम दी गई गतिविधियों की जानकारी लोगों को दी जाए बल्कि उनमें एक भय का वातावरण भी रहे बना रहे. नक्सल समस्या के समाधान को लेकर वर्णिका शर्मा का कहना है कि यदि जिला मुख्यालयों की बात की जाए तो वहां पर खड़े होकर कहा जा सकता है कि हां बस्तर में विकास हुआ है. इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया गया है, लेकिन हम दूरस्थ अंचलों में जाकर देखेंगे तो आज भी वहां स्थिति जस की तस है. विकास नहीं हुआ है. आज भी लोग उन्हीं परिस्थितियों में जीने को मजबूर हैं. जैसी परिस्थितियां आज से कई दशक पहले थी. ऐसे कई गांव के विकास के लिए अभी भी पहल करने की जरूरत है.
पहले के मुकाबले नक्सली घटनाओं में आई कमी: इस विषय में वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का भी मानना है कि "बस्तर में नक्सली घटनाओं में कुछ कमी तो जरूरी है. विस्फोटक नक्सली हमलों के आंकड़ों में कमी आई है. प्रशासन की पहुंच बनी हुई है. पिछले दिनों की घटना की बात की जाए तो भारी संख्या में नक्सली एकत्र हुए, उनका जो यह आयोजन रहा है. वह चिंता का विषय है और सरकार के दावे की पोल खोलता है कि नक्सली बैकफुट पर है. वहीं, दूसरी ओर जनमानस की बात की जाए तो आखिर ऐसी क्या वजह है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग नक्सलियों के साथ चल पड़े. इसके कारणों को तलाशते हुए उस दिशा में सार्थक कदम उठाने की जरूरत है. आज भी छत्तीसगढ़ के बस्तर में कई ऐसी जगह है. जहां कई दशकों से नक्सलियों का राज है और वहां पर तिरंगा नहीं फहराया गया. आज भी वह नक्सलवाद की चपेट में है. बेगुनाह लोग मारे जा रहे हैं. आज भी यह इलाका शहरों से कटा हुआ है. वहां सरकार की योजनाएं कितनी कारगर साबित हो रही हैं? यह चर्चा का विषय है. क्या बस्तर में 2 सरकारे चलती है? इन सरकारों के अलग-अलग मतलब हैं...इसलिए बस्तर में इन 75 सालों के बाद भी झंडा नहीं फहराना चिंता का विषय है. आज देखने की जरूरत है कि बस्तर के लोगों को उनका अधिकार और न्याय मिल पाया है या नहीं. मूलभूत सुविधाएं उन तक पहुंची है या नहीं. आज भी बस्तर का आदिवासी लंगोटी में जीवन जीने को मजबूर है. आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है? बस्तर का विकास आज भी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है".
एक नजर बस्तर में घटित नक्सली घटनाओं पर...
साल 2017
- 22 नक्सली गिरफ्तार
- 12 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्ण
- 17 घटनाएं सामने आईं
- 2 आम नागरिकों की हत्या
साल 2018
- 12 नक्सली गिरफ्तार
- 49 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्ण
- 19 घटनाएं सामने आई
- 4 आम नागरिकों की हत्या
- 5 नक्सलियों को मारा गया
साल 2019
- 6 नक्सली गिरफ्तार
- 1 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्ण
- 8 घटनाएं सामने आई
- 1 आम नागरिकों की हत्या
साल 2020
- 16 नक्सली गिरफ्तार
- 13 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्ण
- 4 घटनाएं सामने आई
साल 2021
- 7 नक्सली गिरफ्तार
- किसी ने नहीं किया आत्मसमर्ण
- 7 घटनाएं सामने आई
- 1 आम नागरिकों की हत्या
- 3 नक्सलियों को मारा गया
पिछले 3 सालों में नक्सली घटनाओं में मारे गए नक्सलियों और शहीदों की संख्या:
साल | घटनाएं | मारे गए नक्सली | आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली | गिरफ्तार नक्सली | शहीद जवानों की संख्या |
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2019 | 331 | 79 | 315 | 501 | 22 |
2020 | 333 | 41 | 344 | 439 | 46 |
2021 | 254 | 47 | 555 | 499 | 46 |
एक नजर 2015 से 2018 के बीच नक्सलियों और पुलिस के बीच हुए मुठभेड़ पर
साल | मृत नागरिक | शहीद जवान | मृत नक्सली |
---|---|---|---|
2015 | 52 | 45 | 46 |
2016 | 60 | 40 | 135 |
2017 | 58 | 59 | 77 |
2018 | 59 | 53 | 124 |