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छत्तीसगढ़ में 2 लाख छात्रों ने प्राइवेट स्कूलों से निकाली टीसी, सरकारी स्कूलों में लिया दाखिला - रायपुर न्यूज

कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से लोगों को आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे है. इसका असर निजी स्कूलों पर भी देखने को मिला है. महंगे स्कूलों की फीस नहीं दे पाने के कारण पैरेंट्स अपने बच्चों का नाम निजी स्कूलों से कटवा कर, उनका दाखिला सरकारी स्कूलों में करवा रहे हैं.

corona crisis
प्राइवेट स्कूल और कोरोना संकट
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Published : Aug 20, 2020, 4:30 PM IST

Updated : Aug 21, 2020, 12:30 AM IST

रायपुर: कोरोना संकट और बेरोजगारी का ऐसा कहर इस बार निजी स्कूलों पर टूटा है कि प्रदेशभर में उनके 2 लाख स्टूडेंट घट गए हैं. आने वाले दिनों में यह संख्या और ज्यादा बढ़ने की आशंका है. महंगे स्कूलों की फीस नहीं दे पाने के कारण पालक अपने बच्चों का नाम निजी स्कूलों से कटवा कर उनका एडमिशन सरकारी स्कूलों में करा रहे हैं. अब तक के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ के 2 लाख छात्रों में से 60% छात्रों के परिजन स्कूलों से स्थानांतरण प्रमाण पत्र ले चुके हैं.

छत्तीसगढ़ में 2 लाख छात्रों ने निजी स्कूलों से निकाली टीसी

निजी स्कूलों के फीस लिए जाने पर राज्य सरकार ने रोक लगाई गई थी. यह उम्मीद थी कि इस साल भी पूरी फीस माफ की जाएगी. लेकिन कोर्ट की ओर से ट्यूशन फीस लेने की अनुमति दिए जाने के बाद स्कूलों ने फीस वसूली दोबारा शुरू कर दी. कोरोना के कारण बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी गई है. वेतन में भी कटौती हो रही है, इन सबका असर है कि पैरेन्ट्स बच्चों को महंगे निजी स्कूलों में पढ़ाने के बजाय सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की सोच रहे हैं.

तिलेश्वर यदु ने बताया कि उनकी प्राइवेट नौकरी है, लॉकडाउन के कारण काफी समय से उन्हें सैलरी नहीं मिली है. जब सैलरी मिलनी शुरू हुई है, तो घर के बाकी खर्च भी हैं. ऐसे में उन्होंने सरकारी स्कूल में अपनी बच्ची को दाखिला दिलाने के लिए आवेदन किया है. वह कहते हैं कि अब उनके पास यही इकलौता विकल्प है, क्योंकि प्राइवेट स्कूलों की फीस देना और अपना घर चलाना दोनों इस वक्त मुमकिन नहीं है.

पढ़ें- SPECIAL: कोरोना काल में तीज पर पीहर के रास्ते हुए बंद, कारोबार हुआ प्रभावित

भागवत वर्मा ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चे के एडमिशन के लिए सरकारी इंग्लिश मीडिया स्कूल में आवेदन किया है. उन्हें उम्मीद है कि उनके बच्चे का चयन हो जाएगा. वो कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण लंबे समय से काम बंद था. इस दौरान उन्हें पेमेंट भी नहीं मिली, पहले उनकी बच्ची प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ती थी, लेकिन अब वह उस स्कूल का फीस इन नहीं दे पाएंगे. क्योंकि वह खुद प्राइवेट जॉब करते हैं और जो सैलरी मिल रहा था उसमें भी बेहद कमी आई है.

आर्थिक संकट से जूझ रहे लोग

पालक एसोसिएशन संघ के सचिव राजीव गुप्ता ने बताया कि हमारे पास भी जानकारी आई है, तकरीबन दो लाख बच्चों की प्राइवेट स्कूलों से टीसी निकाली गई है. परिजनों से बात हो रही हो वह भी यही बता रहे हैं कि उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि, अब वे प्राइवेट स्कूलों का फीस नहीं दे सकते. सरकार से भी उन्हें उम्मीद थी कि स्कूलों की ओर से फीस के लिए दबाव नहीं बनाया जाएगा लेकिन कोर्ट के आदेश आने के बाद लगातार परिजनों पर दबाव बनाया जा रहा है. जिसको देखते हुए परिजनों ने यह फैसला लिया है.

रायपुर: कोरोना संकट और बेरोजगारी का ऐसा कहर इस बार निजी स्कूलों पर टूटा है कि प्रदेशभर में उनके 2 लाख स्टूडेंट घट गए हैं. आने वाले दिनों में यह संख्या और ज्यादा बढ़ने की आशंका है. महंगे स्कूलों की फीस नहीं दे पाने के कारण पालक अपने बच्चों का नाम निजी स्कूलों से कटवा कर उनका एडमिशन सरकारी स्कूलों में करा रहे हैं. अब तक के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ के 2 लाख छात्रों में से 60% छात्रों के परिजन स्कूलों से स्थानांतरण प्रमाण पत्र ले चुके हैं.

छत्तीसगढ़ में 2 लाख छात्रों ने निजी स्कूलों से निकाली टीसी

निजी स्कूलों के फीस लिए जाने पर राज्य सरकार ने रोक लगाई गई थी. यह उम्मीद थी कि इस साल भी पूरी फीस माफ की जाएगी. लेकिन कोर्ट की ओर से ट्यूशन फीस लेने की अनुमति दिए जाने के बाद स्कूलों ने फीस वसूली दोबारा शुरू कर दी. कोरोना के कारण बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी गई है. वेतन में भी कटौती हो रही है, इन सबका असर है कि पैरेन्ट्स बच्चों को महंगे निजी स्कूलों में पढ़ाने के बजाय सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की सोच रहे हैं.

तिलेश्वर यदु ने बताया कि उनकी प्राइवेट नौकरी है, लॉकडाउन के कारण काफी समय से उन्हें सैलरी नहीं मिली है. जब सैलरी मिलनी शुरू हुई है, तो घर के बाकी खर्च भी हैं. ऐसे में उन्होंने सरकारी स्कूल में अपनी बच्ची को दाखिला दिलाने के लिए आवेदन किया है. वह कहते हैं कि अब उनके पास यही इकलौता विकल्प है, क्योंकि प्राइवेट स्कूलों की फीस देना और अपना घर चलाना दोनों इस वक्त मुमकिन नहीं है.

पढ़ें- SPECIAL: कोरोना काल में तीज पर पीहर के रास्ते हुए बंद, कारोबार हुआ प्रभावित

भागवत वर्मा ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चे के एडमिशन के लिए सरकारी इंग्लिश मीडिया स्कूल में आवेदन किया है. उन्हें उम्मीद है कि उनके बच्चे का चयन हो जाएगा. वो कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण लंबे समय से काम बंद था. इस दौरान उन्हें पेमेंट भी नहीं मिली, पहले उनकी बच्ची प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ती थी, लेकिन अब वह उस स्कूल का फीस इन नहीं दे पाएंगे. क्योंकि वह खुद प्राइवेट जॉब करते हैं और जो सैलरी मिल रहा था उसमें भी बेहद कमी आई है.

आर्थिक संकट से जूझ रहे लोग

पालक एसोसिएशन संघ के सचिव राजीव गुप्ता ने बताया कि हमारे पास भी जानकारी आई है, तकरीबन दो लाख बच्चों की प्राइवेट स्कूलों से टीसी निकाली गई है. परिजनों से बात हो रही हो वह भी यही बता रहे हैं कि उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि, अब वे प्राइवेट स्कूलों का फीस नहीं दे सकते. सरकार से भी उन्हें उम्मीद थी कि स्कूलों की ओर से फीस के लिए दबाव नहीं बनाया जाएगा लेकिन कोर्ट के आदेश आने के बाद लगातार परिजनों पर दबाव बनाया जा रहा है. जिसको देखते हुए परिजनों ने यह फैसला लिया है.

Last Updated : Aug 21, 2020, 12:30 AM IST
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