रायगढ़: प्रदेशभर में हुई तेज बारिश ने आम जनजीवन को खासा प्रभावित किया है. अगस्त महीने के अंतिम सप्ताह में हुई तेज बारिश ने रायगढ़ जिले के 28 गांवों को जलमग्न कर दिया था. इस आफत की बारिश ने सैकड़ों परिवार को अपने घर से ही बेघर कर दिया, तो वहीं खेती-किसानी कर परिवार चलाने वाले किसानों के सामने अब मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. लगातार बारिश के कारण जिले की हजारों एकड़ फसल सड़ने की कगार पर पहुंच गई है.
'पिछले बार बाढ़ के समय चुनाव थे, इसलिए मिला मुआवजा'
एक तरफ जहां प्राकृतिक आपदा से उनकी फसल को नुकसान हुआ, तो वहीं शासन-प्रशासन मुआवजे के लिए लेटलतीफी कर रहा है. कुछ किसानों का कहना है कि इससे पहले बाढ़ आई थी, लेकिन उसके बाद चुनाव थे, इसलिए मुआवजा मिल गया, लेकिन अब ना तो चुनाव हैं और ना आम लोगों की शासन को जरूरत, लिहाजा मुआवजा मिल जाए यही काफी है. ETV भारत ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाकर किसानों से उनका हाल जाना. किसानों का कहना है कि सैकड़ों एकड़ की फसल बर्बाद हो गई, जिसमें धान और कई तरह की सब्जियां शामिल थीं.
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4-5 दिन खेत डूबने से सड़ गए धान के पौधे
प्रदेश में रायगढ़ धान की सबसे ज्यादा पैदावार करने वाला जिला रहा है. रायगढ़ जिले में सबसे अधिक खेती सारंगढ़, बरमकेला और पुसौर ब्लॉक में होती है, इसलिए फसल का नुकसान भी इन जगहों पर सबसे ज्यादा हुआ है. किसानों का कहना है कि जब पौधा पूरी तरह से स्वस्थ और धान पैदा करने के लायक हुआ, तभी बाढ़ की वजह से 4 से 5 दिनों के लिए खेत डूब गए, जिसमें धान का पौधा पूरी तरह से सड़ गया.
महानदी ने दिखाया रौद्र रूप
महानदी को भले ही जीवनदायिनी के रूप में जाना जाता है, लेकिन जब महानदी अपना रौद्र रूप धारण कर लेती है, तब अपनी ही संतान को रुला देती है. ठीक ऐसा ही हुआ जुलाई 2020 के अंतिम सप्ताह में, जिसमें महानदी का जलस्तर बढ़ने लगा और नदी के किनारे बसे गांव पूरी तरह से जलमग्न हो गए. आंकड़ों की बात करें, तो पुसौर और बरमकेला ब्लॉक के 28 गांव 2 हजार 372 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं. 67 पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं, 564 हेक्टेयर फसल क्षतिग्रस्त हुए हैं, 1 शख्स की मौत हुई है.
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सिर्फ खानापूर्ति कर रहे अधिकारी
किसानों ने बताया कि इससे पहले 2011 और 2014 में भी भयंकर बाढ़ आई थी, लेकिन 2011 में सप्ताहभर के भीतर ही मुआवजा मिल गया था, लेकिन 2020 के इस बाढ़ में नुकसान अधिक हुआ है और माह बीत जाने के बाद भी केवल अधिकारी सर्वे करके खानापूर्ति कर रहे हैं. अभी तक किसी को भी मुआवजे के संबंध में जानकारी नहीं दी गई है.