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रायगढ़ : मूर्तिकारों पर महंगाई की मार, नहीं मिल रहा मेहनताना

गणेश उत्सव के दौरान लोग अपने-अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित करते हैं, लेकिन मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकार आज भी आर्थिक तौर पर कमजोर हैं.

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Published : Sep 2, 2019, 8:01 AM IST

मूर्तिकार

रायगढ़ : कहते हैं विघ्नहर्ता गणेश सभी के दुखों को हरते हैं. यही कारण है कि हिंदू धर्म में कोई भी मंगल कार्य करने से पहले गणेश की पूजा होती है. गणेश चतुर्थी में लोग अपने घरों में बड़े ही भक्ति भाव से बप्पा की प्रतिमा विराजित करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सुंदर प्रतिमाओं को आकार देने वाले मूर्तिकारों के परिवार का गुजारा कैसे होता है?

मूर्तिकारों की बढ़ रही परेशानी

ETV भारत ने इन मूर्तिकारों से बात की. कलकत्ता से मूर्ति बनाने रायगढ़ आए एक मूर्तिकार का कहना है कि, जब छोटे थे, तो अपने पिता के साथ इस शहर में मूर्ति बनाने आते थे. अब पिताजी नहीं रहे, लेकिन पारंपरिक प्रथा और आजीविका के लिए वो भी कई सालों से अपने परिवार के साथ यहां मूर्ति बनाने आते हैं, लेकिन अब इस काम में मेहनताना भी वापस नहीं मिल रहा है.

वे परिवार के साथ मई महीने की शुरुआत में यहां आते हैं. किराए की जमीन पर अस्थायी घर और मूर्ति के लिए छप्पर बनाकर रहते हैं. गणेश-दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति बनाना इनका खानदानी पेशा है. इसी से आजीविका चलती है. इसके साथ ही 10 से 15 मजदूर एक-साथ रहकर काम करते हैं. जब ETV भारत ने मूर्तिकारों से बात की तो पता चला की कभी-कभी मूर्तिकारों को उनके द्वारा लगाई रकम भी वापस नहीं मिल पाती है. साल दर साल नुकसान बढ़ता जा रहा है. वे कहते हैं कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो ये काम छोड़ना पड़ेगा.

रायगढ़ : कहते हैं विघ्नहर्ता गणेश सभी के दुखों को हरते हैं. यही कारण है कि हिंदू धर्म में कोई भी मंगल कार्य करने से पहले गणेश की पूजा होती है. गणेश चतुर्थी में लोग अपने घरों में बड़े ही भक्ति भाव से बप्पा की प्रतिमा विराजित करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सुंदर प्रतिमाओं को आकार देने वाले मूर्तिकारों के परिवार का गुजारा कैसे होता है?

मूर्तिकारों की बढ़ रही परेशानी

ETV भारत ने इन मूर्तिकारों से बात की. कलकत्ता से मूर्ति बनाने रायगढ़ आए एक मूर्तिकार का कहना है कि, जब छोटे थे, तो अपने पिता के साथ इस शहर में मूर्ति बनाने आते थे. अब पिताजी नहीं रहे, लेकिन पारंपरिक प्रथा और आजीविका के लिए वो भी कई सालों से अपने परिवार के साथ यहां मूर्ति बनाने आते हैं, लेकिन अब इस काम में मेहनताना भी वापस नहीं मिल रहा है.

वे परिवार के साथ मई महीने की शुरुआत में यहां आते हैं. किराए की जमीन पर अस्थायी घर और मूर्ति के लिए छप्पर बनाकर रहते हैं. गणेश-दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति बनाना इनका खानदानी पेशा है. इसी से आजीविका चलती है. इसके साथ ही 10 से 15 मजदूर एक-साथ रहकर काम करते हैं. जब ETV भारत ने मूर्तिकारों से बात की तो पता चला की कभी-कभी मूर्तिकारों को उनके द्वारा लगाई रकम भी वापस नहीं मिल पाती है. साल दर साल नुकसान बढ़ता जा रहा है. वे कहते हैं कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो ये काम छोड़ना पड़ेगा.

Intro:कहते हैं विघ्नहर्ता गणेश सभी के दुखो को हरते है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में कोई भी मंगल कार्य करने से पहले गणेश की पूजा होती है। गणेश चतुर्थी में लोग अपने घरों में बड़ी भक्ति भाव से बप्पा की मूर्ति बिठाते हैं। कि आप जानते हैं मिट्टी की मूर्ति बनाने वाली मूर्ति करोगे परिवार का गुजारा भी ऐसे होते हैं कि नहीं आइए जानते हैं रायगढ़ में मूर्ति बनान वाले मूर्तिकारों से।


Body:रायगढ़ शहर में कलकत्ता से मूर्ति बनाने आये मुर्तिकार का कहना है कि उनके पिताजी के साथ वो रायगढ़ मूर्ति बनाने एते थे अब पिताजी रहे नही लेकिन पारंपरिक प्रथा और आजीविका के लिये वो भी कई सालों से अपने परिवार के साथ रायगढ़ मूर्ति बनाने आये हैं लेकिन अब इस काम मे मेहनताना भी वापस नही मिल रहा हैं। परिवार के साथ मई के सुरुवात में रायगढ़ आते हैं और किराये की जमीन पर अस्थायी घर और मूर्ति के लिए छप्पर बनाकर रहते हैं। गणेश-दुर्गा और अन्य देवी देवताओं की मूर्ति बनाना इनका खानदानी पेशा है और इसी से आजीविका चलाते हैं। इनके साथ ही 10 से 15 मजदूर रहकर काम करते हैं और उनका भी परिवार चलता है। जब हमने मूर्तिकारों से बात की तब उनका कहना है कि मूर्तियों की सही कीमत नहीं मिल पाती और परिवार से दूर रहने के बाद कभी-कभी नुकसान उठाना पड़ता है। हर साल बीते साल के बाद इस धंधे में नुकसान होता जा रहा है धीरे-धीरे हमें यह काम छोड़ना पड़ेगा।


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