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रायगढ़ : गजराज प्रोजेक्ट पर सिस्टम की मार, हाथी कर रहे हैं सीमाओं को पार - जुनवानी और तमनार रेंज

गजराज प्रोजेक्ट में हाथियों के लिए जंगल में ही स्थान के अलावा पानी और अन्य व्यवस्था कराना था, ताकि हाथी जंगल से शहर और गांव की ओर ना आएं. लेकिन ये प्रोजेक्ट फेल होता दिख रहा है.

गजराज
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Published : May 14, 2019, 5:27 PM IST

रायगढ़ : जिले में हाथियों की दहशत को खत्म करने के लिए वन विभाग में गजराज प्रोजेक्ट बनाया गया था. प्रोजेक्ट में हाथियों के लिए जंगल में ही रहने के स्थान के अलावा पानी और अन्य व्यवस्था करनी थी ताकि वे जंगल से शहर और गांव की ओर न आएं. रायगढ़ वन मंडल में 3 रेंज हाथी प्रभावित क्षेत्र हैं. इसमें रायगढ़ वन परिक्षेत्र के जामगांव, बंगुरसिया, जुनवानी और तमनार रेंज के तराईमाल, घरघोड़ा और धर्मजयगढ़ के छाल वन परिक्षेत्र क्षेत्र आते हैं.

गजराज प्रोजेक्ट

13 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट
हाथियों से लोगों को बचाने के लिए 5 साल पहले गजराज प्रोजेक्ट लाने की तैयारी की गई थी. इसके लिए 13 करोड़ खर्च करने थे, लेकिन इस योजना के लिए वर्तमान में डेढ़ करोड़ रुपए की ही स्वीकृति मिल पाई है. ऐसे में यह योजना धरातल तक नहीं पहुंच पा रही है.

'हाथियों के लिए स्टॉप डेम'
पूरे मामले में रायगढ़ वन मंडल के अधिकारी मनोज पाण्डेय का कहना है गजराज परियोजना पूरी तरीके से चल रही है और यह कहना गलत होगा कि गजराज परियोजना के तहत जंगल में ही हाथियों के लिए स्टॉप डेम और रहवास की जगह बनाई गई है.

अपने से हाथी नुकसान नहीं पहुंचाते
वे कहते हैं कि, 'रायगढ़ के बंगुरसिया और जुनवानी के जंगलों में स्टॉप डेम में हाथियों के समूह को विचरण करते हुए देख सकते हैं, जो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते.'

नुकसान की भरपाई जरूर होगी
पाण्डेय का कहना है कि हाथी सामने से किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते, अगर ग्रामीण जंगल के भीतर जाकर हाथी को छेड़ते हैं तब ऐसी स्थिति में वे आक्रामक होकर नुकसान पहुंचाते हैं. वन विभाग की ओर से हाथियों से नुकसान की भरपाई कर दी जाती है. इसमें घर और फसल के मुआवजा तुरंत ही मिल जाता है.

रायगढ़ : जिले में हाथियों की दहशत को खत्म करने के लिए वन विभाग में गजराज प्रोजेक्ट बनाया गया था. प्रोजेक्ट में हाथियों के लिए जंगल में ही रहने के स्थान के अलावा पानी और अन्य व्यवस्था करनी थी ताकि वे जंगल से शहर और गांव की ओर न आएं. रायगढ़ वन मंडल में 3 रेंज हाथी प्रभावित क्षेत्र हैं. इसमें रायगढ़ वन परिक्षेत्र के जामगांव, बंगुरसिया, जुनवानी और तमनार रेंज के तराईमाल, घरघोड़ा और धर्मजयगढ़ के छाल वन परिक्षेत्र क्षेत्र आते हैं.

गजराज प्रोजेक्ट

13 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट
हाथियों से लोगों को बचाने के लिए 5 साल पहले गजराज प्रोजेक्ट लाने की तैयारी की गई थी. इसके लिए 13 करोड़ खर्च करने थे, लेकिन इस योजना के लिए वर्तमान में डेढ़ करोड़ रुपए की ही स्वीकृति मिल पाई है. ऐसे में यह योजना धरातल तक नहीं पहुंच पा रही है.

'हाथियों के लिए स्टॉप डेम'
पूरे मामले में रायगढ़ वन मंडल के अधिकारी मनोज पाण्डेय का कहना है गजराज परियोजना पूरी तरीके से चल रही है और यह कहना गलत होगा कि गजराज परियोजना के तहत जंगल में ही हाथियों के लिए स्टॉप डेम और रहवास की जगह बनाई गई है.

अपने से हाथी नुकसान नहीं पहुंचाते
वे कहते हैं कि, 'रायगढ़ के बंगुरसिया और जुनवानी के जंगलों में स्टॉप डेम में हाथियों के समूह को विचरण करते हुए देख सकते हैं, जो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते.'

नुकसान की भरपाई जरूर होगी
पाण्डेय का कहना है कि हाथी सामने से किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते, अगर ग्रामीण जंगल के भीतर जाकर हाथी को छेड़ते हैं तब ऐसी स्थिति में वे आक्रामक होकर नुकसान पहुंचाते हैं. वन विभाग की ओर से हाथियों से नुकसान की भरपाई कर दी जाती है. इसमें घर और फसल के मुआवजा तुरंत ही मिल जाता है.

Intro: रायगढ़ जिले में हाथियों की दहशत शांत कराने के लिए वन विभाग में गजराज प्रोजेक्ट बनाया गया था। बता दें कि इस प्रयोजना के तहत हाथियों के लिए जंगल में ही रहवासी स्थान के अलावा पानी व अन्य व्यवस्था कराना था ताकि हाथी जंगल से शहर और गांव की ओर ना आए। 

रायगढ़ वन मंडल में 3 रेंज हाथी प्रभावित क्षेत्र है जिसमें रायगढ़ वन परिक्षेत्र के जामगांव, बंगुरसिया, जुनवानी।  तथा तमनार रेंज के तराईमाल, घरघोड़ा और धर्मजयगढ़ के छाल वन परिक्षेत्र क्षेत्र आते हैं।

हाथी के फाइल शॉट मेल में गजराज प्रोजेक्ट के नाम से है कृपया देख लीजिए

byte01 मनोज पाण्डेय, DFO रायगढ़।





Body:रायगढ़ और धरमजयगढ़ वन मंडल में हाथियों का आतंक समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है आए दिन हाथों के द्वारा किसी ने किसी की जान लेने की घटना सामने आती रहती है। इस द्वंद से लोगों को बचाने के लिए 5 साल पहले गजराज प्रोजेक्ट लाने की तैयारी की गई थी जिसके लिए 13 करोड़ खर्च करने थे लेकिन इस योजना के लिए वर्तमान में 1.14 करोड रुपए ही स्वीकृति मिल पाई है ऐसे में यह योजना धरातल तक नहीं पहुंच पाई। 

पूरे मामले में रायगढ़ वन मंडल के अधिकारी मनोज पाण्डेय का कहना है कि गजराज परियोजना का धरातल पर नहीं आना यह कहना पूरी तरह से गलत होगा गजराज परियोजना के तहत जंगल में ही हाथियों के लिए स्टॉप डेम और रहवास की जगह बनाए गए हैं जिसमें हाथी विचरण करते हुए निवास करते हैं। रायगढ़ के बंगुरसिया और जुनवानी के जंगलों में स्टॉप डेम में हाथियों का समूह विचरण करते हुए देख सकते हैं जो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। यह हाथी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। मनोज पांडे का कहना है कि हाथी सामने से किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते अगर ग्रामीण जंगल के भीतर जाकर हाथी से सामना हो जाता है तो उन्हें परेशान ना करें परेशान करने की स्थिति में हाथी आक्रमक होकर नुकसान पहुंचाते हैं वन विभाग द्वारा हाथियों से हुए नुकसान की भरपाई कर दी जाती है जिसमें घर और फसल के मुआवजे तुरंत ही मिल जाते हैं वहीं हाथियों को परेशान नहीं करने की स्थिति में हाथी द्वारा किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया जाता। 



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