रायगढ़: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को रायगढ़ के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में तीन दिवसीय ‘राष्ट्रीय रामायण महोत्सव’ का शुभारंभ किया. आने वाले तीन दिन पूरा प्रदेश राम मय रहने वाला है. देश के कई राज्यों सहित इंडोनेशिया और कंबोडिया की मंडलियां प्रस्तुती दिया. सीएम ने इस कार्यक्रम में जानकारी दी कि दूसरे राज्यों के तीर्थ स्थलों में छत्तीसगढ़ के तीर्थ यात्रियों को सुविधा देने के लिए 2 एकड़ जमीन की मांग की गई है.
"राम हमारे दिल में बसे हैं": मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि "भगवान श्री राम ने अपने वनवास के 10 साल छत्तीसगढ़ में गुजारे. भगवान श्री राम ने वनवास के दौरान कितनी कठिनाई झेली पर अपनी मर्यादा नहीं खोई. भगवान राम जब वन गए तो मर्यादा पुरूषोत्तम बन गए. उनके इस चरित्र निर्माण में छत्तीसगढ़ का भी अंश है. हमारे राम कौशल्या के राम हैं, वनवासियों के राम हैं और हम सब के भांजे हैं. राम हमारे दिल में बसे हैं, हमारी सुबह राम से होती है, तो शाम भी राम के नाम से."
"देश में पहली बार छत्तीसगढ़ में शासकीय रूप से राष्ट्रीय स्तर पर रामायण महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. श्री राम जी के आदर्श चरित्र के श्रवण के लिए यह सुंदर आयोजन किया जा रहा है. यद्यपि यह राष्ट्रीय आयोजन है. लेकिन इसमें कंबोडिया, इंडोनेशिया जैसे विदेशी दल भी हिस्सा ले रहे हैं, जिससे यह महोत्सव अंतर्राष्ट्रीय हो गया है. आज मैंने राष्ट्रीय रामायण उत्सव के दौरान सुंदर मार्च पास्ट भी देखा इसमें रामनामी सम्प्रदाय का राम मार्चपास्ट भी देखा. इन्होंने पूरा जीवन श्री राम को समर्पित कर दिया है. वे निराकार में विश्वास करते हैं, जिस तरह कबीर निराकार में विश्वास करते हैं। इस तरह सबके अपने-अपने राम हैं." -भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री ने कहा कि "हमने सांस्कृति आदान-प्रदान के लिए उन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है. जहां तीर्थ स्थल है, वहां 2 एकड़ जमीन चाही है, ताकि हम अपने यात्रियों के लिए यहां रहने की अच्छी व्यवस्था बना सके. इसके साथ ही हम अपने तीर्थ स्थलों को भी विकसित कर रहे हैं ताकि हमारे यहां जो तीर्थयात्री आएं उन्हें भी अच्छी सुविधा मिल पाए. भगवान श्रीराम ने अपने वनवास का अधिकांश समय वनवासियों के साथ बिताया. उनके साथ गहरी आत्मीयता का वृतांत हमें रामायण में मिलता है. -भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़
आदिवासी संस्कृति को लेकर ये कहा: मुख्यमंत्री ने कहा कि "आदिवासी संस्कृति के संवर्धन के लिए हम तीन वर्षों से राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं. आदिवासियों के देवगुड़ी का संरक्षण कर रहे हैं, उनके घोटुल का संरक्षण कर रहे हैं. रायगढ़ मानव संस्कृति के सबसे आरंभिक गवाहों में से रहा है, यहां के शैल चित्र बताते हैं कि मानव जाति के सबसे आरंभिक सांस्कृतिक विकास के उदाहरण यहां भी मिलते हैं. इस संस्कारधानी नगरी ने कला के क्षेत्र में लोगों को संस्कारित करने के लिए बड़ा कार्य किया है."
सामूहिक हनुमान चालीसा का आयोजन: इस मौके पर सामूहिक हनुमान चालीसा का भी आयोजन हुआ. भक्ति गीतों के गायक श्री दिलीप षडंगी ने यह प्रस्तुति दी. उनके साथ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और हजारों दर्शक हनुमान जी की आराधना में लीन रहे. कार्यक्रम के आरंभ में विभिन्न राज्यों से और देशों से आए हुए दलों ने मार्च पास्ट किया. इंडोनेशिया और कंबोडिया से आए दलों ने अपने पारंपरिक परिधानों में लोगों का मन मोह लिया. रामनामी संप्रदाय के सदस्यों ने भी मार्च पास्ट किया. उत्तराखंड के दल की विशेषता यह रही कि इसमें अगुवाई रावण ने की. गोवा, कर्नाटक, उड़ीसा, मध्य प्रदेश आदि राज्यों ने भी अपनी प्रस्तुति दी. उल्लेखनीय है कि इस आयोजन में 12 राज्यों के 270 कलाकार हिस्सा ले रहे हैं. इसमें छत्तीसगढ़ प्रदेश से 70 कलाकार और विदेशों से 27 कलाकार हिस्सा ले रहे हैं.