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रायगढ़: मनरेगा ने स्थानीय मजदूरों की जिंदगी बदली, ग्रामीणों को गांव में मिलने लगा काम

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Published : Jul 22, 2020, 1:27 PM IST

केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना मनरेगा ने छत्तीसगढ़ के मजदूरों की जिंदगी बदलकर रख दी है. ग्रामीणों का कहना है कि इस योजना से उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है.

villagers
ग्रामीण

रायगढ़: केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी मनरेगा योजना ने गांव के लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. योजना के जरिए गांव में ही ग्रामीणों को रोजगार मिलने लगा है. ग्रामीणों ने कहा कि वे अपने घर से आस-पास ही इस योजना के तहत काम मिलने से खुश हैं.

मनरेगा ने स्थानीय मजदूरों की जिंदगी बदली

एक ग्रामीण ने कहा कि गांव में ऐसे भी कई भूमिहीन लोग हैं, जिन्हें मनरेगा के तहत काम मिला है. अगर मनरेगा न होता तो उनका जीना मुश्किल हो जाता, क्योंकि गांव में ऐसा कोई दूसरा साधन नहीं है, जिसकी मदद से यहां रहकर कमाई की जा सके.

पढ़ें- रायगढ़ में भ्रष्टाचार की हद, मृतकों के नाम पर मनरेगा से निकाली गई राशि !

गांव में रहकर काम मिलने से हैं खुश

ग्रामीण ने कहा कि कोरोना काल में मनरेगा योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इससी वजह से कई जरूरतमंद परिवारों को मदद मिली है. गांव में मनरेगा की वजह से ही गलियां, तालाब समेत पूरे गांव की साफ सफाई हुई है, वहीं भवन, रोड समेत बहुत से निर्माण कार्य भी इस योजना की वजह से ही संभव हो पाए हैं. गांवों में यदि मनरेगा का फंड न होता तो स्थानीय मजदूरों पर परेशानी का बोझ बढ़ जाता और वे पलायन के लिए मजबूर हो जाते. आर्थिक तंगी की वजह से उनकी जरूरी आवश्यकताएं पूरी नहीं हो पातीं. इस तरह से मनरेगा ने गांव और लोगों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है.

मनरेगा के लिए 40 हजार करोड़ का अतिरिक्त बजट

बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले महीने ही इस योजना में 40 हजार करोड़ रुपए की राशि दी थी. पिछले बजट में मनरेगा के लिए केंद्र सरकार ने 61 हजार करोड़ रुपए के फंड का एलान किया था. यह 40 हजार करोड़ रुपए उससे अलग है. केंद्र सरकार के मुताबिक ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि दूसरे राज्यों से अपने गृहग्राम पहुंचने वाले मजदूरों को वहां काम मिल सके.

रायगढ़: केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी मनरेगा योजना ने गांव के लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. योजना के जरिए गांव में ही ग्रामीणों को रोजगार मिलने लगा है. ग्रामीणों ने कहा कि वे अपने घर से आस-पास ही इस योजना के तहत काम मिलने से खुश हैं.

मनरेगा ने स्थानीय मजदूरों की जिंदगी बदली

एक ग्रामीण ने कहा कि गांव में ऐसे भी कई भूमिहीन लोग हैं, जिन्हें मनरेगा के तहत काम मिला है. अगर मनरेगा न होता तो उनका जीना मुश्किल हो जाता, क्योंकि गांव में ऐसा कोई दूसरा साधन नहीं है, जिसकी मदद से यहां रहकर कमाई की जा सके.

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गांव में रहकर काम मिलने से हैं खुश

ग्रामीण ने कहा कि कोरोना काल में मनरेगा योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इससी वजह से कई जरूरतमंद परिवारों को मदद मिली है. गांव में मनरेगा की वजह से ही गलियां, तालाब समेत पूरे गांव की साफ सफाई हुई है, वहीं भवन, रोड समेत बहुत से निर्माण कार्य भी इस योजना की वजह से ही संभव हो पाए हैं. गांवों में यदि मनरेगा का फंड न होता तो स्थानीय मजदूरों पर परेशानी का बोझ बढ़ जाता और वे पलायन के लिए मजबूर हो जाते. आर्थिक तंगी की वजह से उनकी जरूरी आवश्यकताएं पूरी नहीं हो पातीं. इस तरह से मनरेगा ने गांव और लोगों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है.

मनरेगा के लिए 40 हजार करोड़ का अतिरिक्त बजट

बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले महीने ही इस योजना में 40 हजार करोड़ रुपए की राशि दी थी. पिछले बजट में मनरेगा के लिए केंद्र सरकार ने 61 हजार करोड़ रुपए के फंड का एलान किया था. यह 40 हजार करोड़ रुपए उससे अलग है. केंद्र सरकार के मुताबिक ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि दूसरे राज्यों से अपने गृहग्राम पहुंचने वाले मजदूरों को वहां काम मिल सके.

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