रायगढ़: छत्तीसगढ़ के कई जिलों में कोरोना वायरस का कहर जारी है. इसी बीच मानसून की पहली बरसात से डेंगू का खतरा भी बढ़ गया है. कोरोना का आतंक अभी भी जारी है, लेकिन निगम प्रशासन दूसरी बीमारियों को लेकर मुस्तैद नजर नहीं आ रहा है. वार्डों की नालियां बजबजा रही हैं, लेकिन निगम का अमला इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. जबकि रायगढ़ में पिछले साल डेंगू ने स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा दिया था.
वार्डवासियों का आरोप है कि निगम प्रशासन व्यवस्था के नाम पर केवल पत्राचार कर रहा है. वार्डों की सफाई तो हो रही है, लेकिन दवा का छिड़काव नहीं किया जा रहा है. बजबजाती नालियों को देखकर कोरोना काल के बीच दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. इस केस में नगर निगम के आयुक्त आशुतोष पांडे लगातार सफाई की बात कह रहे हैं, लेकिन दवा छिड़काव को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं.
डेंगू के मद्देनजर नहीं की गईं तैयारियां
बता दें कि, जुलाई के महीने में ज्यादा फैलता है, जिसको देखते हुए निगम प्रशासन को पहले से ही तैयारी कर लेनी थी, लेकिन 15 दिन बीत गए हैं, लेकिन अभी तक निगम राज्य शासन को पत्र ही लिखा है. इतना ही नहीं निगम की ओर से अभी तक लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान तक नहीं चलाया जा रहा है. ऐसे में नगर निगम सवालों के घेरे में नजर आ रहा है.
निगम की लापरवाही कहीं लोगों के लिए घातक न बन जाए
2019 की बात करें, तो अप्रैल महीने में डेंगू का एक मरीज सामने आया था, जिसके बाद से मई और जून में कोई मरीज नहीं मिला, लेकिन जुलाई में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती गई. रायगढ़ में कुल 269 लोग डेंगू का शिकार हुए थे, लेकिन निगम इस ओर ध्यान ही नहीं दे रहा है. जानकारी के मुताबिक डेंगू का प्रकोप शहरों तक ही सीमित नहीं था, ग्रामीण क्षेत्रों में भी अपना कहर बरपाया था. लेकिन निगम की तैयारियों को लेकर लगता है कि लापरवाही कहीं लोगों के लिए घातक न बन जाए.