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चक्रधर समारोह: अपनी कला से सबको सम्मोहित करने वाले कलाकार आज सब्जी बेचने को मजबूर - चक्रधर समारोह

रायगढ़ में चक्रधर समारोह न होने की वजह से कलाकारों को आर्थिक क्षति हुई है. इसकी वजह से कई कलाकारों को रोजी-रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं इस वजह से कई कलाकार सब्जी बेचने को मजबूर हैं.

Effect of Corona virus on Chakradhar samaroh
सब्जी बेचने को मजबूर कलाकार
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Published : Aug 22, 2020, 1:27 PM IST

रायगढ़: रायगढ़ रियासत के तत्कालीन राजा चक्रधर सिंह के जन्मदिन के मौके पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. जो चक्रधर समारोह के नाम से जाना जाता है. समारोह गणेश चतुर्थी से लगातार 10 दिनों तक चलता है. कार्यक्रम में देश विदेश के शास्त्रीय संगीतकार, नृत्यकार और कला के प्रेमी शिरकत करते हैं. रायगढ़ ही नहीं प्रदेश भर के लोग भी इसे देखने पहुंचते हैं. कार्यक्रम में प्रस्तुति देने के लिए कलाकारों का चयन भी उनके गुरु, कलाकार के विख्यात नाम और उनके कला की बारीकियों को देखकर किया जाता है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी की चपेट में चक्रधर समारोह भी आ गया. 22 तारीख को गणेश चतुर्थी के दिन से शुरू होने वाला चक्रधर समारोह स्थगित कर दिया गया है.

सब्जी बेचने को मजबूर कलाकार

रायगढ़ जिले के ही पंथी गायन और शास्त्रीय गायन करने वाले शेखर गिरी बताते हैं कि वे बीते कई सालों से वह चक्रधर समारोह में प्रस्तुति देते आ रहे हैं, लेकिन इस बार चक्रधर समारोह नहीं होने से उन्हें कला और नाम के साथ आर्थिक क्षति भी हुई है. आज हालत यह हो गई है कि छोटी सी दुकान लगाकर वे सब्जी बेचने को मजबूर हैं. उसी के भरोसे अपना परिवार चला रहे हैं. शेखर बताते हैं कि जब भी वे मंच पर अपनी प्रस्तुति देते हैं, तब लोग मंत्रमुग्ध होकर उनको देखने लगते हैं. राष्ट्रपति, राज्यपाल और सीएम तक उन्हें सम्मानित कर चुके हैं. वह देश-विदेश में कार्यक्रम कर चुके हैं, लेकिन आज स्थितियां हो गई है कि वे सब्जी बेचने को मजबूर हैं.

सब्जी बेचने को मजबूर कलाकार
सब्जी बेचने को मजबूर कलाकार

नहीं मिली आर्थिक मदद: शेखर गिरी

नृत्य और कला के क्षेत्र में उन्हें कई अवॉर्ड मिल चुके हैं, लेकिन अवॉर्ड से पेट नहीं चल रहा है. उन्हें अबतक किसी तरह की आर्थिक मदद भी नहीं मिली है. उनके जैसे कई कलाकार हैं जो आज प्रवासी मजदूर बनने को मजबूर हैं. शेखर ने बताया कि समारोह में प्रस्तुति देने से उन्हें मानदेय भी मिलता है. साथ ही मान-सम्मान भी मिलता है, लेकिन इस बार चक्रधर समारोह न होने से उन्हें काफी नुकसान पहुंचा है.

कलाकारों पर कोरोना की मार
कलाकारों पर कोरोना की मार

'वर्चुअल कार्यक्रम का होना था आयोजन'

राज परिवार के सदस्य का कहना है कि शासन को चक्रधर समारोह में शिरकत करने वाले कलाकारों के लिए वर्चुअल कार्यक्रम कराना था. उनको मानदेय भी देना था. क्योंकि इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल मनोरंजन करना नहीं होता है, बल्कि उन कलाकारों को आर्थिक सहायता भी देना होता है जो कला को आज भी जिंदा रखे हुए हैं. चक्रधर समारोह को लेकर रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक का कहना है कि कोरोना महामारी की वजह से इस बार चक्रधर समारोह नहीं हो पाया है. अगर स्थिति सामान्य होगी तो भविष्य में और भव्य समारोह होगा.

खटाई में चक्रधर समारोह
खटाई में चक्रधर समारोह

1985 में हुई थी समारोह की शुरुआत

चक्रधर समारोह की शुरुआत 35 साल पहले हुई थी. इस बार 36वां चक्रधर समारोह का आयोजन होना था. साल 1905 में गणेश चतुर्थी के दिन राजा भूपदेव सिंह के दूसरे पुत्र कुमार चक्रधर सिंह का जन्म हुआ था. राजा चक्रधर सिंह एक कुशल तबला वादक और संगीत में निपुण थे. उनके प्रयासों और प्रोत्साहन का ही फल है कि संगीत और नृत्य की नई शैली विकसित हुई. स्वतंत्रता के बाद गणेश उत्सव के समय रायगढ़ में सांस्कृतिक आयोजन की एक समृद्ध परंपरा विकसित हुई. इस कार्यक्रम ने धीरे-धीरे एक बड़े आयोजन का रूप ले लिया. राजा चक्रधर सिंह ने नहीं रहने के बाद, कार्यक्रम का नाम चक्रधर समारोह रख दिया गया. साल 1985 से 10 दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव की शुरुआत हुई. समरोह के मंच पर आकर कलाकार अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते थे. लेकिन साल 2020 में यह कोरोना की भेंट चढ़ गया.

रायगढ़: रायगढ़ रियासत के तत्कालीन राजा चक्रधर सिंह के जन्मदिन के मौके पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. जो चक्रधर समारोह के नाम से जाना जाता है. समारोह गणेश चतुर्थी से लगातार 10 दिनों तक चलता है. कार्यक्रम में देश विदेश के शास्त्रीय संगीतकार, नृत्यकार और कला के प्रेमी शिरकत करते हैं. रायगढ़ ही नहीं प्रदेश भर के लोग भी इसे देखने पहुंचते हैं. कार्यक्रम में प्रस्तुति देने के लिए कलाकारों का चयन भी उनके गुरु, कलाकार के विख्यात नाम और उनके कला की बारीकियों को देखकर किया जाता है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी की चपेट में चक्रधर समारोह भी आ गया. 22 तारीख को गणेश चतुर्थी के दिन से शुरू होने वाला चक्रधर समारोह स्थगित कर दिया गया है.

सब्जी बेचने को मजबूर कलाकार

रायगढ़ जिले के ही पंथी गायन और शास्त्रीय गायन करने वाले शेखर गिरी बताते हैं कि वे बीते कई सालों से वह चक्रधर समारोह में प्रस्तुति देते आ रहे हैं, लेकिन इस बार चक्रधर समारोह नहीं होने से उन्हें कला और नाम के साथ आर्थिक क्षति भी हुई है. आज हालत यह हो गई है कि छोटी सी दुकान लगाकर वे सब्जी बेचने को मजबूर हैं. उसी के भरोसे अपना परिवार चला रहे हैं. शेखर बताते हैं कि जब भी वे मंच पर अपनी प्रस्तुति देते हैं, तब लोग मंत्रमुग्ध होकर उनको देखने लगते हैं. राष्ट्रपति, राज्यपाल और सीएम तक उन्हें सम्मानित कर चुके हैं. वह देश-विदेश में कार्यक्रम कर चुके हैं, लेकिन आज स्थितियां हो गई है कि वे सब्जी बेचने को मजबूर हैं.

सब्जी बेचने को मजबूर कलाकार
सब्जी बेचने को मजबूर कलाकार

नहीं मिली आर्थिक मदद: शेखर गिरी

नृत्य और कला के क्षेत्र में उन्हें कई अवॉर्ड मिल चुके हैं, लेकिन अवॉर्ड से पेट नहीं चल रहा है. उन्हें अबतक किसी तरह की आर्थिक मदद भी नहीं मिली है. उनके जैसे कई कलाकार हैं जो आज प्रवासी मजदूर बनने को मजबूर हैं. शेखर ने बताया कि समारोह में प्रस्तुति देने से उन्हें मानदेय भी मिलता है. साथ ही मान-सम्मान भी मिलता है, लेकिन इस बार चक्रधर समारोह न होने से उन्हें काफी नुकसान पहुंचा है.

कलाकारों पर कोरोना की मार
कलाकारों पर कोरोना की मार

'वर्चुअल कार्यक्रम का होना था आयोजन'

राज परिवार के सदस्य का कहना है कि शासन को चक्रधर समारोह में शिरकत करने वाले कलाकारों के लिए वर्चुअल कार्यक्रम कराना था. उनको मानदेय भी देना था. क्योंकि इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल मनोरंजन करना नहीं होता है, बल्कि उन कलाकारों को आर्थिक सहायता भी देना होता है जो कला को आज भी जिंदा रखे हुए हैं. चक्रधर समारोह को लेकर रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक का कहना है कि कोरोना महामारी की वजह से इस बार चक्रधर समारोह नहीं हो पाया है. अगर स्थिति सामान्य होगी तो भविष्य में और भव्य समारोह होगा.

खटाई में चक्रधर समारोह
खटाई में चक्रधर समारोह

1985 में हुई थी समारोह की शुरुआत

चक्रधर समारोह की शुरुआत 35 साल पहले हुई थी. इस बार 36वां चक्रधर समारोह का आयोजन होना था. साल 1905 में गणेश चतुर्थी के दिन राजा भूपदेव सिंह के दूसरे पुत्र कुमार चक्रधर सिंह का जन्म हुआ था. राजा चक्रधर सिंह एक कुशल तबला वादक और संगीत में निपुण थे. उनके प्रयासों और प्रोत्साहन का ही फल है कि संगीत और नृत्य की नई शैली विकसित हुई. स्वतंत्रता के बाद गणेश उत्सव के समय रायगढ़ में सांस्कृतिक आयोजन की एक समृद्ध परंपरा विकसित हुई. इस कार्यक्रम ने धीरे-धीरे एक बड़े आयोजन का रूप ले लिया. राजा चक्रधर सिंह ने नहीं रहने के बाद, कार्यक्रम का नाम चक्रधर समारोह रख दिया गया. साल 1985 से 10 दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव की शुरुआत हुई. समरोह के मंच पर आकर कलाकार अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते थे. लेकिन साल 2020 में यह कोरोना की भेंट चढ़ गया.

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