रायगढ़: छत्तीसगढ़ सरकार लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार देने के लिए महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत तालाब गहरीकरण और अन्य कार्य कराने के लिए पंचायत पर जोर दे रही है. लेकिन इन मजदूरों को सरपंच और रोजगार सहायक से मजदूरी लेने के लिए अपनी एड़ियां रगड़नी पड़ रही हैं. वहीं 2 महीने बीतने के बाद भी उन्हें अब तक मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया गया है.
नगर पंचायत सारंगढ़ के पिंडरी के लोगों का आरोप है कि सरपंच प्रदीप महेश और रोजगार सहायिका ममता महेश ने मनरेगा के काम में जमकर फर्जीवाड़ा किया है. लोगों का आरोप है कि काम करने वाले मजदूरों को दरकिनार करके अपने उन चहेतों के नाम पर राशि जनरेट कराई गई है, जिन्होंने काम किया भी नहीं है. ऐसा करना पंचायती राज अधिनियम के विरुद्ध है. फर्जी मजदूरों में परदेशी, अगरबाई, नागेंद्र महेश, प्रशांत महेश, तिहारू, रक्तिबाई, छमाबाई, भोलादास, आरती, धजाराम, हीराबाई, रणधीर महेश, मदनलाल, मूलचंद, सुंदरलाल, मथुरा, लक्ष्मीकांत महेश, समीर सिंह, रवि, लक्ष्मीन दिनार्थ के नाम शामिल हैं.
बेमेतरा: रोजी रोटी की तलाश में मजदूरों का पलायन शुरू
ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंच प्रदीप महेश और रोजगार सहायिका ममता महेश ने मिलीभगत करके मनरेगा के तहत हुए कार्य में भारी भ्रष्टाचार किया है. मनरेगा कार्य के तहत आम्हा तालाब में पानी फेंकने के लिए मशीन का उपयोग किया गया है. ग्रामीणों ने इसकी शिकायत 16 जून को सारंगढ़ SDM से भी की थी, लेकिन मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद 9 जुलाई को रायगढ़ कलेक्टर को पूरी घटना से अवगत कराया गया. ग्रामीणों की शिकायत को कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब तक आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
जानकारी के मुताबिक, पिंडरी में मनरेगा के तहत करीब 18 लाख रुपए का काम हो चुका है, लेकिन मजदूरों को अब तक इसका भुगतान नहीं हुआ है. जिससे गरीब मजदूर परेशान हैं. इधर मामले में सरपंच मजदूरों को कैश में भुगतान करने की बात कह रहे हैं.