नारायणपुर: छत्तीसगढ़ के गांवों में तेजी से फैल रहा कोरोना संक्रमण शासन-प्रशासन के लिए नई और बड़ी चुनौती है. जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत करलखा कोरोना के नए हॉटस्पॉट के रूप में सामने आया है. कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए जिला प्रशासन ने इस गांव को माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित किया है. जांच बढ़ने पर मरीजों की संख्या बढ़ सकती है. नाइस गांव के सरपंच अधारी राम कहते हैं लोगों को समझाया जा रहा है और कोरोना गाइडलाइन का पालन करने के निर्देश दिए जा रहे हैं. सरपंच को कहना है कि गांव में हुईं शादियां और दूध सप्लाई इस महामारी के फैलने की बड़ी वजह हो सकती हैं.
12 मई से अब तक 5 दिन के सैंपल में 39 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं और एक की जान चली गई है. बुजुर्ग की मौत के बाद लोग टेस्ट कराने लगे और स्थिति सामने आने लगी. सरपंच अधारीराम सलाम कहते हैं कि गांव में तीन शादियां हुईं है, कोरोना फैलने की ये बड़ी वजह हो सकती है. वे कहते हैं शादियों के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है. नारायणपुर जिले में 19 अप्रैल से 17 मई तक जिले में संपूर्ण लॉकडाउन है. जरूरी चीजें छोड़कर सभी गतिविधियां बंद हैं. किसी भी शादी या अन्य अंत्येष्टि में 10 लोग ही शामिल हो सकते हैं. लेकिन शादी में भीड़ जुटने से इस गांव में कोरोना फैला होगा.
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करलखा कंटेनमेंट जोन घोषित
करलखा गांव को कंटेंटमेंट जोन घोषित किया गया है. तीन सौ मकान वाले इस गांव की कुल जनसंख्या 900 से ज्यादा है. यहां 9 वार्ड शामिल हैं. जिले में लगभग दो दर्जन से अधिक स्थानों पर और गांवो में भी टेस्टिंग बढ़ा दी गई है. सरपंच का कहना है कि सबकी टेस्टिंग की जाएगी, जिससे संक्रमित लोगों की पहचान हो सके. अब तक गांव के आधे लोगों का ही टेस्ट किया गया है. बाकी लोगों की टेस्टिंग से संक्रमित लोगों का आंकड़ा बढ़ सकता है.
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दूध सप्लाई बंद, शहर में किल्लत
करलखा गांव की बदौलत नारायणपुर शहर में दूध की आपूर्ति होती है. करलखा गांव के कोरना हॉट-स्पॉट के रूप में सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने दूध की सप्लाई पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस गांव से अब शहर में दूध नहीं आने की वजह से लोग परेशान हो रहे हैं.
ग्रामीणों को राशन की हो रही दिक्कत
करलखा के बड़े पारा के ग्रामीण का कहना है कि अचानक पूरा गांव को कंटेनमेंट जोन बनाया गया है. वे लोग रोज कमाने खाने वाले हैं. अभी गांव से बाहर नहीं जा पा रहे हैं, जिसके चलते उनके सामने आर्थिक समस्याओं के साथ ही खाने-पीने के लिए राशन साग-सब्जी की दिक्कतें भी आ रही हैं. कुछ ग्रामीणों का कहना है कि बड़े पारा में कोरोना पॉजिटिव केस नहीं है फिर भी उन्हें कंटेनमेंट जोन में रहना पड़ रहा है. ग्रामीण सुलोचना बघेल कहना है कि जिले में लॉकडाउन लगे एक महीना हो गया है. ऐसे में उन्हें जरूरत का सामान मिलने में भी परेशानी हो रही है. भगवंति बताती हैं कि उन्हें दो महीने से राशन नहीं मिला है.
गांव के सभी मार्ग बंद हैं. बड़े पारा के ग्रामीणों ने गुरिया से करलखा की और आने वाले रास्त को बंद कर दिया है, जिससे बाहरी ग्रामीणों को प्रवेश न मिल सके. लगातार शासन-प्रशासन, सरपंच और जनप्रतिधि गांव के ग्रामीणों से घर में रहने और मास्क लगाने की अपील कर रहे हैं.