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मुंगेली: इस साल भी जिले में सूखे जैसे हालात, बारिश नहीं होने से बदहाल अन्नदाता - किसानों की बढ़ी चिंता

बारिश नहीं होने से ज्यादातर किसानों के खेत सूखे पड़े हैं. हालात इतनी बदतर है कि खेतों में हल तक नहीं चल पा रहा हैं.

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Published : Jul 19, 2019, 11:28 AM IST

Updated : Jul 19, 2019, 12:11 PM IST

मुंगेली: मानसून की बेरुखी से जिले के किसान बेहद परेशान है. बारिश नहीं होने से ज्यादातर किसानों के खेत सूखे पड़े हैं. हालात इतनी बदतर है कि खेतों में हल तक नहीं चल पा रहा है. ऐसे में समय पर बारिश नहीं होने से किसानों की मुश्किल बढ़ सकती है.

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मुंगेली जिला बीते कई सालों से सूखे की मार झेल रहा है. इस साल भी इलाके में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. जिले के ज्यादातर किसान धान की फसल लगाते हैं. धान की फसल को अधिक पानी की जरूरत पड़ती है. लेकिन बारिश नहीं होने के चलते जिले के ज्यादातर किसान अभी अपने खेतों में ठीक तरह से हल तक नहीं चला पाए हैं. जुलाई के दूसरे हफ्ते में आमतौर पर रोपाई का काम पूरा हो जाता है. लेकिन इस साल खेतों में अब तक रोपाई और बोआई नहीं हो पाई हैं.

पढ़ें- रायपुर : शिवराज ने राहुल को बताया रणछोड़ दास गांधी

ज्यादातर इलाके बारिश नहीं होने से प्रभावित
लोरमी ब्लॉक में सूखे का असर ज्यादा देखने को मिल रहा है. कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक लोरमी में 15 जुलाई तक पिछले साल 289 मिलीमीटर बारिश हुई थी. इस साल यहां बारिश बीते साल की तुलना में 40% से भी कम है. वहीं अगर पूरे ब्लॉक की बात करें, तो यहां पर खरीफ फसल कर रकबा लगभग 43 हजार हेक्टेयर है. इसमें से अकेले धान का रकबा 38 हजार 490 हेक्टेयर के करीब है.

पढ़ें- छत्तीसगढ़ में यलो अलर्ट जारी, कई जिलों में भारी बारिश की संभावना

पैदावार पर पड़ेगा असर
कृषि अधिकारी मनहरण कुर्रे के मुताबिक खरीफ का फसल मौसम आधारित फसल है. ऐसे में समय पर बारिश नहीं होने से फसल की पैदावार पर इसका असर पड़ेगा.

मुंगेली: मानसून की बेरुखी से जिले के किसान बेहद परेशान है. बारिश नहीं होने से ज्यादातर किसानों के खेत सूखे पड़े हैं. हालात इतनी बदतर है कि खेतों में हल तक नहीं चल पा रहा है. ऐसे में समय पर बारिश नहीं होने से किसानों की मुश्किल बढ़ सकती है.

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मुंगेली जिला बीते कई सालों से सूखे की मार झेल रहा है. इस साल भी इलाके में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. जिले के ज्यादातर किसान धान की फसल लगाते हैं. धान की फसल को अधिक पानी की जरूरत पड़ती है. लेकिन बारिश नहीं होने के चलते जिले के ज्यादातर किसान अभी अपने खेतों में ठीक तरह से हल तक नहीं चला पाए हैं. जुलाई के दूसरे हफ्ते में आमतौर पर रोपाई का काम पूरा हो जाता है. लेकिन इस साल खेतों में अब तक रोपाई और बोआई नहीं हो पाई हैं.

पढ़ें- रायपुर : शिवराज ने राहुल को बताया रणछोड़ दास गांधी

ज्यादातर इलाके बारिश नहीं होने से प्रभावित
लोरमी ब्लॉक में सूखे का असर ज्यादा देखने को मिल रहा है. कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक लोरमी में 15 जुलाई तक पिछले साल 289 मिलीमीटर बारिश हुई थी. इस साल यहां बारिश बीते साल की तुलना में 40% से भी कम है. वहीं अगर पूरे ब्लॉक की बात करें, तो यहां पर खरीफ फसल कर रकबा लगभग 43 हजार हेक्टेयर है. इसमें से अकेले धान का रकबा 38 हजार 490 हेक्टेयर के करीब है.

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पैदावार पर पड़ेगा असर
कृषि अधिकारी मनहरण कुर्रे के मुताबिक खरीफ का फसल मौसम आधारित फसल है. ऐसे में समय पर बारिश नहीं होने से फसल की पैदावार पर इसका असर पड़ेगा.

Intro:मुंगेली- मानसून की बेरुखी से मुंगेली जिले के किसान बेहद परेशान है. बारिश के नहीं होने से ज्यादातर किसानों के खेत सूखे पड़े हैं। हालात इतने बदतर हैं कि किसानों के खेतों में हल तक नहीं चल पा रहे हैं. लिहाजा ऐसे में समय पर बारिश नहीं होने के चलते जिले के किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।


Body: मुंगेली जिला बीते कई वर्षों से सूखे की मार झेल रहा है. इस वर्ष भी एक माह गुजर जाने के बावजूद इलाके में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. जिले के ज्यादातर किसान धान की फसल लेते हैं. धान के फसल को अपेक्षाकृत अधिक पानी की आवश्यकता पड़ती है लेकिन बारिश नहीं होने के चलते जिले के ज्यादातर किसान अभी अपने खेतों में ठीक तरह से हल तक नहीं चला पाए हैं। जुलाई के दूसरे हफ्ते में आमतौर पर रोपाई का काम पूरा हो जाता है। लेकिन इस वर्ष किसानों के खेतों में रोपाई और बोआई तक नही हो पाए हैं।

ये इलाका ज्यादा प्रभावित
जिले के लोरमी ब्लॉक में सूखे की मार ज्यादा देखने को मिल रही है. कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक लोरमी में 15 जुलाई तक पिछले वर्ष 289 मिलीमीटर बारिश हुई थी जबकि इस वर्ष घटकर 174 मिली मीटर ही बारिश हो पाई है. जो कि बीते वर्ष की तुलना में 40% से भी कम है. वहीं अगर पूरे ब्लाक की बात करें तो यहां पर खरीफ फसल कर रकबा लगभग 43 हज़ार हेक्टेयर है इसमें से अकेले धान फसल का रकबा 38490 हेक्टेयर के करीब है।



Conclusion:पैदावार पर पड़ेगा असर
कृषि अधिकारी मनहरण कुर्रे के मुताबिक खरीफ़ का फसल मौसम आधारित फसल है।ऐसे में समय पर बारिश नही होने से किसानों के फसल की पैदावार पर इसका पूरा असर पड़ेगा।
बाइट-1-
बाइट-2-
बाइट-3-मनहरण कुर्रे(कृषि अधिकारी)...(कुर्सी में बैठे हुए)
Last Updated : Jul 19, 2019, 12:11 PM IST
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