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छत्तीसगढ़ के औषधीय 'कांटे': जो दर्द नहीं बल्कि देते हैं दवा, गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए है रामबाण

देशभर में उत्तराखंड के बाद छत्तीसगढ़ वनाच्छादित प्रदेश के अलावा औषधीय प्रदेश के रूप में दूसरे स्थान पर अपनी पहचाना रखता है. यहां के औषधीय पौधों में पाये जाने वाले कांटे दर्जनों बीमारियों के इलाज में काफी असरदार और प्रभावी है. खासकर किडनी, कमजोरी, खांसी और किडनी की पथरी के इलाज के लिए यह रामबाण माना जाता है.

thorns of chhattisgarh
छत्तीसगढ़ के कांटे
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Published : Aug 12, 2021, 10:26 PM IST

Updated : May 10, 2024, 6:09 PM IST

रायपुरः कांटे के चुभने की सोच ही मन में एक सिहरन पैदा कर देती है. लेकिन जिस कांटे की चुभन की कल्पना मात्र से ही मन में सिहरन पैदा हो जाती है, वही कांटा शरीर की कई बीमारियों को दूर करने में कारगर है. आयुर्वेद से जुड़े डॉक्टरों की मानें तो छत्तीसगढ़ एक वनाच्छादित प्रदेश है. यहां के औषधीय पौधों में पाया जाने वाला कांटा लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. छत्तीसगढ़ के औषधीय पौधों में पाए जाने वाले कांटे आयुर्वेद की दवा के लिए उपयुक्त माने जाते हैं. ये कांटे न केवल किडनी बल्कि शरीर की कमजोरी को दूर करने के अलावा भी कई गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए मददगार साबित होते हैं.

वरदान से कम नहीं हैं छत्तीसगढ़ के 'कांटे'

आधा दर्जन से अधिक बीमारियों की दवा हैं कांटे

छत्तीसगढ़ में उत्तराखंड के बाद देशभर में सबसे अधिक औषधीय पौधे पाये जाते हैं. छत्तीसगढ़ वनाच्छादित प्रदेश के अलावा औषधीय प्रदेश के रूप में भी पहचाना जाता है. यहां पाए जाने वाले कांटे भी काफी महत्वपूर्ण हैं, जिनका उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है. आयुर्वेद से जुड़े डॉक्टरों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले कांटे किडनी, कमजोरी और खांसी समेत आधा दर्जन से अधिक बीमारियों की दवा के लिए कारगर साबित होते हैं. इन कांटों को पीसकर काढ़ा बनाकर पीने से शरीर के लिए लाभकारी होता है. इतना ही नहीं बल्कि इनके उपयोग से किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता.

भटकटिया कांटा खांसी के लिए लाभदायक

शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रूपेंद्र चंद्राकर ने बताया कि छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले कुछ औषधीय पौधे ऐसे हैं, जिनमें कांटे पाए जाते हैं. पौधों में कांटे होने की वजह से वह उपयोगी सिद्ध होते हैं. ऐसा ही एक पौधा है भटकटिया, जो ज्यादातर खेतों या खुले मैदानों में पाया जाता है. आयुर्वेद में इसे भटकटैया के नाम से जाना जाता है. यह खांसी की बड़ी अच्छी दवा है. इसका काढ़ा बनाकर या पंचांग उपयोग करके काढ़ा बनाकर पीने से सूखी खांसी हो या किसी भी प्रकार की खांसी यह उसमें काफी उपयोगी होता है.

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गोखरू कांटा किडनी की अचूक दवा

धान कटाई के बाद खेत में गोखरू का कांटा अत्यधिक मात्रा में उगता है. यह किडनी की सबसे अच्छी और कारगर दवा है. इसे हम कांटे के साथ ही पीस देते हैं. पीसने के बाद इसका काढ़ा बनाया जाता है. यह गोखरू हमारी किडनी की पथरी, पेशाब की नली या पेशाब की थैली की पथरी को भी तोड़ कर निकाल देता है. यदि किसी की किडनी खराब होने की स्थिति में है तो उसके लिए भी यह अचूक दवा मानी जाती है. लेकिन हमारे प्रदेश में यह औषधीय पौधा वेस्ट प्रोडक्ट के रूप में पड़ा हुआ है. हमें इसकी जानकारी और संरक्षण की भी आवश्यकता है.

मोखला कांटा शरीर की कमजोरी दूर करने में कारगर

डॉ चंद्राकर ने बताया कि खेतों के आसपास की भूमि में चलने पर कुछ कांटे हमारे पैरों में चुभ जाते हैं, वही मोखला कांटा कहलाता है. यह एक ऐसा कांटे वाले पौधा है, जो हमारे शरीर में वीर्य की भी वृद्धि करता है. यह नपुंसकता को भी दूर करता है. ठंड के दिनों में इनके पंचांग या इनके जड़ को निकालकर काढ़ा बनाकर पीने और इसका लड्डू बनाकर खाने पर यह हमारे शरीर को ताकत प्रदान करने में काफी कारगर है. सौंदर्य के लिए भी यह कांटा अचूक दवा माना जाता है. वहीं शाल्मली नाम के पौधा में छोटे-छोटे कांटे पाए जाते हैं. उन कांटों को तोड़कर और पीसकर उससे जो रस निकलता है, उसे अपने चेहरे के मुहासों में लगाने पर मुहासे 7 दिनों के भीतर ठीक हो जाते हैं.

स्वर्णक्षीरी दर्द के लिए उपयोगी

स्वर्णक्षीरी कांटा भी भटकटैया कांटे की तरह ही दिखाई देता है, लेकिन इसमें पीले-पीले फूल होते हैं. इसमें भी बड़े-बड़े कांटे होते हैं. यह हमारे दर्द की अचूक दवा है. इसको लेने से शरीर में आमवाद जैसी बीमारी और जोड़ों के दर्द के लिए भी यह लाभदायक होता है. वहीं एक पौधा स्नूहि कंटक होता है. यह गांव की बेकार जमीन पर देखने को मिलता है. उसमें छोटे-छोटे कांटे होते हैं. उन पौधों के पत्तों को काटने पर उनसे दूध रिसता है. उस दूध को निकालकर क्षार सूत्र बनाया जाता है, जो अश्व भगंदर आदि बीमारियों के लिए काफी लाभदायक होता है.

रायपुरः कांटे के चुभने की सोच ही मन में एक सिहरन पैदा कर देती है. लेकिन जिस कांटे की चुभन की कल्पना मात्र से ही मन में सिहरन पैदा हो जाती है, वही कांटा शरीर की कई बीमारियों को दूर करने में कारगर है. आयुर्वेद से जुड़े डॉक्टरों की मानें तो छत्तीसगढ़ एक वनाच्छादित प्रदेश है. यहां के औषधीय पौधों में पाया जाने वाला कांटा लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. छत्तीसगढ़ के औषधीय पौधों में पाए जाने वाले कांटे आयुर्वेद की दवा के लिए उपयुक्त माने जाते हैं. ये कांटे न केवल किडनी बल्कि शरीर की कमजोरी को दूर करने के अलावा भी कई गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए मददगार साबित होते हैं.

वरदान से कम नहीं हैं छत्तीसगढ़ के 'कांटे'

आधा दर्जन से अधिक बीमारियों की दवा हैं कांटे

छत्तीसगढ़ में उत्तराखंड के बाद देशभर में सबसे अधिक औषधीय पौधे पाये जाते हैं. छत्तीसगढ़ वनाच्छादित प्रदेश के अलावा औषधीय प्रदेश के रूप में भी पहचाना जाता है. यहां पाए जाने वाले कांटे भी काफी महत्वपूर्ण हैं, जिनका उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है. आयुर्वेद से जुड़े डॉक्टरों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले कांटे किडनी, कमजोरी और खांसी समेत आधा दर्जन से अधिक बीमारियों की दवा के लिए कारगर साबित होते हैं. इन कांटों को पीसकर काढ़ा बनाकर पीने से शरीर के लिए लाभकारी होता है. इतना ही नहीं बल्कि इनके उपयोग से किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता.

भटकटिया कांटा खांसी के लिए लाभदायक

शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रूपेंद्र चंद्राकर ने बताया कि छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले कुछ औषधीय पौधे ऐसे हैं, जिनमें कांटे पाए जाते हैं. पौधों में कांटे होने की वजह से वह उपयोगी सिद्ध होते हैं. ऐसा ही एक पौधा है भटकटिया, जो ज्यादातर खेतों या खुले मैदानों में पाया जाता है. आयुर्वेद में इसे भटकटैया के नाम से जाना जाता है. यह खांसी की बड़ी अच्छी दवा है. इसका काढ़ा बनाकर या पंचांग उपयोग करके काढ़ा बनाकर पीने से सूखी खांसी हो या किसी भी प्रकार की खांसी यह उसमें काफी उपयोगी होता है.

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गोखरू कांटा किडनी की अचूक दवा

धान कटाई के बाद खेत में गोखरू का कांटा अत्यधिक मात्रा में उगता है. यह किडनी की सबसे अच्छी और कारगर दवा है. इसे हम कांटे के साथ ही पीस देते हैं. पीसने के बाद इसका काढ़ा बनाया जाता है. यह गोखरू हमारी किडनी की पथरी, पेशाब की नली या पेशाब की थैली की पथरी को भी तोड़ कर निकाल देता है. यदि किसी की किडनी खराब होने की स्थिति में है तो उसके लिए भी यह अचूक दवा मानी जाती है. लेकिन हमारे प्रदेश में यह औषधीय पौधा वेस्ट प्रोडक्ट के रूप में पड़ा हुआ है. हमें इसकी जानकारी और संरक्षण की भी आवश्यकता है.

मोखला कांटा शरीर की कमजोरी दूर करने में कारगर

डॉ चंद्राकर ने बताया कि खेतों के आसपास की भूमि में चलने पर कुछ कांटे हमारे पैरों में चुभ जाते हैं, वही मोखला कांटा कहलाता है. यह एक ऐसा कांटे वाले पौधा है, जो हमारे शरीर में वीर्य की भी वृद्धि करता है. यह नपुंसकता को भी दूर करता है. ठंड के दिनों में इनके पंचांग या इनके जड़ को निकालकर काढ़ा बनाकर पीने और इसका लड्डू बनाकर खाने पर यह हमारे शरीर को ताकत प्रदान करने में काफी कारगर है. सौंदर्य के लिए भी यह कांटा अचूक दवा माना जाता है. वहीं शाल्मली नाम के पौधा में छोटे-छोटे कांटे पाए जाते हैं. उन कांटों को तोड़कर और पीसकर उससे जो रस निकलता है, उसे अपने चेहरे के मुहासों में लगाने पर मुहासे 7 दिनों के भीतर ठीक हो जाते हैं.

स्वर्णक्षीरी दर्द के लिए उपयोगी

स्वर्णक्षीरी कांटा भी भटकटैया कांटे की तरह ही दिखाई देता है, लेकिन इसमें पीले-पीले फूल होते हैं. इसमें भी बड़े-बड़े कांटे होते हैं. यह हमारे दर्द की अचूक दवा है. इसको लेने से शरीर में आमवाद जैसी बीमारी और जोड़ों के दर्द के लिए भी यह लाभदायक होता है. वहीं एक पौधा स्नूहि कंटक होता है. यह गांव की बेकार जमीन पर देखने को मिलता है. उसमें छोटे-छोटे कांटे होते हैं. उन पौधों के पत्तों को काटने पर उनसे दूध रिसता है. उस दूध को निकालकर क्षार सूत्र बनाया जाता है, जो अश्व भगंदर आदि बीमारियों के लिए काफी लाभदायक होता है.

Last Updated : May 10, 2024, 6:09 PM IST
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