मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : एमसीबी जिला के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत मंगोरा में मुख्यालय तक आने जाने के लिए सड़क नहीं है.गांव के लोगों को आने जाने के लिए इस वजह से काफी परेशानी उठानी पड़ती है.सड़क के लिए ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत दफ्तर तक ग्रामीणों ने आवेदनों का अंबार लगाया.लेकिन किसी ने भी ग्रामीणों की तकलीफ को नहीं समझा. जिला पंचायत अध्यक्ष ने ग्रामीणों के निवेदन अपने अफसरों तक पहुंचाया.लेकिन सड़क को लेकर किसी के भी कान में जूं तक नहीं रेंगी. आखिरकार थक हारकर ग्रामीणों ने अपने गांव तक आने जाने के लिए खुद ही सड़क बनाने का बीड़ा उठा लिया है.
जिला पंचायत अध्यक्ष का गृह क्षेत्र है मंगोरा : आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरे जिले की पंचायत अध्यक्ष रेणुका सिंह का गृह क्षेत्र भी मंगोरा में ही है.लेकिन वो भी अपने गांव तक सड़क बनाने में नाकाम रही हैं. लेकिन सड़क की तकलीफ को काफी करीब से समझते हुए रेणुका सिंह ने ग्रामीणों से मुलाकात की.इसके बाद उन्हें खुद ही सड़क बनाने के लिए प्रेरित किया.इसके लिए रेणुका सिंह ने आर्थिक सहायता भी ग्रामीणों को दी है.जिसके बाद ग्रामीण खुद से सड़क बनाने में जुट चुके हैं.
''आवागमन के लिए बहुत दिक्कत होती थी. जिला पंचायत अध्यक्ष रेणुका सिंह ने ग्रामीणों की बात को सुनकर कई बार जिला प्रशासन को इस बारे में सूचना दी.लेकिन प्रशासन भी आंख और कान मूंदकर बैठ गया.आखिरकार गांववाले ही एक जुट होकर सड़क बनाने के काम में जुट गए.'' जगदीश सिंह, उप सरपंच, ग्राम पंचायत मंगोरा
एक तरफ मेहनतकश ग्रामीण सड़क के लिए दिनरात एक कर रहे हैं.वहीं दूसरी तरफ अब भी प्रशासनिक अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी है.फिलहाल आचार संहिता के कारण अधिकारियों के पास भी रटा रटाया जवाब है.लेकिन सवाल ये भी है कि आचार संहिता लगने से पहले प्रशासनिक अधिकारी मंगोरा गांव में रहने वाले ग्रामीणों के आवेदन का क्या कर रहे थे.अब भी मंगोरा में सड़क का काम अधूरा है.जिसे पूरा करने के लिए ग्रामीण मेहनत कर रहे हैं.ऐसे में देखना ये होगा कि प्रशासन ग्रामीणों की मदद के लिए आगे आएगा.या फिर एक बार फिर मजदूर की हथौड़ियों से पहाड़ हारेगा.