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इंजीनियरिंग छोड़ शुरू की गुलाब की खेती, अब 'महक' रही है जिंदगी

अमर चंद्राकर गांव के तकरीबन 5 एकड़ में पॉली हाउस लगाकर गुलाबों की खेती कर रहा है. अमर इस काम से अन्य युवाओं को भी खेती करने की ओर आकर्षित कर रहे हैं.

गुलाब की खेती
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Published : May 7, 2019, 3:45 PM IST

महासमुंद: महासमुंद कृषि प्रधान जिला है. यहां लोगों में खेती को लेकर विषेश रुचि रही है. शायद यही वजह है कि जिले के युवा भी अपनी पढ़ाई पूरी कर खेती की ओर अपना रुख कर रहे हैं. खेती में उन्नत तकनीक का इस्तेमाल करने से उनकी इनकम भी कई गुना बढ़ गई है.

गुलाब की खेती

पॉली हाउस लगाकर गुलाबों की खेती
इंजीनियरिंग कर छात्र आम तौर पर मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी करने का सपना देखते हैं, लेकिन महासमुंद जिले के मालिडीह गांव का ये युवक हाथों में हल थामे किसानी करने उतर गया है. अमर चंद्राकर गांव के तकरीबन 5 एकड़ में पॉली हाउस लगाकर गुलाबों की खेती कर रहा है. अमर इस काम से अन्य युवाओं को भी खेती करने की ओर आकर्षित कर रहे हैं.

पुणे से ली ट्रेनिंग
मालिडीह गांव के रहने वाले अमर बताते हैं कि उन्होंने इंजीनियरिंग के बाद सरकारी नौकरी नहीं चुनी और अपने खेतों में ही काम करना शुरू किया. उन्होंने पुणे से गुलाबों की खेती के बारे में ट्रेनिंग ली और फिर गांव में ही पॉली हाउस लगाकर गुलाबों की खेती शुरू कर दी. इससे उन्हें हर महीने लगभग 50 हजार की आमदनी भी हो रही है.

बागवानी मिशन से मिलेगी मदद
अमर के पिता अरुण चंद्राकर का कहना है कि युवाओं को खेती करने का मौका देना चाहिए. युवा नए तरीकों से आधुनिक खेती करते हैं जिसका बहुत अच्छा लाभ मिलता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि बागवानी मिशन महासमुंद जिले में लागू हो जाए तो जिले के युवाओं को खेती करने में और मदद मिलेगी.

मुनाफे में है ये बिजनेस
उद्यानिकी विभाग का कहना है कि पूरे जिले में लगभग 53 पॉली हाउस हैं. इन सभी पाली हाउस में गुलाब की खेती हो रही है. पहले इन पॉली हाउस में अन्य चीजों की खेती की गई थी. लेकिन इसमें उन्हें उतना मुनाफा नहीं हुआ. इसके बाद में इनमें गुलाब, रजनीगंधा और सेवंती की खेती की जा रही है. इससे मुनाफे के साथ ही रोजगार भी बढ़ा है.

महासमुंद: महासमुंद कृषि प्रधान जिला है. यहां लोगों में खेती को लेकर विषेश रुचि रही है. शायद यही वजह है कि जिले के युवा भी अपनी पढ़ाई पूरी कर खेती की ओर अपना रुख कर रहे हैं. खेती में उन्नत तकनीक का इस्तेमाल करने से उनकी इनकम भी कई गुना बढ़ गई है.

गुलाब की खेती

पॉली हाउस लगाकर गुलाबों की खेती
इंजीनियरिंग कर छात्र आम तौर पर मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी करने का सपना देखते हैं, लेकिन महासमुंद जिले के मालिडीह गांव का ये युवक हाथों में हल थामे किसानी करने उतर गया है. अमर चंद्राकर गांव के तकरीबन 5 एकड़ में पॉली हाउस लगाकर गुलाबों की खेती कर रहा है. अमर इस काम से अन्य युवाओं को भी खेती करने की ओर आकर्षित कर रहे हैं.

पुणे से ली ट्रेनिंग
मालिडीह गांव के रहने वाले अमर बताते हैं कि उन्होंने इंजीनियरिंग के बाद सरकारी नौकरी नहीं चुनी और अपने खेतों में ही काम करना शुरू किया. उन्होंने पुणे से गुलाबों की खेती के बारे में ट्रेनिंग ली और फिर गांव में ही पॉली हाउस लगाकर गुलाबों की खेती शुरू कर दी. इससे उन्हें हर महीने लगभग 50 हजार की आमदनी भी हो रही है.

बागवानी मिशन से मिलेगी मदद
अमर के पिता अरुण चंद्राकर का कहना है कि युवाओं को खेती करने का मौका देना चाहिए. युवा नए तरीकों से आधुनिक खेती करते हैं जिसका बहुत अच्छा लाभ मिलता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि बागवानी मिशन महासमुंद जिले में लागू हो जाए तो जिले के युवाओं को खेती करने में और मदद मिलेगी.

मुनाफे में है ये बिजनेस
उद्यानिकी विभाग का कहना है कि पूरे जिले में लगभग 53 पॉली हाउस हैं. इन सभी पाली हाउस में गुलाब की खेती हो रही है. पहले इन पॉली हाउस में अन्य चीजों की खेती की गई थी. लेकिन इसमें उन्हें उतना मुनाफा नहीं हुआ. इसके बाद में इनमें गुलाब, रजनीगंधा और सेवंती की खेती की जा रही है. इससे मुनाफे के साथ ही रोजगार भी बढ़ा है.

Intro:एंकर - कहा जाता है जब नवयुवक खेत में हलचल चलाएंगे तो खुशबू ही फैलेगी।महासमुंद पूरी तरह खेती पर निर्भर है यहां के किसान धान की खेती ही लिया करते थे पिछले कुछ सालों से यहां के किसान पाली हाउस के द्वारा अब गुलाबो की भी खेती करने लगे हैं हम आपको बता दें कि यहां के नौयुवक खेती के तरफ बहुत ही ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं वही जो युवा पूरी पढ़ाई कर अपनी इंजीनियरिंग कंपलीट करने के बाद अब वह खेतों की तरफ अपना रुक कर रखे हैं पाली हाउस के द्वारा वह अपने खेतों में गुलाब की खेती कर रहे हैं जिस उनकी इनकम भी कई गुना बढ़ गई है।

one2one - अमर चन्द्राकर , पाली हॉउस संचालक, ग्राम - मालिडीह (पहचान - क्रीम टी शर्ट )

वीओ 1 - महासमुंद के ग्राम मालिडीह के अमर चंद्राकर बी ई कंपलीट कर पुणे से गुलाबों की खेती के बारे में ट्रेनिंग लेकर आज वह अपने गांव के 5 एकड़ खेत में पाली हाउस लगाकर गुलाबों की खेती कर रहे हैं उनका कहना है मेरे पिताजी अरुण चंद्राकर का मार्गदर्शन और मेरा आधुनिक चीजों का ज्ञान बड़ा ही कारगर हो रहा है इसके चलते मैंने इंजीनियरिंग के बाद सरकारी नौकरी नहीं चुना और अपने खेतों में ही काम करना चालू किया आज मेरी इनकम लगभग महीने की ₹50हजार है।

one2one - अरुण चन्द्राकर पाली हॉउस संचालक के पिता (पहचान - हरा कुड़ता और बुजुर्ग व्यक्ति)


वीओ 2 - रायपुर राजधानी बाहर के गुलाबों पर डिपेंड रहता था अब हम तीन-चार सालों में इतनी अच्छे से खेती कर रहे हैं कि अब पूरे गुलाब राजधानी में ही खब जाते हैं और बाहर से गुलाब 10 या 5 परसेंट ही आते होंगे वहीं उनके पिता अरुण चंद्राकर का कहना है कि युवाओं को खेती करने का मौका देना चाहिए वह नए तरीकों से आधुनिक खेती करते हैं जिसका हमें बहुत ज्यादा लाभ मिलता है साथ ही उन्होंने एक बात कही कि बागवानी मिशन महासमुंद जिले में लागू नहीं है जबकि आजू बाजू के जिलो में यह लागू है यदि यहां भी लागू हो जाएं तो युवाओं को खेती करने में और मदद मिलेगी। उद्यानिकी विभाग की बात की जाए तो उनके विभाग का भी कहना है कि पूरे महासमुंद जिले में 53 लगभग पाली हाउस है जिसमें सभी पाली हाउस गुलाबों की खेती कर रहे हैं पहले उन्होंने अन्य चीजों की खेती की जिसमें उन्हें मुनाफा नहीं हुआ और बाद में उन्होंने गुलाब, रजनीगंधा और सेवंती की खेती कर मुनाफे में है और साथ ही साथ अपने साथ कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।

हकीमुद्दीन नासिर ईटीवी भारत महासमुंद छत्तीसगढ़


Body:06/05/2019_cg_msmd_gulab_ki_kheti


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