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सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ रहा महासमुंद का सखी सेंटर

हिंसा से पीड़ित महिलाओं को छत देने और जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की ओर से सखी सेंटर की स्थापना की गई थी. जो की बदहाली से जूझ रहा है.

सुविधाओं के अभाव में सखी सेंटर
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Published : Oct 11, 2019, 7:57 PM IST

महासमुंद: दिल्ली निर्भया गैंगरेप केस के बाद केंद्र सरकार की ओर से हिंसा से पीड़ित महिलाओं को एक ही छत के नीचे रखने और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिले में सखी सेंटर की स्थापना की गई थी. जो कि अब सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ रहा है.

सुविधाओं के अभाव में सखी सेंटर

सुविधाओं के अभाव में सखी सेंटर
बता दें कि सखी सेंटर में बेड तो है, लेकिन उस पर बिछाने के लिए चादर-तकिया नहीं है. वहीं सखी सेंटर को 24 घंटे खुला रखने के नाम से संचालित किया गया था. लेकिन सखी सेंटर को महज 12 घंटे ही संचालित किया जा रहा है. वहीं सखी सेंटर में सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम भी नहीं हैं.

स्वास्थ्य विभाग की कैंटीन के भरोसे सखी सेंटर

स्वास्थ्य विभाग के भवन में संचालित सखी सेंटर की हालत ऐसी हो गई है कि, सेंटर में ना तो खाना पकाने के लिए कोई कर्मचारी है और ना ही बर्तनों का इंतजाम. पीड़िता के आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की कैंटीन से भोजन का इंतजाम किया जाता है.

पीड़ित महिलाओं की समस्या दूर करने की गई थी सखी सेंटर की स्थापना

बता दें कि महासमुंद जिले में सखी सेंटर की स्थापना 2017 में की गई थी. तब से लेकर आज तक सखी सेंटर में 359 प्रकरण दर्ज हुए हैं, जिनमें से 273 प्रकरणों का निवारण किया जा चुका है. वहीं 86 प्रकरण अब तक लंबित हैं. 5 बेड वाले सखी सेंटर में दो साल में शासन ने 58 लाख 66 हजार 218 रुपए आवंटित किए थे, जिसमें से 40 लाख 43 हजार 188 रुपये खर्च किए गए हैं. जबकि 18 लाख 23 हज़ार 23 रुपये अभी खर्च करने के लिए बचे हुए हैं.

पढ़े:अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवसः ओजस्वी के सुरों की तान ने बढ़ाई छत्तीसगढ़ी गीतों की शान

सुविधा उपलब्ध कराने की बात कह रहे अधिकारी
जिसके बाद भी सखी सेंटर में सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाई हैं, जहां सखी सेंटर को केंद्र शासन सुविधाओं का अभाव बता रही है वहीं आला अधिकारी जल्द से जल्द सारी सुविधा पूरा कराने की बात कर रहे हैं.

महासमुंद: दिल्ली निर्भया गैंगरेप केस के बाद केंद्र सरकार की ओर से हिंसा से पीड़ित महिलाओं को एक ही छत के नीचे रखने और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिले में सखी सेंटर की स्थापना की गई थी. जो कि अब सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ रहा है.

सुविधाओं के अभाव में सखी सेंटर

सुविधाओं के अभाव में सखी सेंटर
बता दें कि सखी सेंटर में बेड तो है, लेकिन उस पर बिछाने के लिए चादर-तकिया नहीं है. वहीं सखी सेंटर को 24 घंटे खुला रखने के नाम से संचालित किया गया था. लेकिन सखी सेंटर को महज 12 घंटे ही संचालित किया जा रहा है. वहीं सखी सेंटर में सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम भी नहीं हैं.

स्वास्थ्य विभाग की कैंटीन के भरोसे सखी सेंटर

स्वास्थ्य विभाग के भवन में संचालित सखी सेंटर की हालत ऐसी हो गई है कि, सेंटर में ना तो खाना पकाने के लिए कोई कर्मचारी है और ना ही बर्तनों का इंतजाम. पीड़िता के आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की कैंटीन से भोजन का इंतजाम किया जाता है.

पीड़ित महिलाओं की समस्या दूर करने की गई थी सखी सेंटर की स्थापना

बता दें कि महासमुंद जिले में सखी सेंटर की स्थापना 2017 में की गई थी. तब से लेकर आज तक सखी सेंटर में 359 प्रकरण दर्ज हुए हैं, जिनमें से 273 प्रकरणों का निवारण किया जा चुका है. वहीं 86 प्रकरण अब तक लंबित हैं. 5 बेड वाले सखी सेंटर में दो साल में शासन ने 58 लाख 66 हजार 218 रुपए आवंटित किए थे, जिसमें से 40 लाख 43 हजार 188 रुपये खर्च किए गए हैं. जबकि 18 लाख 23 हज़ार 23 रुपये अभी खर्च करने के लिए बचे हुए हैं.

पढ़े:अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवसः ओजस्वी के सुरों की तान ने बढ़ाई छत्तीसगढ़ी गीतों की शान

सुविधा उपलब्ध कराने की बात कह रहे अधिकारी
जिसके बाद भी सखी सेंटर में सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाई हैं, जहां सखी सेंटर को केंद्र शासन सुविधाओं का अभाव बता रही है वहीं आला अधिकारी जल्द से जल्द सारी सुविधा पूरा कराने की बात कर रहे हैं.

Intro:एंकर- निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार के द्वारा हिंसा से पीड़ित महिलाओं को एक ही छत के नीचे रहने से लेकर यहां तक की सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संचालित किया गया सखी सेंटर महासमुंद जिले में सुविधाओं के अभाव में बदहाल स्थिति से जूझ रहा है सखी सेंटर में बेड तो है पर उस पर बिछाने के लिए चादर तकिया नहीं है 24 घंटे संचालित होने वाला सखी सेंटर महज 12 घंटे ही संचालित होता है सखी सेंटर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं है व्यवस्था के तहत स्वास्थ्य विभाग के भवन में संचालित सखी सेंटर में ना तो भोजन बनाने वाले हैं और ना ही बर्तन है पीड़िता के आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की कैंटीन से भोजन का इंतजाम किया जाता है।


Body:वीओ 1 - आपको बता दें कि महासमुंद जिले सखी सेंटर की स्थापना वर्ष 2017 में की गई तब से लेकर आज तक सखी सेंटर 359 प्रकरण दर्ज हुए जिनमें से 273 प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है और 86 प्रकरण आज तक लंबित हैं 5 बेड वाले सखी सेंटर में इन 2 साल में शासन ने 58 लाख 66 हजार 218 रुपए आवंटित किए और 40 लाख 43 हज़ार 188 रुपये खर्च किए गए 18 लाख 23 हज़ार 23 रुपये शेष हैं उसके बावजूद भी सखी सेंटर में सारी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाई जहां सखी सेंटर कि केंद्र शासन सुविधाओं का अभाव बता रही है वही आला अधिकारी जल्द से जल्द सारी सुविधा पूर्ण कर लेने की बात कर रहे हैं।


Conclusion:बाइट 1 - टी ज्योति दुर्गा राव, केंद्र शासक पहचान फीके कलर का हरा साड़ी और लाल चेयर में बैठी हुई।

बाइट 2 - सुधाकर बोदले, नोडल अधिकारी पहचान डिब्बा वाला सेट सफेद में लाल कलर का।

हकीमुद्दीन नासिर रिपोर्टर ईटीवी भारत महासमुंद छत्तीसगढ़ मो. 9826555052

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