महासमुंद: धान संग्रहण केंद्र में अन्नदाताओं के खून पसीने से उगाई करोड़ों रुपये की फसल के रखरखाव में लापरवाही बरती गई है. सही समय पर उठाव नहीं होने के कारण हजारों क्विंटल धान सड़कर बर्बाद हो रहा है और यही कारण है कि धान के संग्रहण में कमी आई है.
ये है आंकड़े-
- शासकीय आंकड़ों के मुताबिक साल 2018-2019 में 81 धान खरीदी केंद्रों से 31 लाख 25 हजार 879 क्विंटल धान की खरीदी की गई थी.
- जानकारी के मुताबिक जिले में 5 धान संग्रहण केंद्रों से 30 लाख 54 हजार 96 क्विंटल धान राइस मिलरों को दिया गया था. वहीं 71 हजार 782 क्विंटल धान रख-रखाव के आभाव और समय पर उठाव नहीं होने के कारण खराब हो गया.
- धान की कीमत 17 करोड़ बताई जा रही है.
साल 2017-18 में प्रदेश सरकार ने 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से 20 लाख 77 हजार 128 क्विंटल धान की खरीदी की थी. इसके साथ ही राइस मिलरों की ओर से 20 लाख 52 हजार 368 क्विंटल धान उठाव किया था. वहीं 24 हजार 760 क्विंटल धान का बच गया था, जिसकी किमत 5 करोड़ रुपए बताई जा रही है.
शासन को ठहराया जिम्मेदार
दोनों साल की तुलना में धान के उठाव में तीन गुना से ज्यादा नुकसान हुआ है. वहीं इस मामले में आला अधिकारियों शासन को जिम्मेदार ठहराते नजर आए. जिला विपणन अधिकारी सुनील राजपूत का कहना है कि 'धान के निराकरण के लिए विभाग को अवगत कराया गया है, लेकिन FCI में जगह की कमी के कारण धान के उठाव में समय लग गया'. उन्होंने कहा कि 'जल्द से जल्द निराकरण की कोशिश की जा रही है'.