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संग्रहण केंद्रों से नहीं हुआ उठाव, सड़ गया करोड़ों रुपए का धान

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Published : Oct 9, 2019, 11:43 PM IST

Updated : Oct 10, 2019, 1:13 AM IST

प्रशासनिक लापरवाही के कारण अन्नदाता के खून पसीने से उगाया हुआ धान संग्रहण केंद्र में बर्बाद हो रहा है. पिछले दो साल के मुकाबले धान के संग्रहण में कमी आई है.

धान सड़कर खराब

महासमुंद: धान संग्रहण केंद्र में अन्नदाताओं के खून पसीने से उगाई करोड़ों रुपये की फसल के रखरखाव में लापरवाही बरती गई है. सही समय पर उठाव नहीं होने के कारण हजारों क्विंटल धान सड़कर बर्बाद हो रहा है और यही कारण है कि धान के संग्रहण में कमी आई है.

संग्रहण केंद्रों से नहीं हुआ उठाव, सड़ गया करोड़ों रुपए का धान

ये है आंकड़े-

  • शासकीय आंकड़ों के मुताबिक साल 2018-2019 में 81 धान खरीदी केंद्रों से 31 लाख 25 हजार 879 क्विंटल धान की खरीदी की गई थी.
  • जानकारी के मुताबिक जिले में 5 धान संग्रहण केंद्रों से 30 लाख 54 हजार 96 क्विंटल धान राइस मिलरों को दिया गया था. वहीं 71 हजार 782 क्विंटल धान रख-रखाव के आभाव और समय पर उठाव नहीं होने के कारण खराब हो गया.
  • धान की कीमत 17 करोड़ बताई जा रही है.

साल 2017-18 में प्रदेश सरकार ने 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से 20 लाख 77 हजार 128 क्विंटल धान की खरीदी की थी. इसके साथ ही राइस मिलरों की ओर से 20 लाख 52 हजार 368 क्विंटल धान उठाव किया था. वहीं 24 हजार 760 क्विंटल धान का बच गया था, जिसकी किमत 5 करोड़ रुपए बताई जा रही है.

शासन को ठहराया जिम्मेदार
दोनों साल की तुलना में धान के उठाव में तीन गुना से ज्यादा नुकसान हुआ है. वहीं इस मामले में आला अधिकारियों शासन को जिम्मेदार ठहराते नजर आए. जिला विपणन अधिकारी सुनील राजपूत का कहना है कि 'धान के निराकरण के लिए विभाग को अवगत कराया गया है, लेकिन FCI में जगह की कमी के कारण धान के उठाव में समय लग गया'. उन्होंने कहा कि 'जल्द से जल्द निराकरण की कोशिश की जा रही है'.

महासमुंद: धान संग्रहण केंद्र में अन्नदाताओं के खून पसीने से उगाई करोड़ों रुपये की फसल के रखरखाव में लापरवाही बरती गई है. सही समय पर उठाव नहीं होने के कारण हजारों क्विंटल धान सड़कर बर्बाद हो रहा है और यही कारण है कि धान के संग्रहण में कमी आई है.

संग्रहण केंद्रों से नहीं हुआ उठाव, सड़ गया करोड़ों रुपए का धान

ये है आंकड़े-

  • शासकीय आंकड़ों के मुताबिक साल 2018-2019 में 81 धान खरीदी केंद्रों से 31 लाख 25 हजार 879 क्विंटल धान की खरीदी की गई थी.
  • जानकारी के मुताबिक जिले में 5 धान संग्रहण केंद्रों से 30 लाख 54 हजार 96 क्विंटल धान राइस मिलरों को दिया गया था. वहीं 71 हजार 782 क्विंटल धान रख-रखाव के आभाव और समय पर उठाव नहीं होने के कारण खराब हो गया.
  • धान की कीमत 17 करोड़ बताई जा रही है.

साल 2017-18 में प्रदेश सरकार ने 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से 20 लाख 77 हजार 128 क्विंटल धान की खरीदी की थी. इसके साथ ही राइस मिलरों की ओर से 20 लाख 52 हजार 368 क्विंटल धान उठाव किया था. वहीं 24 हजार 760 क्विंटल धान का बच गया था, जिसकी किमत 5 करोड़ रुपए बताई जा रही है.

शासन को ठहराया जिम्मेदार
दोनों साल की तुलना में धान के उठाव में तीन गुना से ज्यादा नुकसान हुआ है. वहीं इस मामले में आला अधिकारियों शासन को जिम्मेदार ठहराते नजर आए. जिला विपणन अधिकारी सुनील राजपूत का कहना है कि 'धान के निराकरण के लिए विभाग को अवगत कराया गया है, लेकिन FCI में जगह की कमी के कारण धान के उठाव में समय लग गया'. उन्होंने कहा कि 'जल्द से जल्द निराकरण की कोशिश की जा रही है'.

Intro:एंकर- महासमुंद जिले के अन्नदाताओ के खून पसीने से उगाई करोडो रूपये की फसल रखरखाव व समय पर धान संग्रहण केन्द्रो से उठाव नही होने के कारण हुआ कम । जी हाॅ , ऐसा हम नही बल्कि शासकीय आंकडे बता रहे कि वर्ष 2018-19 में समर्थन मूल्य पर 81 धान खरीदी केन्द्रो के माध्यम से 31 लाख 25 हजार 879 क्विंटल धान की खरीदी की गई थी । जिसे जिले के 5 धान संग्रहण केन्द्रो में भण्डारण कर रखा गया था और संग्रहण केन्द्रो से राइस मिलरो को 30 लाख 54 हजार 96 क्विंटल धान मिलरो को दिया गया । शेष 71 हजार 782 क्विंटल धान रख रखाव के अभाव एवं समय पर मिलरो के द्वारा उठाव नही करने के कारण गर्मी में सूख गये व धान संग्रहण केन्द्रो में खुले आसमान में रखे होने के कारण बर्बाद हो गये । जो धान बर्बाद व सूखे गये उसकी कीमत 17 करोडो रूपये है । चंूकि राज्य सरकार ने 2500 रूपये क्विंटल पर धान की खरीदी की है । पिछले साल की तुलना की जाये तो वर्ष 2017-18 में 20 लाख 77 हजार 128 क्विंटल धान की खरीदी की गई थी और मिलरो के द्वारा 20 लाख 52 हजार 368 क्ंिवटल धान उठाव किया था । शेष 24 हजार 760 क्विंटल धान जिले के पांचो संग्रहण केन्द्रो से कम हो गये थे जिसकी कीमत 5 करोड थी । दोनो सालो की तुलना करे तो वर्ष 2018-19 में पिछले साल की तुलना में तीन गुना से ज्यादा का नुकसान मार्कफेड को हुआ । यहाॅ यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर करोडो के नुकसान का जिम्मेदार कौन है । इस पूरे मामले में जब मीडिया ने मार्कफेड के आला अधिकारियो से जवाब जानना चाहा तो महोदय ने क्या कहा लिजिए आप को भी सुनवाते है । Body:बाइट 01- सुनील राजपूत - जिला विपणन अधिकारी

हाकिमुद्दीन नासीर रिपोर्टर इटीवी भारत महासमुन्द छत्तीसगढ़ मो. 9826555052Conclusion:
Last Updated : Oct 10, 2019, 1:13 AM IST
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