महासमुंद : हर साल की तरह इस साल भी जिले में 23 सितंबर से 30 सितंबर तक राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम चलाया जा रहा है. कोरोना संक्रमण के बढ़ते केस के कारण जिले में लॉकडाउन लगा हुआ है, इसलिए प्रशासन ने शहरी क्षेत्र में 30 सितंबर के बाद कृमि दवा के वितरण का फैसला लिया है. ग्रामीण क्षेत्र में मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर कृमि की दवा का वितरण कर रही है. जिले में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम के तहत 4 लाख 59 हजार 342 बच्चों को एल्बेंडाजोल की दवाएं खिलाए जाने का लक्ष्य मिला है. जिले के प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि समुदाय और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की ओर से 1 वर्ष 19 साल के लोगों को कृमि-मुक्ति की दवा (एल्बेंडाजॉल) दी जाएगी.
1 से 2 साल के बच्चों को एल्बेंडाजोल की खुराक यानी आधी गोली पीसकर दी जाएगी. 3 से 19 साल की आयु के बच्चों को पूरी गोली दी जाएगी. इसके लिए जिले में 1 से 19 साल के लगभग 4 लाख 59 हजार 342 लोगों को एल्बेंडाजोल की गोली खिलाए जाने का लक्ष्य रखा गया है. स्वास्थ्य विभाग ने इसके अनुपात में दवाओं का पर्याप्त भंडारण कर लिया गया है. बता दें कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम साल में 2 बार चलाया जाता है. इस अभियान से बच्चों में रक्त की कमी और कुपोषण की कमी दूर होती है.
'सरकार की नेक पहल'
जिले में कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है. 23 तारीख से लेकर 30 तारीख तक टोटल लॉकडाउन किया गया है. अभी की स्थिति में महासमुंद जिले में पॉजिटिव केस 2228, डिस्चार्ज हुए 1221 और बाकियों का इलाज जारी है. 1035 लोगों में से 32 लोगों की मौत करोना से हो चुकी है, जिसके चलते पांचों ब्लॉक के शहरी इलाकों में कृमि की दवा का वितरण नहीं किया जा रहा है. लॉकडाउन हटने के बाद शहरी एरिया में वितरण किया जाएगा. गांव में मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की ओर से घर-घर जाकर बच्चों को कृमि की दवा खिलाई जा रही है. इस पहल को गांव के लोगों द्वारा स्वागत किया जा रहा है. उनका कहना है कि पहले आंगनबाड़ी और स्कूल ओपन होने के कारण उन्हें यह दवा आसानी से खिला दी जाती थी. लेकिन अब जब बंद है तो सरकार घर-घर पहुंचकर यह दवा लोगों को खिला रही है, जोकि बहुत जरूरी है.
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क्या होता है कृमि
'कृमि लोगों के पेट और आंतों के भीतर रहने वाले परजीवी हैंं. लोग जो भोजन करते हैं उसमें से जब पोषक तत्व शरीर अलग करता है तो उस पोषक तत्व को कृमि खा लेते हैं. जिससे लोगों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है. कृमि के कारण ही एनीमिया मतलब खून की कमी की बीमारी भारत में काफी बढ़ी है क्योंकि खून बनने की प्रक्रिया के पहले ही पोषक तत्व कृमि खा लेते हैं. इसके अलावा बच्चों में कुपोषण भी कृमि की वजह से होता है'.
पेट में कृमि होने के लक्षण
पेट खराब होना, कमजोरी, आयरन की कमी, शारीरिक विकास रुकना जैसे कई तकलीफें कृमि की वजह से होती है. यही कारण है कि लोगों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सरकार ने कृमि को ही खत्म करने का अभियान चलाया है. सरकार ने यह तय किया है कि अभियान चलाकर निश्चित समय अवधि में देश के सारे बच्चों को कृमि रोधी एल्बेंडाजोल की गोली खिलाकर इससे मुक्ति दिलाई जाए.