महासमुंद: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जनता की स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना सहित मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना, मुख्यमंत्री सार्वभौम पीडीएस और मध्याह्न भोजन योजना जैसी पांच योजना दो अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर शुरू की है.
17 प्रतिशत कुपोषित बच्चों में आई कमी
जिला में इन योजनाओं पर तुरंत अमल शुरू कर दिया था. जिले में कुल 1780 आंगनबाड़ी केंद्र है, जिनमें कुल 82 हजार बच्चें है. मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या करीब 15000 है. वहीं गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या लगभग 5000 है. ज्यादा नहीं हाल के कुछ वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 17 प्रतिशत कुपोषित बच्चों में कमी आई है. इसमें कोरोना काल से पहले स्कूलों में मध्याह्न भोजन एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जा रहा था. लेकिन कोविड-19 के चलते स्कूली बच्चों और वहीं 15 वर्ष से 49 वर्ष की चिन्हांकित एनीमिया पीड़ित महिलाओं को भी पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जा रहा है और नियमित रूप से निगरानी की जा रही है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा मध्यम और गंभीर कुपोषित बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
पढ़ें: दुर्ग: कुपोषण दर में आई कमी, मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत बच्चों को बांटा गया था राशन
गंभीर कुपोषण में आई कमी
महिला विकास विभाग महासमुंद से मिली जानकारी अनुसार 15 वर्ष से 49 वर्ष आयु वर्ग की एनीमिया से पीड़ित 19500 महिलाएं चिन्हांकित की गई है. इसी प्रकार एनीमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की संख्या 9000, शिशुवती माताएं 9500 है. इस प्रकार कुल 19500 प्रभावित हितग्राहियों को चिन्हांकित किया गया है. 24 प्रतिशत एनिमिक पीड़ित महिलाओं में कमी आई हैं. इनमें से प्रारंभ में हितग्राहियों को लाभान्वित किया जा रहा है. जिले योजना शुरू होने से सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे है. दो साल में बच्चों के कुपोषण में तेजी के साथ कमी आई है. जिले में नयी सरकार गठन के बाद बच्चों के सुपोषण में इजाफा हुआ. लगातार मानिटरिंग के जरिए गंभीर कुपोषण में कमी आई है. पिछले साल के मुकाबले सामान्य और गंभीर कुपोषण की दर में गिरावट आई है.
बच्चों को परोसा जाता है गर्म भोजन
महासमुंद और जिले के सभी विकासखंड में विभिन्न कार्यक्रमों और स्थानीय कला जत्था के माध्यम से प्रचार-प्रसार कर कुपोषण दूर करने के लिए प्रयासरत है और इसमें लगातार सफलता भी मिल रही है. कोरोना के चलते इस काम में गति की रफ्तार में कमी जरूर आई है. अब कोविड-19 का पालन करते हुए महासमुंद जिले के अधिकांश सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बच्चों को गर्म भोजन परोसा जाता है. वहीं सहायता समूह द्वारा गुणवत्तापूर्ण रेडी-टू-ईट फूड की व्यवस्था की जाती है. इसमें निर्माण की तिथि अंकित होती है. इससे खराब होने से पहले ही इसका उपयोग कर लिया जाता है.