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SPECIAL: फूलों के साथ मुरझा रहे हैं किसानों के चेहरे, लाखों का नुकसान

कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान फूल किसानों को भारी नुकसान का उठाना पड़ रहा है. सोशल गैदरिंग और त्योहार मनाने पर रोक के कारण फूल की बिक्री बंद पड़ी है. वहीं खेतों में लगे फूल सूख कर कचरे में फेंके जा रहे है.

flower Withers in the field
खेतों में मुरझाए फूल
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Published : Apr 12, 2020, 7:45 PM IST

महासमुंद: लॉक डाउन ने लोगों की महकती बगिया भी उजाड़ दी है. इन फूलों के साथ-साथ उनके सपने भी टूट गए, जिन्होंने दिन रात मेहनत कर अच्छे दिनों की उम्मीद की थी. कोविड 19 महामारी ने फूलों की खेती करने वाले किसानों को बेबस कर दिया है. जो कभी शादियों और समारोहों की शान हुआ करते थे, वो खेतों में फेंके जा रहे हैं.

खेतों में मुरझाए फूल

आज से 4 साल पहले की बात करें तो महासमुंद ही नहीं पूरा छत्तीसगढ़ फूलों के लिए पुणे और कोलकाता पर डिपेंड था. लेकिन इन 4 सालों में महासमुंद के किसानों ने फूल की खेती में ऐसी सफलता हासिल की कि छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि बाकी राज्यों में भी यहां से फूलों की सप्लाई होने लगी थी. लेकिन अब उन किसानों की हालत खराब होने लगी है, जो कभी एक एकड़ में खेती करते 12 से 13 लाख का मुनाफा कमा लिया करते थे.

फूल तोड़ते तो हैं लेकिन फेंकने के लिए

पाली हाउस में गुलाब की खेती कर रहे अमर चंद्राकर का कहना है कि कोरोना के कारण हमारा पूरा काम बंद हो गया है. सोशल गैदरिंग बंद हो गई है, जिसकी वजह से फूलों की डिमांड बंद हो गई है. जिसके कारण रोज फूल तोड़ते तो हैं, लेकिन उसे बेचने के लिए नहीं कचड़े में फेंकने के लिए. उनका कहना है कि हमें इन पेड़ों को जिंदा रखने के लिए इनके फूल तोड़ना ही पड़ता है. जिसके लिए हमें रोज मजदूर की आवश्यकता होती है.

'जैसे-जैसे लॉक डाउन बढ़ेगा, वैसे-वैसे घाटा'

महीने में इन मजदूरों पर 35 हजार का खर्च है. फूलों के कलम की दवाइयों पर 1 लाख का खर्च है. वहीं महीने का कुल खर्चा 1 लाख 60 हजार होता है. इससे हर दिन का 30 हजार का घाटा हो रहा है. जैसे-जैसे लॉक डाउन बढ़ता जाएगा, वैसे ही उनका घाटा भी बढ़ता जाएगा.

छिन गई रोजी-रोटी

फूल किसान ने बताया कि कोरोना के कारण उन्हें लॉक डाउन से बहुत ज्यादा घाटा होगा. इसके लिए सरकार हमारे तरफ भी ध्यान दें और हमें भी राहत दे, यही हमारी सरकार से उम्मीद है. वहीं फूलों के छोटे व्यापारी का कहना है कि जब मंदिर और दुकानें ही नहीं खुलेंगी और लोग ही बाहर नहीं आएंगे, तो हमारा फूल कौन खरीदेगा. इसलिए वे बहुत परेशान हैं. उनकी रोजी-रोटी का साधन सिर्फ यही फूल ही थे.

कृषि अधिकारी ने कहा- ध्यान दे रही है सरकार

वहीं कृषि अधिकारी का कहना है कि सरकार किसानों के तरफ पूरी ईमानदारी से ध्यान दे रही है. इसीलिए कोरोना के फैलते संक्रमण के बाद भी किसानों को मिलने वाली दवाईयां, यूरिया और खेत तक जाने की परमिशन दे दी गई है. साथ ही समय-समय पर सरकार किसानों के लिए निर्णय लेकर आदेश जारी कर रही है. उम्मीद है आगे पाली हाउस और फूल की खेती करने वाले किसानों पर भी सरकार कुछ न कुछ मदद करेगी.

महासमुंद: लॉक डाउन ने लोगों की महकती बगिया भी उजाड़ दी है. इन फूलों के साथ-साथ उनके सपने भी टूट गए, जिन्होंने दिन रात मेहनत कर अच्छे दिनों की उम्मीद की थी. कोविड 19 महामारी ने फूलों की खेती करने वाले किसानों को बेबस कर दिया है. जो कभी शादियों और समारोहों की शान हुआ करते थे, वो खेतों में फेंके जा रहे हैं.

खेतों में मुरझाए फूल

आज से 4 साल पहले की बात करें तो महासमुंद ही नहीं पूरा छत्तीसगढ़ फूलों के लिए पुणे और कोलकाता पर डिपेंड था. लेकिन इन 4 सालों में महासमुंद के किसानों ने फूल की खेती में ऐसी सफलता हासिल की कि छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि बाकी राज्यों में भी यहां से फूलों की सप्लाई होने लगी थी. लेकिन अब उन किसानों की हालत खराब होने लगी है, जो कभी एक एकड़ में खेती करते 12 से 13 लाख का मुनाफा कमा लिया करते थे.

फूल तोड़ते तो हैं लेकिन फेंकने के लिए

पाली हाउस में गुलाब की खेती कर रहे अमर चंद्राकर का कहना है कि कोरोना के कारण हमारा पूरा काम बंद हो गया है. सोशल गैदरिंग बंद हो गई है, जिसकी वजह से फूलों की डिमांड बंद हो गई है. जिसके कारण रोज फूल तोड़ते तो हैं, लेकिन उसे बेचने के लिए नहीं कचड़े में फेंकने के लिए. उनका कहना है कि हमें इन पेड़ों को जिंदा रखने के लिए इनके फूल तोड़ना ही पड़ता है. जिसके लिए हमें रोज मजदूर की आवश्यकता होती है.

'जैसे-जैसे लॉक डाउन बढ़ेगा, वैसे-वैसे घाटा'

महीने में इन मजदूरों पर 35 हजार का खर्च है. फूलों के कलम की दवाइयों पर 1 लाख का खर्च है. वहीं महीने का कुल खर्चा 1 लाख 60 हजार होता है. इससे हर दिन का 30 हजार का घाटा हो रहा है. जैसे-जैसे लॉक डाउन बढ़ता जाएगा, वैसे ही उनका घाटा भी बढ़ता जाएगा.

छिन गई रोजी-रोटी

फूल किसान ने बताया कि कोरोना के कारण उन्हें लॉक डाउन से बहुत ज्यादा घाटा होगा. इसके लिए सरकार हमारे तरफ भी ध्यान दें और हमें भी राहत दे, यही हमारी सरकार से उम्मीद है. वहीं फूलों के छोटे व्यापारी का कहना है कि जब मंदिर और दुकानें ही नहीं खुलेंगी और लोग ही बाहर नहीं आएंगे, तो हमारा फूल कौन खरीदेगा. इसलिए वे बहुत परेशान हैं. उनकी रोजी-रोटी का साधन सिर्फ यही फूल ही थे.

कृषि अधिकारी ने कहा- ध्यान दे रही है सरकार

वहीं कृषि अधिकारी का कहना है कि सरकार किसानों के तरफ पूरी ईमानदारी से ध्यान दे रही है. इसीलिए कोरोना के फैलते संक्रमण के बाद भी किसानों को मिलने वाली दवाईयां, यूरिया और खेत तक जाने की परमिशन दे दी गई है. साथ ही समय-समय पर सरकार किसानों के लिए निर्णय लेकर आदेश जारी कर रही है. उम्मीद है आगे पाली हाउस और फूल की खेती करने वाले किसानों पर भी सरकार कुछ न कुछ मदद करेगी.

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