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बंद पड़े हैं कृषक सूचना एवं सलाह केंद्र, किसानों को हो रहा नुकसान - परेशान किसान

जिले के सूचना एवं सलाह केंद्र की हालत बहुत ही दयनीय है. इसे किसानों की मदद के लिए बनाया गया था और किसानों को इसकी जानकारी भी नहीं है.

Farmers information and advice centers are closed in Mahasamund
क्या ऐसे होगा अन्नदाता का भला?
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Published : Jan 1, 2020, 9:04 AM IST

Updated : Jan 1, 2020, 1:08 PM IST

महासमुंद: देश की पूरी अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित होने के बाद भी किसानों के लिए बनाई जा रही योजनाओं का किस तरह से क्रियान्वयन हो रहा है. इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि कृषक सूचना एवं सलाह केंद्र सिर्फ खानापूर्ति के लिए ही बना दिया गया है.

क्या ऐसे होगा अन्नदाता का भला?

सूचना केंद्र पर लटका ताला

जिले में विशेष सूचना एवं सलाह केंद्र की बात की जाए तो पूरे जिले में 3 सूचना केंद्र हैं, जो 8 लाख की लागत से बनाए गए हैं. वहीं 21 सूचना केंद्रों को 7 लाख रुपए में तैयार किया गया है. जो पिछले कई सालों से या तो बंद पड़े हैं और जो खुले हैं वहां पर न तो कर्मचारी हैं और न ही कृषि विभाग के REO हैं. उन्हें इसी भवन में रहकर किसानों की समस्याओं का समाधान और साथ ही सरकार की किसानों के प्रति चल रही योजनाओं से अवगत कराना एक अहम काम है.

कृषक सूचना और सलाह केंद्र से नहीं मिल रहा फायदा

महासमुंद जिले के सरायपाली ब्लॉक के अंतर्गत जोगनी पाली कृषक सूचना एवं सलाह केंद्र की बात करें, तो इसमें सराईपाली के सूचना केंद्र का आज तक ताला नहीं खुला है. बंद पड़ी बिल्डिंग क्षतिग्रस्त होने लगी है और महासमुंद के केंद्र की बात करें तो यहां पर उस नाम की बिल्डिंग ही नहीं है. जब पूछताछ की गई तो उस बिल्डिंग पर बोर्ड दूसरा लगा हुआ है. उसका नाम मिट्टी परीक्षण केंद्र के नाम से दर्ज है. पिछले 5 वर्षों से महासमुंद जिले में पौने दो करोड़ में खर्च कर किसानों के लिए बनाया गया कृषक सूचना सलाह केंद्र पूरी तरह से अनुपयोगी है.

किसानों को नहीं है जानकारी

कृषक सूचना एवं सलाह केंद्र की एक रोचक बात यह भी है कि जब हमने किसानों से इस केंद्र की बात की तो उनका कहना है 'हमें तो नहीं मालूम ऐसा कोई केंद्र भी है. हमने कभी नहीं देखा.' इस स्थिति में यह भी माना जा सकता है कि सरकार ने पौने दो करोड़ रुपए लगाकर कृषक सूचना एवं सलाह केंद्र खोल तो दिया पर किसानों तक उसका व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं किया इसकी वजह से लोगों को इस भवन की इस केंद्र की जानकारी भी नहीं है'.

पढ़ें- हैंडबॉल प्रतियोगिता के लिए 5 खिलाड़ियों का चयन, दिल्ली में करेंगे छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व

अफसरों ने दी यह दलील

इस पूरे मामले में जब कृषि विभाग के आला अधिकारी से बात होती है तो उनका कहना है कि 'मैं तो अभी आया हूं, पूरी जानकारी लेकर जल्द ही इस सूचना केंद्रों को संचालित हालत में लाएंगे और कहीं न कहीं व्यापक प्रचार-प्रसार की कमी रही है पर आगे ऐसा नहीं होगा. जल्द ही हम इसे ठीक कर आपको सूचना देंगे इन सूचना केंद्रों की जानकारी आप ही की ओर से देने पर मुझे पता चला है मैं जल्द संज्ञान लेकर कार्रवाई करूंगा'.

महासमुंद: देश की पूरी अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित होने के बाद भी किसानों के लिए बनाई जा रही योजनाओं का किस तरह से क्रियान्वयन हो रहा है. इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि कृषक सूचना एवं सलाह केंद्र सिर्फ खानापूर्ति के लिए ही बना दिया गया है.

क्या ऐसे होगा अन्नदाता का भला?

सूचना केंद्र पर लटका ताला

जिले में विशेष सूचना एवं सलाह केंद्र की बात की जाए तो पूरे जिले में 3 सूचना केंद्र हैं, जो 8 लाख की लागत से बनाए गए हैं. वहीं 21 सूचना केंद्रों को 7 लाख रुपए में तैयार किया गया है. जो पिछले कई सालों से या तो बंद पड़े हैं और जो खुले हैं वहां पर न तो कर्मचारी हैं और न ही कृषि विभाग के REO हैं. उन्हें इसी भवन में रहकर किसानों की समस्याओं का समाधान और साथ ही सरकार की किसानों के प्रति चल रही योजनाओं से अवगत कराना एक अहम काम है.

कृषक सूचना और सलाह केंद्र से नहीं मिल रहा फायदा

महासमुंद जिले के सरायपाली ब्लॉक के अंतर्गत जोगनी पाली कृषक सूचना एवं सलाह केंद्र की बात करें, तो इसमें सराईपाली के सूचना केंद्र का आज तक ताला नहीं खुला है. बंद पड़ी बिल्डिंग क्षतिग्रस्त होने लगी है और महासमुंद के केंद्र की बात करें तो यहां पर उस नाम की बिल्डिंग ही नहीं है. जब पूछताछ की गई तो उस बिल्डिंग पर बोर्ड दूसरा लगा हुआ है. उसका नाम मिट्टी परीक्षण केंद्र के नाम से दर्ज है. पिछले 5 वर्षों से महासमुंद जिले में पौने दो करोड़ में खर्च कर किसानों के लिए बनाया गया कृषक सूचना सलाह केंद्र पूरी तरह से अनुपयोगी है.

किसानों को नहीं है जानकारी

कृषक सूचना एवं सलाह केंद्र की एक रोचक बात यह भी है कि जब हमने किसानों से इस केंद्र की बात की तो उनका कहना है 'हमें तो नहीं मालूम ऐसा कोई केंद्र भी है. हमने कभी नहीं देखा.' इस स्थिति में यह भी माना जा सकता है कि सरकार ने पौने दो करोड़ रुपए लगाकर कृषक सूचना एवं सलाह केंद्र खोल तो दिया पर किसानों तक उसका व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं किया इसकी वजह से लोगों को इस भवन की इस केंद्र की जानकारी भी नहीं है'.

पढ़ें- हैंडबॉल प्रतियोगिता के लिए 5 खिलाड़ियों का चयन, दिल्ली में करेंगे छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व

अफसरों ने दी यह दलील

इस पूरे मामले में जब कृषि विभाग के आला अधिकारी से बात होती है तो उनका कहना है कि 'मैं तो अभी आया हूं, पूरी जानकारी लेकर जल्द ही इस सूचना केंद्रों को संचालित हालत में लाएंगे और कहीं न कहीं व्यापक प्रचार-प्रसार की कमी रही है पर आगे ऐसा नहीं होगा. जल्द ही हम इसे ठीक कर आपको सूचना देंगे इन सूचना केंद्रों की जानकारी आप ही की ओर से देने पर मुझे पता चला है मैं जल्द संज्ञान लेकर कार्रवाई करूंगा'.

Intro:एंकर - देश की पूरी अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित होने के बाद भी किसानों के लिए बनाई जा रही योजनाओं का किस तरह से क्रियान्वयन हो रहा है इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि कृषक सूचना एवं सलाह केंद्र सिर्फ खानापूर्ति के लिए ही बना दिया गया है महासमुंद जिले में विशेष सूचना एवं सलाह केंद्र की बात की जाए तो पूरे जिले में जो भी सूचना केंद्र हैं जिसमें 3 सूचना केंद्र 8 लाख की लागत से बनाए गए हैं वहीं 21 सूचना केंद्रों को 7लाख रुपए में तैयार किया गया है जो पिछले कई सालों से या तो बंद पड़े हैं और जो खुले हैं वहां पर ना तो कर्मचारी है ना ही आर ई यो कृषि विभाग के आर ई यो को जबकि इसी भवन में रहकर किसानों की समस्याओं का समाधान और साथ ही सरकार की किसानों के प्रति चल रही योजनाओं से अवगत कराना एक अहम कार्य है।


Body:वीओ 1 - हम महासमुंद जिले के सरायपाली ब्लॉक के अंतर्गत जोगनी पाली कृषक सूचना एवं सलाह केंद्र की बात करें या फिर महासमुंद के केंद्र की बात करें इसमें सराईपाली के सूचना केंद्र का आज तक ताला नहीं खुला है बिल्डिंग बंद पड़े पड़े खराब होने की स्थिति में आ गई है और महासमुंद कि केंद्र की बात करें तो यहां पर उस नाम की बिल्डिंग ही नहीं है जब पूछताछ की गई तो उस बिल्डिंग पर बोर्ड दूसरा लगा हुआ है उसका नाम मिट्टी परीक्षण केंद्र से उल्लेखित है पिछले 5 वर्षों से महासमुंद जिले में पौने दो करोड़ में खर्च कर किसानों के लिए बनाया गया कृषक सूचना सलाह केंद्र पूरी तरह से अनुपयोगी है।


Conclusion:वीओ 2 - कृषक सूचना एवं सलाह केंद्र की एक रोचक बात यह भी है कि जब हमने किसानों से इस केंद्र की बात की तो उनका कहना है हमें तो नहीं मालूम ऐसा कोई केंद्र भी है हमारी जानकारी में नहीं है हमने कभी नहीं देखा इस स्थिति में यह भी माना जा सकता है कि सरकार ने पौने दो करोड़ रुपए लगाकर कृषक सूचना एवं सलाह केंद्र खोल तो दिया पर किसानों तक उसका व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं किया जिसके चलते लोगों को इस भवन की इस केंद्र की जानकारी भी नहीं गौरतलब है कि इस पूरे मामले में जब कृषि विभाग के आला अधिकारी से बात होती है तो उनका कहना है कि मैं तो अभी आया हूं पूरी जानकारी लेकर जल्द ही इस सूचना केंद्रों को संचालित हालत में लाएंगे और कहीं ना कहीं व्यापक प्रचार-प्रसार की कमी रही है पर आगे ऐसा नहीं होगा जल्द ही हम इसे ठीक कर आपको सूचना देंगे इन सूचना केंद्रों की जानकारी आप ही के द्वारा देने पर मुझे पता चला है मैं जल्द संज्ञान लेकर कार्यवाही करूंगा।

बाइट 1 - जागेश्वर जुगनू चंद्राकर किसान महासमुंद पहचान काला कलर का हाफ टीशर्ट टी-शर्ट में सफेद दाना डिजाइन बना है।

बाइट 2 - हीराराम मन्नाडे किसान ग्राम खरोरा पहचान सफेद कलर का हाफ शर्ट में नीला लाइनिंग।

बाइट 3 - पवन चंद्राकर किसान ग्राम खरोरा पहचान नीले कलर का हाफ टीशर्ट।

बाइट 4 - एस आर डोंगरे उप संचालक कृषि विभाग महासमुंद पहचान चश्मा लगाया हुआ और कत्था कलर का कोट पहना हुआ।

हकीमुद्दीन नासिर रिपोर्टर ईटीवी भारत महासमुंद छत्तीसगढ़
Last Updated : Jan 1, 2020, 1:08 PM IST
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