महासमुंदः जिले में बढ़ते कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते इस वर्ष अक्षय तृतीया का पर्व फीका नजर आया. अक्षय तृतीया पर हर वर्ष की तरह इस बार गुड्डा-गुड़ियों की शादी की धूम देखने को नहीं मिली. अक्षय तृतीया को छत्तीसगढ़ में अक्ती के दिन के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन गांव-गांव और शहरों में बच्चे, बड़े ही धूमधाम के साथ गुड्डा-गुड़ियों की शादी रचाकर पर्व को मानते हैं. लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते ये खुशियां नहीं दिखी.
कोरोना गाइडलाइन के साथ मनाया गया पर्व
कोरोना महामारी के बीच कुछ एक ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों ने अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए इस परंपरा को जरूर निभाया. रस्म निभाते हुए गुड्डा-गुड़ियों की शादी रचाई गई. पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की गई. यहां पर बच्चों ने मास्क के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन किया.
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अक्षय तृतीया को होता है शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार जिस मुहूर्त में सभी तरह के संस्कार संपन्न किए जा सकते हैं, उसे ही अक्षय तृतीया कहा जाता है. इस महामुहूर्त को छत्तीसगढ़ में 'अक्ती' के रूप में भी जाना जाता है. इस पर्व का हिंदू रीति रिवाज में बड़ा ही महत्त्व है. इस दिन माता-पिता अपने विवाह योग्य संतानों का विवाह पंडितों, पुजारियों से बिना पूछे ही तय कर दिया जाता है. क्योंकि इस महामुहूर्त में हर रस्म को निभाया जा सकता है. इस दिन सभी प्रकार के शुभ काम किए जा सकते हैं. इस मुहूर्त में किसी भी तरह के नए व्यवसाय का शुभारंभ, गृह प्रवेश, सगाई, शादी, नामकरण, जनेऊ संस्कार करने से वह फलदाई होता है.