कोरिया : भरतपुर विकासखंड में बैगा आदिवासी परिवारों को कई महीनों से राशन नहीं मिलने की शिकायत सामने आई है. मामला जिला मुख्यालय से करीब 140 किलोमीटर दूर वनांचल क्षेत्र के ग्राम पंचायत मट्टा के आश्रित गांव नगरी का है. जहां शासन की ओर से दिया जाने वाला राशन लॉकडाउन के बाद से नहीं मिला है.
राशन नहीं मिलने के कारण दिव्यांग तेरसिया जैसे परिवारों को भूखमरी जैसी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है. सरकार संरक्षित जनजाति बैगा समाज और दिव्यांगों को हर मुमकिन मदद दिलाने का दावा करती है, लेकिन दिव्यांग तेरसिया 65 वर्ष और उसकी मां मोगिया बाई 90 वर्ष के हालत देख सभी दावे झूठे लगते हैं.
शासन की किसी योजना का नहीं मिला फायदा
ग्रामीणों ने बताया तेरसिया मूक-बधिर है. वह अपने सारे काम इशारे से करती है. उन्होंने बताया कि खाद्यान योजना ही नहीं इसके अलावा उन्हें इंदिरा आवास जैसी योजनाओं का भी लाभ नहीं मिला है. ग्रामीणों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान से अब तक उन्हें राशन नहीं मिला है. इसके अलावा तेरसिया की मां मोगिया बाई को पिछले आठ महीनों से वृद्धा पेंशन नहीं मिला है. इसकी जानकारी उन्होंने ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव को दी है. बावजूद इसके अब तक उनके द्वारा कोई मदद नहीं की गई है.
जिम्मेदारों ने झाड़ा पल्ला
वहीं इस मुद्दे पर ग्राम पंचायत के सचिव इंद्रपाल यादव ने अपना पल्ला झाड़ते हुए बताया कि गांव में एक ही घर में तीन-चार राशन कार्ड बने थे, जिन्हें निरस्त किया गया है. साथ ही वृद्धा पेंशन के बारे में बताते हुए कहा कि राशि हितग्राही के बैंक एकाउंट में भेजा जा रहा है.
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सरकार की ओर से गरीब परिवारों को राशन उपलब्ध कराने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं.जिसके तहत सरकार लाखों गरीब परिवारों को राशन मुहैया कराने का दावा करती है, लेकिन जमीनी हकीकत में आज भी कई जरुरतमंद परिवारों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिससे सरकार के सभी दावे खोखले नजर आते हैं.