कोरिया: छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में राम वनगमन पथ के महत्वपूर्ण स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का फैसला लिया है. जिसके बाद कोरिया जिले के भरतपुर विकासखंड के अंतर्गत सीतामढ़ी हरचौका में वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जहां विधायक गुलाब कमरो ने पौधा लगाया.
विधायक गुलाब कमरो ने किया वृक्षारोपण
इस अवसर पर आयोजित ‘ग्राम वनरोपण महोत्सव‘ में विधायक गुलाब कमरो मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और उन्होंने वृक्षारोपण किया. सीतामढ़ी हरचौका में आयोजित इस कार्यक्रम में 7 हजार 6 सौ 75 फलदार वृक्ष रोपे गए. जिसे ग्राम वन प्रबंधन समिति की देखरेख में फलोद्यान के रूप में विकसित किया जाएगा. विधायक गुलाब कमरो ने कहा कि वर्तमान में कोरोना संकट जैसी विषम परिस्थितियां और प्राकृतिक आपदाएं इस ओर इशारा कर रही है कि हम प्रकृति को कुछ वापस लौटाए ताकि भावी पीढ़ी को एक बेहतर पर्यावरण मिल सके. उन्होंने कहा कि पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए. कार्यक्रम में पहुंचे कलेक्टर सत्यनारायण राठौर और पुलिस अधीक्षक ने भी पेड़ लगाया.
राम वन गमन पथ में वृक्षारोपण
विधायक गुलाब कमरो ने कहा कि राम वन गमन पथ को भी इस प्रकार से तैयार किया जा रहा है कि आने वाले समय में लोग अपने इस ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ाव महसूस कर सके. इसके लिए वन विभाग के साथ मिलकर राम वन गमन पथ में भी वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इस अवसर पर वन विभाग के अधिकारियों को वन विकास के कार्यों की मजदूरी का भुगतान समय पर करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते मजदूरी की राशि मिलने से जीवन यापन में आसानी होगी. वनांचल क्षेत्र के हर चौका ग्राम में पर्यावरण को बचाने और बढ़ते प्रदूषण के स्तर को कम करने को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार हर साल प्रदेश भर में वृक्षारोपण अभियान चलाती है. छत्तीसगढ़ सरकार ने इस बार राम वनगमन पथ हरचौका में वृक्षारोपण का अभियान शुरू किया है, जिसके तहत एक वृक्ष एक व्यक्ति के संकल्प के साथ पर्यावरण के लिए बड़ी संख्या में पेड़ों को लगाये जाने का लक्ष्य है. जिसके लिए सरकार ने वृक्ष भंडारा और वृक्षदान जैसी योजनाओं के तहत बड़े पैमाने में जिले भर में पेड़ लगवाने की तैयारी की है.
'वनवास के दौरान श्री राम ने 10 साल छत्तीसगढ़ में गुजारे'
बता दें कि विभिन्न शोध प्रकाशनों के अनुसार प्रभु श्रीराम ने छत्तीसगढ़ में वनगमन के दौरान लगभग 75 स्थलों का भ्रमण किया. जिसमें से 51 स्थल ऐसे हैं, जहां श्री राम ने भ्रमण के दौरान रूककर कुछ समय बिताया था. राम वनगमन स्थलों में से प्रथम चरण में आठ स्थलों का पर्यटन की दृष्टि से विकास के लिए चयन किया गया है. जानकारी के अनुसार प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास काल के 14 वर्षों में से लगभग 10 वर्ष से अधिक समय छत्तीसगढ़ में बिताया था. छत्तीसगढ़ के लोकगीत में देवी सीता की व्यथा, दण्डकारण्य की भौगोलिकता और वनस्पतियों के वर्णन भी मिलते हैं. भगवान राम ने उत्तर भारत से छत्तीसगढ़ में प्रवेश करने और यहां के विभिन्न स्थानों पर चैमासा व्यतीत करने के बाद दक्षिण भारत में प्रवेश किया था. इसलिए छत्तीसगढ़ को दक्षिणापथ भी कहा जाता है. शोधार्थियों के अनुसार छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले के भरतपुर तहसील में मवाई नदी से होकर जनकपुर नामक स्थान से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सीतामढ़ी-हरचौका नामक स्थान से श्रीराम ने छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था.