एमसीबी: एमसीबी में कोयले का काला कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. कोरिया वनमण्डल अंतर्गत मुरमा, देवखोल, अंगा, पुटा, कटकोना, बेसर, झरिया सहित कई जंगलों में कोयला तस्कर सक्रिय हैं. यहां तीन दर्जन से अधिक अवैध कोयला खदान है. जो एसईसीएल के अंतर्गत पड़ता है. यह सभी खदानें बंद हैं. बावजूद इसके यहां पिछले कई सालों से अवैध कोयला उत्खनन जारी है. वन विभाग और एसईसीएल दोनों इस मामले में अब अपना पल्ला झाड़ते दिखाई दे रहे हैं.
ग्रामीण मजदूरों के जान पर बनी: एसईसीएल के कोयला खादानों में हो रहे अवैध कोयला उत्खनन में स्थानीय ग्रामीण मजदूर शामिल होते हैं. मजदूरी के लालच में ये ग्रामीण अवैध तरीके से हो रहे उत्खनन में शामिल हो जाते हैं. कई बार इन मजदूरों की जान पर बन आती है. इन मजदूरों को ये तक नहीं पता होता है कि कब इनके जीवन की आखिरी शाम आ जाए.
दो तरह की होती है दिक्कतें: कोयला खदान में अवैध काम करने वाले मजदूर रोजाना जमीन से कई हजारों फीट खुदाई करते हैं. रोजाना मजदूरों को दो तरह के खतरे का सामना करना पड़ता है. पहला खतरा इन मजदूरों को कोयला खदान की काली मिट्टी के नीचे दबने का होता है. मिट्टी के नीचे दबने से इनकी जान चली जाती है. वहीं, दूसरा खतरा कोयला खदान की जहरीली गैस से दम घुटकर मरने का होता है.
जहरीली गैस फेफड़ों पर करती है हमला: कई बार जहरीली गैस का दवाब बढ़ने पर अचानक ब्लास्ट हो जाता है. इस ब्लास्ट में मजदूरों की मौके पर ही मौत हो जाती है. ऐसे कई मामले लगातार सामने आते रहते हैं. इसके अलावा यहां काम कर रहे मजदूरों को टीबी और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बना रहता है.यह लोग सावधानी के तौर पर मुंह को मास्क और रुमाल से जरूर ढ़कते हैं.बावजूद इसके खुदाई के दौरान हवा में जहरीली गैस घुल जाती है. ये गैस सीधे मजदूरों के फेफड़ों पर हमला करती है.
वन विभाग पर लग रहा मिलीभगत का आरोप : हाल ही में कटघोरा वनमण्डल में वन विभाग की कार्रवाई के दौरान अवैध कोयला बरामद किया गया था. कोरिया के जंगल में भी कई जगहों पर ऐसी कार्रवाई की गई थी. हालांकि कोयला तस्करों के हौसले काफी बुलंद हैं. आलम यह है कि तस्करी रोकने वालों पर तस्कर हमला कर रहे हैं. जिसके कारण वन विभाग के कर्मी भी जंगल में ड्यूटी पर तैनात होने से डर रहे हैं. अक्सर ऐसा देखा गया है कि वन विभाग कर्मचारी इन वन क्षेत्र के रेंज में तैनात नहीं रहते. जिसके कारण अवैध कोयला उत्खनन तेजी से बढ़ रहा है. इससे वन विभाग को राजस्व की हानि हो रही है. साथ ही इलाके में वनों को नुकसान पहुंच रहा है.