कोरबा: प्यार को लेकर सदियों तक कसीदे गढ़े गए, शेरो शायरी में कहा गया कि एक आग का दरिया है और डूब कर जाना है. लेकिन प्यार को समझना आज भी उतना ही जटिल है जितना कि 100 साल पहले था. आज हम आपको एक ऐसी कहानी से रूबरू कराएंगे जहां शब्दों का कोई स्थान नहीं है.
करतला की घुराई और कोरबा के राजेंद्र बोल और सुन नहीं सकते. अहसासों की डोर दोनों को करीब लाई. पांचवीं से ही दोनों मूक-बधिरों के स्पेशल स्कूल में साथ पढ़े. दोनों के बीच प्रेम पनपा. घर वालों को इसकी खबर हुई, तो दोनों ही ही ने अपने-अपने घरवालों को मनाया. शनिवार को आयोजित किए गए मुख्यमंत्री कन्या सामूहिक विवाह सम्मेलन में घुराई और राजेंद्र भी परिणय सूत्र में बंध गए. सामूहिक विवाह में घुराई और राजेंद्र की जोड़ी कुछ खास थी. दोनों का मुस्कुराता हुआ चेहरा सामूहिक विवाह का सबसे खास आकर्षण था.
दसवीं पास नहीं कर पाए लेकिन पढ़े ढाई आखर प्रेम के
घुराई जिले के करतला ब्लॉक की हैं, जबकि राजेंद्र कोरबा शहर के पुरानी बस्ती के निवासी हैं. दोनों ही रोटरी क्लब की ओर से संचालित मूक-बधिरों के स्कूल में साथ पढ़े थे. दसवीं तक साथ पढ़ने के बाद घुराई ने बीए पास कर लिया, लेकिन राजेंद्र दसवीं पास नहीं कर पाए. हालांकि आज उन्हें इसका कोई मलाल नहीं है. राजेंद्र ने ढाई आखर प्रेम का पाठ पढ़ लिया. दांपत्य जीवन की दहलीज पर कदम रखने के पहले दोनों ही ने इशारों में अपनी खुशी जाहिर करते हुए ईटीवी भारत से कहा कि वे बेहद खुश हैं. दोनों ही एक दूसरे को सालों से पसंद करते थे. घर वालों को मनाया और आज वरमाला पहना कर एक दूसरे के हो गए.
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प्रेम विवाह और इंटर कास्ट भी, विभाग करेगा पुरस्कृत
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी आनंद किस्पोट्टा का कहना है कि कुछ दिन पहले ही यह प्रकरण उनके संज्ञान में आया था. एक मूकबधिर जोड़े की शादी करवा रहे हैं. किस्पोट्टा कहते हैं कि उन्हें यह भी पता चला कि दोनों ही स्कूल में साथ पढ़े थे. तो यह एक प्रेम विवाह है, लड़की एसटी वर्ग से आती है जबकि लड़का एससी वर्ग से है. तो यह एक इंटर-कास्ट विवाह है. उन्होंने कहा कि इसके लिए समाज कल्याण विभाग और आदिम जाति कल्याण विभाग को प्रकरण भेजा जाएगा. इंटर-कास्ट विवाह के प्रोत्साहन को लेकर जो पुरस्कार सरकार की ओर से मिलता है. विभाग का प्रयास रहेगा कि वह भी इस जोड़े को मिले. आनंद किस्पोट्टा ने बताया कि इनकी शादी है ना सिर्फ विभाग के लिए बल्कि समाज के लिए भी उदाहरण है. उन्होंने बताया कि नवदंपति जोड़ों के बीच सामंजस्य बना रहे और यह एक बेहतर दांपत्य जीवन बिताएं.
पिता बोले- यह मेरे लिए अविस्मरणीय पल
राजेंद्र के पिता बाराती बनकर शादी में सम्मिलित हुए हैं. कोरोना काल में सामूहिक विवाह विभाग करवा रहा है. जिसके चलते सीमित परिजनों को ही विवाह के दौरान उपस्थित होने की अनुमति मिल पाई. राजेंद्र के पिता छातराम कहते हैं कि उनके सुपुत्र और घुराई बाई की शादी से वे बेहद खुश हैं. यह उनके जीवन का अविस्मरणीय पल है. छतराम ने आगे कहा कि स्कूल के दिनों से ही दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे. दोनों ही फोन के माध्यम से अपनी तरह से बातें करते थे. जिससे हमें इनके बीच प्रेम होने का पता चला, लेकिन आज खुशी है कि दोनों ने शादी की. दोनों के परिवार वाले बेहद खुश हैं.
कुल 137 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे
शनिवार को निहारिका क्षेत्र के दशहरा मैदान में सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया था. जहां कुल 137 जोड़े एक साथ परिणय सूत्र में बंधे. विभाग प्रत्येक जोड़े पर 25 हजार खर्च करती है. उन्हें नव दांपत्य जीवन शुरू करने के लिए आवश्यक सामग्रियों गिफ्ट के तौर पर प्रदाय की जाती हैं. इन्हीं जोड़ों के साथ इस सामूहिक विवाह में राजेंद्र और घुराई भी परिणय सूत्र में बंधें