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SPECIAL: सिर्फ कागजों पर सौर सुजला योजना, धरातल पर अंधकार !

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Published : Feb 19, 2021, 10:54 PM IST

छत्तीसगढ़ सरकार किसानों और आदिवासियों के उत्थान की बात करती है. किसानों को हर सुविधा मुहैया कराने की दावा करती है, लेकिन कई योजनाएं ऐसे हैं, जो धरातल पर पहुंचते ही दम तोड़ देती हैं. वनांचल क्षेत्र के किसानों को सशक्त बनाने वाली सौर सुजला योजना का जिले में बुरा हाल है. एक साल में महज 10 किसानों को पंप दिया गया है, जो विभाग पर सवाल खड़ा कर रहा है.

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सिर्फ कागजों पर सौर सुजला योजना

कोरबा: वनांचल क्षेत्र के किसानों को संपन्न बनाने वाली सौर सुजला योजना का जिले में बुरा हाल है. सौर सुजला योजना के तहत इस वित्तीय वर्ष में 700 किसानों को सौर ऊर्जा से संचालित सिंचाई पंप देने का लक्ष्य था. विभाग की उदासीनता के कारण अबतक महज 10 किसानों को ही पंप मिल सका है. जबकि वित्तीय वर्ष समाप्त होने में अब लगभग डेढ़ महीने का वक्त ही बचा है. ऐसे में सौर सुजला योजना धरातल में दम तोड़ती नजर आ रही है.

कागजों पर सौर सुजला योजना

गरियाबंद: अमाड़ गांव में सौर सुजला योजना हुई फेल!

क्या है सौर सुजला योजना ?

ऊर्जा विभाग के अधीन क्रेडा (अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी) के तहत किसानों को सौर सुजला योजना का लाभ दिया जाता है. सौर सुजला योजना का लाभ सिंचाई की सुविधा और बिजली की व्यवस्था नहीं होने वाले जगह के लोगों को दिया जाता है. इस योजना के लिए कृषि विभाग किसानों का चयन करता है. जिन किसानों को पहले से ही बोरवेल या पंप योजना के तहत लाभा मिल चुका है. उन्हें भी इस योजना के लिए पात्र ठहराया गया है. किसानों को रियायती दर पर सिंचाई पंप प्रदान करके, उन्हें सशक्त बनाना ही इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है.

जशपुर: सौर सुजला योजना का लाभ लेकर समृद्ध बन रहे लोग और किसान

सौर सुजला योजना के तहत कम कीमतों में दिया जाता है पंप

सरकार सौर सुजला योजना के तहत 3hp और 5hp के क्षमता वाले ऊर्जा संचालित सिंचाई पंप किसानों को बांटती है. कृषि विभाग के अधिकारी, जिस क्षेत्र में बिजली की सुविधा नहीं होती, उन स्थानों के लोगों को चिन्हांकित किया जाता है. सौर सुजला योजना के तहत 5hp सोलर पंप की बाजार में लगभग 5 लाख रुपये कीमत है. उसे किसानों को रियायती दर पर 10 हजार से 20 हजार तक की लागत पर दिया जाता है. इसी तरह 3hp वाले सोलर पंप जिसकी बाजार में कीमत लगभग 4 लाख रुपये है. इसे योग्य किसानों को 7 से 18 हजार तक के रियायती कीमत पर दिया जाता है. कृषि विभाग के अधिकारी आवेदन और दस्तावेजों का परीक्षण कर पात्रता के आधार पर क्रेडा को भेजते हैं.

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों को भी नहीं है जानकारी

हाल ही में लेमरू में पहाड़ी कोरवा परिवार के साथ बर्बरता हुई है. तिहरे हत्याकांड के बाद इसके बाद से प्रशासन जाग उठा है. जिला प्रशासन के अधिकारी आदिवासियों को सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए सर्वे कर रहे हैं. ETV भारत की टीम ने पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोगों से बातचीत की. पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोगों ने सुजला योजना बारे में कोई जानकारी नहीं होने की बात कही.

कोई अधिकारी नहीं दे रहे जानकारी

ETV भारत से ग्रामीणों ने कहा कि उनके पास खेत में सिंचाई का कोई भी साधन नहीं है. सौर ऊर्जा से चलने वाला पंप नहीं दिया गया है. सरकार अगर किसानों और पहाड़ी जनजाति के लोगों को पंप दे, तो उनको काफी लाभ मिलेगा. पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोगों ने कहा कि पंप मिलने के बाद साग, भाजी के साथ कई फसल भी उगा सकेंगे, लेकिन योजना के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि न कोई अधिकारी उनके पास गया और न ही पंचायत स्तर पर कोई पहल की गई है.

पात्रता के कड़े नियम भी आते हैं आड़े

वनांचल में बसने वाले कई क्षेत्र ऐसे हैं. जहां अब तक बिजली नहीं पहुंची है. बिजली नहींं होने के कारण सौर सुजला के तहत सिंचाई पंप किसानों को दिया जाता है. पात्रता के कड़े नियमों के कारण कई किसान योजना का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं. ज्यादातर किसान वन अधिकार पट्टा पर खेती करते हैं. ऐसे में उन्हें इस योजना का लाभ देने में दिक्कतें आती है.

200 से अधिक पंपों में मात्र 10 लगे

मौजूदा वित्तीय वर्ष अब समाप्त होने वाला है. क्रेडा को इस साल 700 किसानों को सौर सुजला योजना के तहत मोटर पंप लगाकर दिए जाने का लक्ष्य मिला था. अब तक केवल 10 किसानों को योजना का लाभ दिया जा सका है. जबकि विभाग की मानें, तो 268 पंप दिया जाना था, लेकिन किसी न किसी प्रक्रिया के कारण किसानों को पंप नहीं दिया गया. साल भर में 10 मोटर पंप किसानों को देना कहीं न कहीं विभाग की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है.

कोरबा: वनांचल क्षेत्र के किसानों को संपन्न बनाने वाली सौर सुजला योजना का जिले में बुरा हाल है. सौर सुजला योजना के तहत इस वित्तीय वर्ष में 700 किसानों को सौर ऊर्जा से संचालित सिंचाई पंप देने का लक्ष्य था. विभाग की उदासीनता के कारण अबतक महज 10 किसानों को ही पंप मिल सका है. जबकि वित्तीय वर्ष समाप्त होने में अब लगभग डेढ़ महीने का वक्त ही बचा है. ऐसे में सौर सुजला योजना धरातल में दम तोड़ती नजर आ रही है.

कागजों पर सौर सुजला योजना

गरियाबंद: अमाड़ गांव में सौर सुजला योजना हुई फेल!

क्या है सौर सुजला योजना ?

ऊर्जा विभाग के अधीन क्रेडा (अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी) के तहत किसानों को सौर सुजला योजना का लाभ दिया जाता है. सौर सुजला योजना का लाभ सिंचाई की सुविधा और बिजली की व्यवस्था नहीं होने वाले जगह के लोगों को दिया जाता है. इस योजना के लिए कृषि विभाग किसानों का चयन करता है. जिन किसानों को पहले से ही बोरवेल या पंप योजना के तहत लाभा मिल चुका है. उन्हें भी इस योजना के लिए पात्र ठहराया गया है. किसानों को रियायती दर पर सिंचाई पंप प्रदान करके, उन्हें सशक्त बनाना ही इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है.

जशपुर: सौर सुजला योजना का लाभ लेकर समृद्ध बन रहे लोग और किसान

सौर सुजला योजना के तहत कम कीमतों में दिया जाता है पंप

सरकार सौर सुजला योजना के तहत 3hp और 5hp के क्षमता वाले ऊर्जा संचालित सिंचाई पंप किसानों को बांटती है. कृषि विभाग के अधिकारी, जिस क्षेत्र में बिजली की सुविधा नहीं होती, उन स्थानों के लोगों को चिन्हांकित किया जाता है. सौर सुजला योजना के तहत 5hp सोलर पंप की बाजार में लगभग 5 लाख रुपये कीमत है. उसे किसानों को रियायती दर पर 10 हजार से 20 हजार तक की लागत पर दिया जाता है. इसी तरह 3hp वाले सोलर पंप जिसकी बाजार में कीमत लगभग 4 लाख रुपये है. इसे योग्य किसानों को 7 से 18 हजार तक के रियायती कीमत पर दिया जाता है. कृषि विभाग के अधिकारी आवेदन और दस्तावेजों का परीक्षण कर पात्रता के आधार पर क्रेडा को भेजते हैं.

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों को भी नहीं है जानकारी

हाल ही में लेमरू में पहाड़ी कोरवा परिवार के साथ बर्बरता हुई है. तिहरे हत्याकांड के बाद इसके बाद से प्रशासन जाग उठा है. जिला प्रशासन के अधिकारी आदिवासियों को सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए सर्वे कर रहे हैं. ETV भारत की टीम ने पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोगों से बातचीत की. पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोगों ने सुजला योजना बारे में कोई जानकारी नहीं होने की बात कही.

कोई अधिकारी नहीं दे रहे जानकारी

ETV भारत से ग्रामीणों ने कहा कि उनके पास खेत में सिंचाई का कोई भी साधन नहीं है. सौर ऊर्जा से चलने वाला पंप नहीं दिया गया है. सरकार अगर किसानों और पहाड़ी जनजाति के लोगों को पंप दे, तो उनको काफी लाभ मिलेगा. पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोगों ने कहा कि पंप मिलने के बाद साग, भाजी के साथ कई फसल भी उगा सकेंगे, लेकिन योजना के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि न कोई अधिकारी उनके पास गया और न ही पंचायत स्तर पर कोई पहल की गई है.

पात्रता के कड़े नियम भी आते हैं आड़े

वनांचल में बसने वाले कई क्षेत्र ऐसे हैं. जहां अब तक बिजली नहीं पहुंची है. बिजली नहींं होने के कारण सौर सुजला के तहत सिंचाई पंप किसानों को दिया जाता है. पात्रता के कड़े नियमों के कारण कई किसान योजना का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं. ज्यादातर किसान वन अधिकार पट्टा पर खेती करते हैं. ऐसे में उन्हें इस योजना का लाभ देने में दिक्कतें आती है.

200 से अधिक पंपों में मात्र 10 लगे

मौजूदा वित्तीय वर्ष अब समाप्त होने वाला है. क्रेडा को इस साल 700 किसानों को सौर सुजला योजना के तहत मोटर पंप लगाकर दिए जाने का लक्ष्य मिला था. अब तक केवल 10 किसानों को योजना का लाभ दिया जा सका है. जबकि विभाग की मानें, तो 268 पंप दिया जाना था, लेकिन किसी न किसी प्रक्रिया के कारण किसानों को पंप नहीं दिया गया. साल भर में 10 मोटर पंप किसानों को देना कहीं न कहीं विभाग की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है.

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