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पहले बाढ़ में हुए गीले, अब SECL की ब्लास्टिंग से ढह रहे मकान

कोरबा के पाली तहसील के रेंकी गांव में बारिश और बाढ़ की वजह से मिट्टी के मकान बुरी तरह से गिले हो चुके हैं.अब कोल माइंस के ब्लास्टिंग से मकान ढहने लगे.

पहले बाढ़ में हुए गीले अब SECL की ब्लास्टिंग से ढहने लगे मकान
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Published : Oct 24, 2019, 3:32 PM IST

Updated : Oct 24, 2019, 3:57 PM IST

कोरबाः जिले में पहले से ही तेज बारिश हुई है, जिसकी वजह से पाली तहसील के ग्राम पंचायत रेंकी में 29 सितंबर को भारी बारिश से लीलागर नदी में बाढ़ आ गई और गांव में करीब छह फीट पानी भर गया. वहीं गांव कोल माइंस इलाके में बसे होने के कारण कोल माइंस के ब्लास्टिंग से टूटने लगे हैं. ग्रामीणों इस समस्या के समाधान के लिए कलेक्टर के पास पहुंचे.

पहले बाढ़ में हुए गीले अब SECL की ब्लास्टिंग से ढहने लगे मकान

बाढ़ में डूब गए थे मकान
ग्रामीणों ने बताया कि बारिश की वजह से लीलागर नदी में बाढ़ के हालात बन गए थे, जिसकी वजह से उनके मिट्टी के मकाने पानी में डूब गए थे और बुरी तरह भीग चुके हैं. इसके अलावा कई मकान बारिश की वजह से ढह चुके हैं. पीड़ित ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें अपने परिवार सहित टूटे हुए मकानों में रहने के लिए मजबूर हैं.

कोल माइंस के ब्लास्टिंग से गिर रहे हैं मकान
ग्रामीणों ने बताया कि उनका गांव दीपका कोल माइंस क्षेत्र में आता है, जहां माइंस में दिन में तीन से चार बार ब्लास्टिंग किया जाता है. इस वजह से उनके मकान ढह रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस समस्या को लेकर वे कई बार दीपका SECL ऑफिस गए हैं, लेकिन वहां उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया. ग्रामीणों ने कलेक्टर के पास जाकर क्षतिपूर्ति की मांग दीपका SECL प्रबंधन से की है. ग्रामीणों ने मांग पर दस दिनों के भीतर कार्रवाई नहीं किए जाने पर तो महाप्रबंधक कार्यालय के समाने विरोध प्रदर्शन करने की बात कही है.

कोरबाः जिले में पहले से ही तेज बारिश हुई है, जिसकी वजह से पाली तहसील के ग्राम पंचायत रेंकी में 29 सितंबर को भारी बारिश से लीलागर नदी में बाढ़ आ गई और गांव में करीब छह फीट पानी भर गया. वहीं गांव कोल माइंस इलाके में बसे होने के कारण कोल माइंस के ब्लास्टिंग से टूटने लगे हैं. ग्रामीणों इस समस्या के समाधान के लिए कलेक्टर के पास पहुंचे.

पहले बाढ़ में हुए गीले अब SECL की ब्लास्टिंग से ढहने लगे मकान

बाढ़ में डूब गए थे मकान
ग्रामीणों ने बताया कि बारिश की वजह से लीलागर नदी में बाढ़ के हालात बन गए थे, जिसकी वजह से उनके मिट्टी के मकाने पानी में डूब गए थे और बुरी तरह भीग चुके हैं. इसके अलावा कई मकान बारिश की वजह से ढह चुके हैं. पीड़ित ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें अपने परिवार सहित टूटे हुए मकानों में रहने के लिए मजबूर हैं.

कोल माइंस के ब्लास्टिंग से गिर रहे हैं मकान
ग्रामीणों ने बताया कि उनका गांव दीपका कोल माइंस क्षेत्र में आता है, जहां माइंस में दिन में तीन से चार बार ब्लास्टिंग किया जाता है. इस वजह से उनके मकान ढह रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस समस्या को लेकर वे कई बार दीपका SECL ऑफिस गए हैं, लेकिन वहां उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया. ग्रामीणों ने कलेक्टर के पास जाकर क्षतिपूर्ति की मांग दीपका SECL प्रबंधन से की है. ग्रामीणों ने मांग पर दस दिनों के भीतर कार्रवाई नहीं किए जाने पर तो महाप्रबंधक कार्यालय के समाने विरोध प्रदर्शन करने की बात कही है.

Intro:कोरबा। कुछ दिन पहले हुई तेज बारिश से लीलागर नदी में आए बाढ़ जैसे हालात बने थे।
पानी ग्राम रेंकी में भी भर गया था। इससे कई ग्रामीणों के मिट्टी के मकान क्षतिग्रस्त हो गए। यहां निवासरत लोगों ने जब पुन: मकान बनाने का प्रयास कर रहे, ऐसे में SECL दीपका खदान की तेज ब्लास्टिंग से मकान टूटने लगे हैं। जो मकान पहले ही बरसात में जिले हैं, उनकव पूरी तरह से ढहने का डर ग्रामीणों में बना हुआ है। इस समस्या के समाधान के लिए ग्रामीण कलेक्टर से गुहार लगाने पहुचे थे।Body:ग्रामीणों ने एसईसीएल से क्षतिपूर्ति राशि दिलाने की मांग की है। एसईसीएल दीपका के प्रभावित ग्राम रेंकी में निवासरत ग्रामीण कलेक्टर के समक्ष अपनी गुहार लगाई। ग्रामीणों ने बताया कि पाली तहसील के ग्राम पंचायत रेंकी में 29 सितंबर को भारी बारिश से लीलागर नदी में बाढ़ आ गई और गांव में करीब छह फीट पानी भर गया। इससे घर में रखा सामान डूब गया। एक सप्ताह तक ग्राम पंचायत ने शासकीय भवन में व्यवस्था कर ठहराया था। पानी खाली होने के बाद पुन: घर वापस लौटे और मकान का मरम्मत कराया जा रहा है। इस बीच दीपका खदान में प्रतिदिन कोयला उत्खनन के लिए बारूद लगाकर तीन-चार बार तेज ब्लास्टिंग की जाती है। इससे कई किलोमीटर तक जमीन हिल जाती है।
Conclusion:पूर्व में आये बाढ़ से मकान गीले होने के कारण ढह रहे हैं, 15 से 20 मकान ढह भी चुके हैं।

स्थिति ऐसी हो गई है कि अब मकान पूरा तोड़कर नए सिरे से बनाना पड़ेगा। दीपावली पर्व के अवसर पर मकान टूटने से जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। ग्रामीणों ने कहा कि एसईसीएल दीपका प्रबंधन से नए मकान बनाने हेतु क्षतिपूर्ति राशि प्रदान कराई जाए। दस दिनों के भीतर समस्या का निराकरण नहीं किया जाता है, तो महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष धरना व विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

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ग्रामीण

विसुअल कलेक्टोरेट पहुचे ग्रामीण
Last Updated : Oct 24, 2019, 3:57 PM IST
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